पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१२१

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-गंधपत्री .११६७ गंधमाल्य .. गंधपत्रो-संज्ञा स्त्री० [स० गन्धपत्री] अजमोदा । अजवायन । बहुत करते हैं। हिंदुस्तान में भी इसके फूलों से तेल तैयार गंधपर्णी-संथा स्त्री० [सं० गन्धपणी] सप्तपर्णी। किया जाता है। गंधपलाशिका--संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धपलाशिका] हरिद्रा । हरदी [को०] 1 गंधबहुल--संज्ञा पुं० [सं० गन्ययहुल] दे० 'गंधतंडुल'। गंधपलाशी-संशा जी० सं० गन्धपलाशी] कपूरकचरी । गंधवहुला-संशा रसी० [सं० गन्धय हुला| गोरक्षी का पौधा [को०] ! गंधपसार -संशा स्त्री० [हिं० गंध---पसार] दे० 'गंधप्रसारिणी' गंधवाह-संज्ञा पुं० [सं० गन्धवाह हवा । 50-धवाह सीरे करें गंधपसारी@-संशा सी० [हिं० गंधपसार+ई (प्रत्य॰)] ० हीरे ताप अछेह । दई ताह पर निरदई. दाहत देह अदेह । .. _ 'गंधप्रसारिणों'। स० सप्तक, पृ० २७३ । गंधपाली-संक्षा पुं० [सं० गन्धपालिन् शिव (को०) । गंधर्धाबलाव-संज्ञा पुं० [सं० गन्ध ---हिं० बिलाव] नेवले की तरह का .. गंधपाषाण-संज्ञा पुं० [सं० रन्धपाषाण] गंधक [को०] | एक जंतु। गंधपिशाचिका---संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धपिशाचिका] सुगंधित पदार्थ । गन्धापशाचिका] सुगधित पदाथ विशेष-यह जंतु अफ्रिका में होता है । यह दो फुट लंबा और . का धुआँ [को०)। पीलापन लिए हुए भूरे रंग का होता है इसके सारे बदन . गंधपुर-संक्षा पुं० [सं० गन्धर्वपुर या हिं०] दिल्ली का एक नाम । में मटमैले रंग के दाग पंक्तियों में होते हैं। इसके चूतट के -- - उ०—प्रथम पुत्र सोमेस गंधर ढुढा गढिय । भई सुद्धि गंध्रवन पास गिलटी होती है जिसमें पीले रंग का का येप होता हैं। . . पुहप मंगल दुज पढ्ढ्यि । पृ० रा, १ । ६८६ । हवश में लोग इस जंतु को इसी नेप के लिये पालते हैं। ... गंधपुष्प-संज्ञा पुं० [सं० गन्ध पुष्प] १. सुगंधयुक्त पुष्प । २.केवड़ा। यह मांसभक्षी है । इसे कच्चा मांस दिया जाता हैं । सप्ताह में . ३. गनियारी । ४.वेत [को॰] । दो बार इसकी गिलटी से पीला चेप निकालते हैं। एका गंधविलाव से अधिक से अधिक एक बार में एक माशे चेप . गंधपुष्पा-संद्या वी० [सं० गन्धपुष्पा] नील का पौधा । (को०] । निकलता है, जो सुगंधित होता है और पौप्टिका प्रौपध में गंधपूतना-संश स्त्री० [सं० गन्धपूतना] एक प्रेतिनी या चडेल । गंधप्रत्यय-संक्षा पुं० [सं० गन्धप्रत्यय] प्राणेंद्रिय । नाक । काम आता है । इसे मुकाबिलाव भी कहते हैं। गंधप्रसाई गो-मंशा पी० ० गयप्रतारिणीता जिसकी गंववीजा--संशा सी० [सं० घदीजा मेथी [कोमा पत्तियाँ डेढ़ इंच नोड़ी और दो इंच लंबी तथा नुकीली होती गंधबेन--संशा सं० [सं० गन्ध वेरए ] एक घास जो अत्यंत सुगंधित होती . हैं। पत्तियों के किनारे कटावदार होते हैं। गंधपसार है। इसका तेल निकाला जाता है। रोहिप । मुसा । सूमिण। गंधपसारी। सुरीस। गंधभांड--संज्ञा पुं० ग न्घमाण्ड] दे० 'गर्दभांड' [को०]। विशेष---इसकी गंध कड़ई और असह्य होती है । वैद्यक में इसे . गंधमांमो-संज्ञा सी० [सं० गन्यमांसी] जटामांसी का एक भेद [को०। गरम, भारी तथा बल और वीर्यवर्धक माना है : यह वातपित्त नाशक तथा टूटी हड्डियों को जोड़नेवाली है। खाने में कड़वी गंधमाता--संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धमातृ] पृथ्वी को०] । चरपरी होती है । इसका प्रयोग वैद्यक में स्वरभंग और गंधमाद-संशा पुं० [सं०] १.भौरा। २.एक यादव का नाम । बवासीर में भी लिखा है। गंधमादन' संज्ञा पुं० [सं० गन्धमादन] १. एक पर्वत का नाम। पर्याह-सारिवा । शारिवा। गोपी । उत्पलशारिवा । भद्रवल्ली। विशेप--पुराणानुसार यह पर्वत इलावत और भद्राश्व खंड के बीच में है। नील निषध पर्वत तक इसका विस्तार है। देवी नागजिन । कराला। भद्रवल्लिका । गोपवल्ली। सुगंधा । ... भद्रश्यामा । शारदा। आस्फोता। काष्ठशारिवा। धवल- भागवत के अनुसार यह भगवतीकामुकी का पीठस्थान है। ' २.रामायण के अनुसार राम की सेना का प्रधान बंदर। . सारिवा। ३. भौंरा । ४: एक सुगंधित द्रव्य। ५. गंधक । ६. रावण गंधप्रियंगु--संज्ञा पुं० [सं० गन्धप्रियङ्ग]प्रियंगु । फूलफेन । का एक नाम (को०)। ६.सुगंधित प्रोपधियों से युक्त गंधमादन गंध फल-संज्ञा पुं॰ [सं० गन्ध फल] १.कथ । २.वेल । पर्वत का जंगल (को०)। गंधफला-संशा श्री ६० गन्धफला] १. प्रियंगु । २.विदारी। गंधमादत-घ से उन्मत्त करनेवाला को०] । . गंधफली-संज्ञा स्त्री० सं० पायफली] प्रियंगु । २.चंपा। . . गंधमादनी-संशा लो [सं० गन्धमादनी] १.मदिरा । मय । २. लाख। गंधबंधु-संज्ञा पुं० [सं० गन्धवन्धु प्राम। गंधमादिनी-संना सी० [सं० गन्यमादिनी] लाख । लाक्षा [को०] 1 . गंधवबूल---संज्ञा पुं० [हिं० गंध + बबूल] बबूल की जाति का एक गंधमार्जार-चा पुं० [सं० गन्ध मार्जार] दे० 'गंधविलाय । छोटा वृक्ष जिसके फूल विशेष मुगंधित होते हैं। गंधमालती-संघा सी०सं० गन्धमालती] एक गंध द्रव्य । .: . विशेष—यह अमेरिका से भारतवर्ष में लाया गया है और अब गंधमालिनी-संग्या सी० [सं० गन्धमालिनी] एक प्रकार का । भारतवर्ष के प्रायः सभी प्रांतों में मिलता है। इसे लोग गंध द्रव्य (को०] । विलायती बबूल या कीकर कहते हैं । फ्रांस देश में इसके फूलों गंधमाली-वि० सं० गन्धमालिन् ] एक नाग का नाम [को०। .. से इत्र निकाला जाता है। और वहाँ...इसकी खेती भी लोग . गंधमाल्य--संज्ञा पुं० [सं० गन्धमाल्य] सुगंध द्रव्य और माला [को०]। .