पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१२३

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गंधर्वपद १९९६ गंधाढय... की वायु इतनी जल्दी हल्की हो जाती है कि ऊपर का वायु गंधलता-संघा सी० [सं० गन्धलता] प्रियंगु नाम की लता [को०]। और ऊपर नहीं जा सकती। मृगमरीचिका भी इसी दृष्टिदोष से गंधलुब्ध-संज्ञा पुं० [सं० गन्धलुब्ध] मधुकर । भीरा [को०] । .. दिखाई देती है। गंधर्वनगर का फल वृहत्संहिता में लिखा है। गंवलोलुपा-संस सी० [गन्धलोलुपा] १.मधुकर । श्रमर । २. २.मिथ्या भ्रम । (वेदांत में संसार की उपमा गंधर्वनगर से दी मक्खी या मच्छर को। जाती है।) ३. चंद्रमा के किनारे का मंडल जो उस रात को मडल जा उस रात को गंधवणिक, गंधवणिज-संक्षा पुं० [९० गन्धपरिणक् गन्धवरिण] शशिक गंधवगिाज_मंस ' दिखाई पड़ता है, जब आकाश हलके वादलों की तह से ढका गंधविक्रता । गंधी को]। रहता है । ४. वह दृश्य जो कोसों तक फैली हुई नमक की। गंधवती' वि० स्त्री० [सं० गन्धपती] गंधवाली। गंधयुक्त, जैसे सदरों पर सूर्य की किरणों के पड़ने से दिखाई पड़ता है। ५.. संध्या के समय पश्चिम दिशा में रंग बिरंगे बादलों के बीच गंधवती पृथिवी। .. फैली हुई लाली। ६ महाभारत के अनुसार मानसरोवर के गंधवनी-छा रसी० .. गन्धवती] १ चमेली का एक भेद । निकट का एक नगर । वनमल्लिका । २.गंधोत्तमा। सुर। ३: गुरा नाम का एक विशेष—इस नगर की रक्षा गंधर्व करते थे। अर्जुन ने गंधर्व- गंधद्रव्य । ४ व्यारा की माता सत्यवती का एक नाम । ५. नगर को जीतकर तित्तिर, कल्माप और मंडूक नामक घोड़े पृथ्वी । ६ वरुणापुरी। प्राप्त किए थे। गंधवधू-संझा सी० [सं० गन्धवधू] कपूरकवरी । गंधपलाशी किो०] 1 . गंधर्वपद-मक्षा पुं० [सं० गन्धर्व पद] गंधों का वासस्थान । गंउर्व- गंधवल्कल-सहा पुं० [म० गन्धवल्फल] दारचीनी [को०] .. " . लोक [को०)। गंधवल्लरी, गंधवल्ली-संशा सी० [म. ग-धवल्लरी, गन्धवल्ली] । गंधर्वपुर-संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्वपुर] गंधर्वनगर । सहदेई [को०। गंधर्वराज--मंज्ञा पुं० [सं० गन्धर्वराज] गंधवों का राजा चित्ररथ गंधवद्र-छा गन्धवह] १.वायु । २.नाक!--(डि.)। .. [को०] । गंधवहा-संघा रसी० [सं० गन्धवहा] नासिका । नाकको०]। . गंधर्वलोक-संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्वलोक] विद्याधर और गुह्यक लोक गंधवान-वि० [सं० गन्धयत् ] गंधगुण से युक्त 1 २.सुगंधित [को०] ।' के मध्य में कथित एक लोक जहाँ गंधों का निवास माना गंधवाह-रांशा पुं० [सं० गन्धवाह] वायु । हवा । जाता है [को०] । गंधवाहा, गंधवाही-संझा स्त्री० [सं० गन्धवाहा, गन्धवाही] ३० गंधर्ववधू-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धर्ववधू] चीड़ा नामक गंधद्रव्य । 'गंधवहा' [को॰] । गंधर्वविद्या--संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्वविद्या] गानविद्या । संगीत। गंधविह्वल-संशा पुं० [सं० गन्ध+-विह्वल] गेहूँ । गोधूम [को०] । . गंधर्व विवाह-संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्व विवाह] आठ प्रकार के विवाहों गंधवृक्ष-संका पुं० [सं०] साल का वृक्ष ।----प्रा० भा०प०, पृ० ३४ . में से एक । वह संबंध जो पिता माता की आज्ञा के बिना वर गंववरण-संशश पुं० [सं० गन्धवेण] एक सुगंधित घास । गंधवेन । और वधू अपने मन से परस्पर कर लेते हैं। गंधव्याकुल-संशा पुं० [सं० गन्धव्याकुल] कंकोल का पैड़ . [को०] । गंधर्ववेद--संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्ववेद] संगीतशास्त्र । . गंधशालि---संशा पुं० [सं० गन्धशालि] ने० 'गंधतंदुल' [को०] 1 . विशेष—यह चार उपवेदों में से एक है। इसमें स्वर, ताल, गंधशेखर-संधा पुं० [सं० गन्धशेखर] कस्तूरी [को०] । . राग, रागिनी आदि का वर्णन है। गंधसार—ा पुं० [सं०] १.चंदन । २. मोगरा बेला । ३.कचूर । गंधर्वहस्त, गंधर्वहस्तक-संधा पुं० [सं गन्धर्वहस्त, गन्धर्वहस्तक] गंधसेवक वि० [सं० गन्धसेवक] गंध या सुगंध का उपयोग करने एरंड । रेंड। . वाला [को॰] । गंधर्वा-संझा सी० [सं० गन्धर्वा] दुर्गा का एक नाम । गंधसोम-संथा पुं० [सं० गन्धसोम] कुमुद । कुई [को०] । गंधर्वास्त्र-संज्ञा पुं० [सं० गन्धर्व+अस्त्र] एक अस्त्र का नाम । संघटरा पं० सं० गन्ध+गह. प्रा० ] नाक ---(डि०)। . गविन--पंडा स्त्री० [सं० गन्धर्व+हिं० इन (प्रत्य॰)].१.गंधर्व

. की स्त्री। २ गंधर्व जाति की स्त्री, जो बड़ी मुंदरी होती है। गंधहस्ती-संगा पुं० [मं गन्धहस्तिन] वह हाथी जिसके कुंभ से उ०—जो तुम मेरी इच्छा धरो। गंधविन के हित तप .' गद वहता हो । मदोन्मत्त हाथी। ___ करो।—सूर (शब्द॰) । गंधहारिका का स्त्री० [सं० गन्धहारिका] स्वामिनी के साथ गंध-... 'गंधर्वी':-संज्ञा स्त्री० [सं० गन्धर्वो ] १.गंधर्व की स्त्री। २.सुरभी प र पलनवाला सावका का'

की पुत्री । यह पुराणानुसार घोड़ों आदि की माता थी। गंधाखु-संशा पुं० [सं० गन्धाखु] छछू दर [को०]. ....

गंधर्वी--वि० [सं० गन्धर्व +ई (प्रत्य॰)] गंधर्व का। गंधर्व गंधाजीव-संझा पुं० [सं० गन्धाजीय] इन बेचनेवाला । गधी [को०]। संबंधी। 3०-पुनि शकुनी प्रतिसय रिसि छाया 1.करत भयो गंवाढ्य-वि० [सं० गन्धाढय] सुगंधेपूर्ण फोगा, . . ३. 'गंधर्वी माया ।-गोपाल (शब्द०)। गंधाढ्य संधा पुं० १.नारंगी का पेड़ । २. चंदन । ३. जवादि 'गंधर्वोन्माद-संवा पुं० [सं०गन्धर्वोन्माद] गंधर्वग्रह । गंधर्व रोग। नाम का गंधद्रव्य [को०] | . : वि०... 'गंधर्व-६.। गंधाढ्या-संथा सी० [सं० गन्धाढ्या] १. गंधनिशा। गंधपत्रा। २. .