पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/११४

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गंगाका . १११० गंगापूजा | द्वार के पास पथरीने मैदान में उतरती है। यमुना, गोमती, २. धातु की की सुराही जिसमें पीने के लिौ पानी रखा जाता है। घाघरा, वाम गंगा, गंडक आदि नदियाँ इसमें गिरती हैं। हिंदुओं ३.लोटे जैसा एक पात्र जिसमें कड़ीदार इकन रहता है। । के प्रधान तीर्य काशी, प्रयाग आदि इसी के किनारे हैं। (कभी गंगाजली--संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का गेहूँ जो मूरे रंग का और । 'कभी साधारणतः नदी के लिये भी इन पद का प्रयोग होता है। कड़ा होता है। यौ०-नांगाधर । गंगाजल । गंगापुत्र ।। गंगाजाल--संज्ञा पुं० [सं० गङ्गा + जाल बंगाल के मझवाहों का महा० गंगा उठाना = गंगाजल उठाकर शरयशना। गंगा की जाल जो रीहा घास से बनता है। । शपय करना । गंगा और नदार का साथ होना-दो असम गंगाटेय-मंन्न पुं० [सं० गङ्गाटेय[ एक प्रकार का मत्स्य । झींगा | वस्तुओं या प्रवत्तियों का साथ साथ होना । उ० प्रागका मछला का० । हमारा मेल जैसे गंगा और मदार का साथ। -फिताना०, गंगादत्त -मंगा ० [सं० गङ्गादत्त] भीष्म पितामह [फो०] । भा० ३, पृ० ४: गंगा पार करना- देश निकालना। पर्ग-गंगाजल । गंगापुत्र । गंगासुत । गंगेय । गंगा नहाना कृतार्थ होना । छटी पाना । जैसे, -तन यहाँ गङ्गाद्वार-संचा पुं० [सं० गङ्गाद्वार ] हरिद्वार । से जानो, तो हम गंगा नहाएँ । गंगा दुहाई-गंगा की शपथ। गंगाधर संग्रा पुं० [सं० गङ्गाधर[ १. शिव । महादेव । २.समुद्र। | गंगालान होना = देहावसान होना । मृत्यु प्राप्त करना। ३. एक गोषध का नाम। । पर्या-- विष्णपदी। जाह्नवी । भागीरथी। त्रिपयगा । सुरनि- बिशेप--यह नागरमोथा, मोचरस, आदि के योग से बनती है । नगा । प्रिन्नोता। स्वरापगा। सुरापगा। अलपनंदा । नंदा- और संग्रहणी रोग में दी जाती है। इसे 'गंगाधर रस' भी कहते हैं। | किनी । सुरनदी । अत्रमा । ४. चौबीस अनरों का एक वर्णवृत्त । गगाका-संद्धाश्री [सं०का गंगा। विशेप---इसके प्रत्येक चरण में आठ रगण होते हैं। इसे गंगोदक गंगाक्षेत्र- पुं० [सं०] गंगा और गंगा के दोनों तटों से दो दो कोस पर्यत भूभाग। भी कहते हैं । रे 'गंगोदक'। विशेष : इसके अंदर मरनेवाले का मौन हो जाता है। गंगाधार-संज्ञा पुं० [सं० गङ्गावार] समुद्र किो]। गगाईत · ना सी० मिगागति] नोभ । मपित । " गंगानहान-संचा पुं० [सं० गङ्गा स्नान] १. किसी पर्व पर गंगा- | गंगाचिल्लो संझा की[म० गाचिल्ली] एक इलपी जिसका स्नान का मेला । २. किसी तीर्थ में स्नान करना। उ०- कलकी में गंगानहान की बड़ी उमंगें।-अपरा, पृ० १६६ । । सिर काले रंग का होता है। । पर्या-देवट्टी । विश्वका । जलकुक्कुटी । कि० स० -करना ।- होना। गंगाजमुनी-दि० [हिं० गंगा+जमुना] १. मिलाजुला । सकरपा गंगापत्री--संञ्चास्त्री० [सं० गङ्गापत्री] एक वृक्ष का नाम । सुगंधा । गंधपत्रिका [को० । रंगा ।२.सोने चांदी, पीतल तवे प्रादि दो धातुओं का बना हया । सुनहले रुपहले तारों का वना हुया । जिसपर सोने गंगापथ-संज्ञा पुं० [सं०] अाकाश ।- (ढि०) वादा दोनों का कान हो। ३. काला उचला। स्याह सफेद। मनापाट- सचा पु० हि° गगा+पाट] एक भारा जा धाड़ क | अवलक। के नीचे होती है। गंगाजमुनी-संज्ञा ग्री०१. कान का एक गहना। २.वह दाल विशेष-यह भौंरी यदि तंग से बाहर हो; तो शुभ मानी जाती है जिसमें अरहर और उर्द की दाल मिली हो। केवटी दाल । ३. है; अन्यथा तंग के नीचे पड़ने से अशुभ होती है । जरतारी का ऐसा काम जिसमें सुनहले और रुपहले दोनों रंग गंगापार संज्ञा पुं॰ [40] गंगा का दूसरा किनारा या तीर। । के तार हों। ४. अफीन मिली हुई भाग । अफीम से युक्त भांग गंगापूजया -मंधा - [सं० गंगा+हि० पुजया] दे० 'गंगापूजा'। .. की संरदाई (बनारन)। - गंगापुत्तर संज्ञा पुं॰ [ म० गङ्गापुत्र ] दे० 'गंगापुत्र' । उ०-घाट - गंगाजल संशा को [सं० गङ्गाजल] १.गंगा का पानी। २. एक जाओ तो गंगापुत्तर नोचें दै गलफाँसी। भारतेंदु ग्रं०, भा० . कपड़े का नाम जो बारीक और सफेद रंग का होता है। १, पृ० ३३३ । पश्चिम में लोग इसकी पगड़ी बांधते हैं। उ०-गंगाजल की गंगापुत्र-संघा पुं० [सं० गङ्गापुत्र] १. भीष्म । २. कार्तिकेय (को॰) । पाग सिर सोहत थी रघुनाथ । शिव सिर गंगाजल किंधों चंद्र ३. एक प्रकार के ब्राह्मण जो गंगा आदि नदियों के किनारे चंद्रिका नाय ।-केशव (शब्द०)। पर रहते हैं और घाटों पर दान लेते हैं। ४. ब्रह्मवैवर्त के गंगाजली...वासीय इ० गङ्गाजल + हिं०] १.काँच या धातु के अनुसार एक वर्णसंकर जाति ।। | ..की बनी हुई सुराही या शीशी जिसमें यात्री गंगाजल भरकर ले विशेष—यह जाति लेट पिता और तीवरी माता से पैदा कही । जाते हैं। उ०-बद्रीनाथ गंगोतरी की यात्रा में राला ने गई है। यथा-'लेटात्तीवर कन्यायां गंगातीरे चे शौनक । रामेश्वर के लिये गंगाजली भरी।-किन्नर०, पृ० १००1. वभूब सद्यो यो वालो गंगापुत्रः प्रकीर्तितः। | मूहा---गाजली उठाना गंगाजली हाथ में लेकर शपथ खाना। : गंगापूजा-संवा श्री० [सं० गंगापूजा] विवाह के बाद की एक गंगा की कसम खाना। . रीति । कंगन छोड़ना । वरनवार ।