पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/११७

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सववकूफ।":.. गंडक ११६३ 6. गंडार . रेवती और अश्विनी का गंड अधिक दोपकारक माना जाता गंडग्राम--संज्ञा पुं० [सं० गण्डग्राम] बड़ा या प्रसिद्ध गाँव (फो। .. है; और इनमें उत्पन्न वालक क्रम से पिता, माता, और गंडदूर्वा- संज्ञा स्त्री॰ [स० गण्डर्वा] १. गांडर घास जिसकी जड़ .. अपना घातक माना गया है। ___ खस कहलाती है। २. वह दूब जो पृथ्वी पर. फैलती और . ५. गंडा जो गले में पहना जाता है। ६. फोड़ा । ७.चिह्न । जड़ पकड़ती हुई दूर तक चली जाती है। लकीर दाग । . गोल मंडलाकार चिहन या लकीर । गराड़ा। गंडदेश-संज्ञा पं० [सं० गण्डदेश कपोल । गंडप्रदेश । गाल (को०] 1. . . गंडनी. संज्ञा स्त्री० [सं० गएडाली] सरपोका । साक्षी ।सरहटी। . नव गज दस गज गज उगनीसा पुरिया एक तनाई । सात सूत गंडभित्ति-संज्ञा सी०सं० गण्डनित्ति हाथी के : गंडस्थल का . दे गंड बहत्तरि पाट लगी अधिकाई।-कवीर० प्र०, पृ० १५३1 छिद्र जिससे मद निकलता है किो०] । १०.गड़ा । ११.बीथी नामक नाटक का एक अंग जिसमें सहसा गंडमंडल-संज्ञा पुं॰ [सं० गएडमण्डल] कनपटी। उ०--ललित गंड- . प्रश्नोत्तर होते हैं। १२.घेघा (को०)। १३.योद्धा (को०)। मंडल सुविसाल भाल तिलक झलक : मंजु तर मयंक अक रुचिः । गंडक -संज्ञा पुं० [सं० गण्डक] १. गले में पहनने का जंतर या गंडा। बंक भौंहै।--तुलसी (शब्द०)। .. २. वह देश जहाँ गंडकी नदी बहती है तथा वहाँ के निवासी। गंडमालक---संज्ञा पुं० [सं० गण्डमालक] दे० 'गंडमाला' [को०] | : : ३. गाँठ । ४. एक रोग जिसमें बहुत से फोड़े निकलते हैं। गंडमाला-संज्ञा ली० [सं० गए उमाला] एक रोग जिसमें गले में छोटी : ५. गैड़ा। ६. चिह्न । निशान । ७. रुकावट । वाधा (को०)। छोटी बहुत सी फुड़ियाँ लगातार माला . की तरह एक पंक्ति : ८. वियोजन । पार्थक्य ! अलगाव (को०)। १०.चार चार मैं निकलती हैं। यह रोग बड़ी · कठिनता से अच्छा होता है। करके किसी वस्तु की गणना (को०)।११.चार कौंड़ियों के गलगंड । कंठमाला ।' मूल्य का सिक्का (को०)। १२. ज्योतिष का एक अंग। फलित ज्योतिष [को०। गंडमालिका-संज्ञा स्त्री० [सं० गण्डमालिका] लजाधुर की लता। " गंडक' संज्ञा स्त्री० [सं० गण्डको दे० 'गंडकी'। लज्जालु । लाजवंती [को०)। गंडका -संज्ञा पुं॰ [देश॰] पवान । कुत्ता। उ०--बी) बानर व्याल गंडमाली--वि०सं०गए डमालिन] गंडमाला का रोगी [को०)।' विस गरदभ गंडक गोल । ऐ अलगाइज राखणा पो उपदेश गडमूर्ख- वि० [सं० गण्डमूर्ख] घोर मूर्ख । भारी वेवकूफ । अमोल ।-बाँकी० ग्र०, भा०२, पृ० ११ । गंडरी - संज्ञा स्त्री० [सं० गण्डाली] गॅडरा घास । गाँडर। गंडका -संका सी० [सं० गए डका] वीस वों का एक वृत्त जिसे 'वृत्त' गंडली-संज्ञा स्त्री० [सं० गएडलिन् ] १. छोटी पहाड़ी। २. शिव। और 'दंडिका' भी कहते हैं। गंडशिला-संज्ञा स्त्री० [सं० गण्डशिला] भारी चट्टान (को०] }" . गंडकी'- संशा स्त्री० [सं० गण्डकी] एक नदी जो नेपाल में हिमालय । गडसूधि-संज्ञा स्त्री० [सं० गण्डसूचि] नत्य में एक प्रकार का भाव । . . से निकलती है और बहुत सी छोटी छोटी नदियों को लेती हुई गंडस्थल-संज्ञा पुं० [सं०गण्डस्थल कनपटी। उ०- उरसि मरगजा पटने के पास गंगा में गिरती है। इसमें काले रंग के गोल माल चाल मदगज जिमि मलकत । घुमत रसभरें नैन " गोल पत्यर निकलते हैं. जो शालिग्राम कहलाते हैं । इन्हें गडस्थल श्रमकन झलकत ।-नंद ग्रं०, पृ० २३ । . विष्णु का प्रतीक मानकर लोग पूजते हैं । उ०--गंगा यमुना । सरस्वती गोदावरी समान । रची नदी तब गंडकी जहँ तह। गंडांत-दे० पुं० [सं० गएडान्त] फलित ज्योतिप शास्त्र के अनुसार । शिल उत्पान |--कबीर सा०, पृ० ११८ । . ज्येष्ठा, श्लेपा और रेवती के अंत के पाँच या तीन दंड तथा । यो०-- गंडकीपुत्र । गंडकी शिला= शालिग्राम । . मूल, मघा और अश्विनी के अंत के तीन दंड। गंडकी-संश पुं० सत्रह मात्राओं का एक ताल जिससे १३ आघात विशेष----इनमें उत्पन्न होनेवाले वालक दोपी माने जाते हैं और और ४ खाली होते हैं। उनके उस दोप की शांति के लिये पूजा की जाती है। विशंप- इसका बोल इस प्रकार है-देत देत खून खून घा कता गडा'-संज्ञा पुं० [सं० गण्डक गाँठ] १. गांठ जो किसी रस्सी या. . तागे में लगाई जाय । जैसे--गेरांव का गंडा । . . . . क्रि०प्र०-मारना । —लगाना। - दंता बेटे ताग देत देत खून खून धा कता दंता फडान् घाया। . .. . .. . ९ १० ११ १३ गंडा -संज्ञा पुं० [सं० गण्डक गले में पहनने का जंतर] १. वह तेरे केटे तांधा खूगा गदिने तेरे कॅट धा। - बटा हुना तागा जिसमें मंत्र पढ़कर गांठ लगाई जाती है। गंडकुलम-- संशा पुं० [सं० गएडकुसुम हाथी की कनपटी से यूनेवाला इसे लोग रोग और भूत प्रेत की वाधा दूर करने के . मद [को०] । लिये गले में बांधते हैं । उ०—इसके हाथ से · गंडा. गिर गया। गंटकम--संज्ञा पुं॰ [सं० गण्डकप] १. पर्वत की चोटी का ऊपरी सो यह पड़ा है।--शकुतला, पृ० १४३। . ... ." भाग । २. पहाड़ की चोटी पर बना हुया कुअाँ [को०] । मुहा०—गंडातावीजमंत्रयंत्र । झाड़फूक । जादूटोना । टोटका गंडगार-संज्ञा पुं० [सं० गए उगात्र शरीफा [फो०] । गंडा ताबीज करना गंडे तावीज से इलाज करना। . गंडगापा लका-संशा सी० [सं० गएडगोपालिफा] एक प्रकार का , . मंत्र यंत्र में रोग को अच्छा करना । झाड़फूक करना । मोटा। ग्वालिन । २. वह धागा जिसे मंत्र पढ़कर रोगी के गले या हाय में याँधते हैं।