पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१३२

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- गंजगीन गजपादप २. झूल । पाखर। ७०-तैसे वर वनाये औ घाले गल . था। इसके अतिरिक्त झूलने अथवा वृक्ष आदि उखाड़ने की कंप। बांध सेत गजगाह तहँ जो देखै सो कंप।—जायसी मुद्रा दिखलाने के समय भी इसका व्यवहार होता था। (शब्द०)। ६. गणपति का एक विशेषण (को०)। गजगौन-सा पुं० [सं० मज-गमन प्रा० गवरण] दे० 'गजगमन'। गजदंतफला-सं मी० [सं० र जदन्तफला] चिचड़ा। 'गजगौनी@--वि०सी० [सं० गजगामिनी] वि० 'गजगवनी'। गजदंती--वि० [हिं० गजदंत + ई (प्रत्य॰)] हाथी के दाँतं का। गजगोहर- संज्ञा पुं० [हिं० गज+फा० गौहर] गजमोती। गज- हाथीदांत का बना हुआ। उ०-फर कंकड़ चुरो गजदंती। मुक्ता। उ०-ग्रौपम की क्यों गर्न नरमी गजगौहर चाह नख मणिमाणिक भेटति देती।--सूर० (शब्द०)। .. ... गुलाब गंभीरे ।- पद्मोकर (शब्द०)। गजदघ्न, गजद्वयंस-वि० [सं०] हाथी जैसा लंबा या ऊँचा [को॰] । - गजचर्म-संज्ञा पुं० [सं० गजचर्मन्] १. हाथी का चमड़ा । २. एक गजदान-संचा, पुं० [सं०] १.हाथी का दान । २. हाथी का मद । रोग; जिससे शरीर का चमड़ा हाथी के चमड़े की तरह मोटा गजगत्यभिद्-संगा पुं० [सं०] गज नामक असुर के संहारक , और कड़ा हो जाता है । यह रोग घोड़े को भी होता है। शिव [को०]। . इसमें खाज भी होता है। गजधर-संज्ञा पुं० [फा० गज + हिं० घर] १.मकान बनानेवाला। गजचिर्भटा-संज्ञा स्त्री० [म] इंद्रायन । मिस्त्री । राज । मेमार । थवई । २. वह राज या मेमार जो गजचिभिट-संथा पुं० [सं०] एक प्रकार की ककड़ी। . घर बनाने के पहले उसका नकशा आदि तैयार करता हो। - ‘गजचिभिटा-पंचा स्त्री० [सं०] इंद्रायन । 'गजनक - संज्ञा पुं० [सं०] गैडा । गंडक [को०] । गजच्छाधा--संज्ञा स्त्री० [सं०] ज्योतिष का एक योग जो उस समय गजनवी-वि० [फा० गजनवी] गजनी नगर का रहनेवाला । जैसे- .. होता है, जब कृष्ण त्रयोदशी के दिन चंद्रमा मघा नक्षत्र में महमूद गजनवी। .' और सूर्य हस्त नक्षत्र में हो। यह योग श्राद्ध के लिये अच्छा गजना-क्रि० अ० [सं० गजन,'प्रा० गज्जण] है गरजना' । माना जाता है। उ०-ठी ठो मधुर मयानी वज। जनु नव आनंद अंबुद गजट-संवा पुं० [सं० गजेट] १. समाचारपत्र । अखबार । २. वह गज। -नंद० ग्रं॰, पृ० २४८ । विशेष सामयिक पत्र जो भारतीय सरकार अथवा प्रांतीय गजनाल—संघा सी० [सं०] एक प्रकार की बडी तोप जिसे हाथी सरकारों द्वारा प्रकाशित होता है और जिसमें बड़े बड़े अफसरों खींचते थे। बड़ी भारी तोप। .. की नियुक्ति, नए कानूनों के मसौदे और भिन्न भिन्न सरकारी गजनासा-संवा स्त्री० [सं०] हाथी की सूढ़ कोगा . . विभागों के संबंध की विशेष और सर्वसाधारण के जानने गजनि-संज्ञा स्त्री० [हिं० गजना] गज । गजन । ध्वनि । उ० - . योग्य वार्ते प्रकाशित की जाती हैं। उड़त गुलाल अनुराग रंग छाई दिस, सब मनभाई अंजनिधि मुहा०-गजट कराना=किसी प्रकार की सूचना आदि को गजट ही की है । नूपुरनिनाद कटिकिकिनी की नीकी धुनि, चंगनि - में प्रकाशित कराना 1 गजट होना=(१) किसी बात का की गजनि वजनि मुरली को है। -वज० ग्रं॰, पृ०२५। गजट आदि में प्रकाशित होना=(२) किसो वात का बहुत गजनिमीलिका-संशा स्त्री० [सं०] कोई चीज देखने का बहाना - अधिक प्रसिद्ध होना। करना । जनबूझकर अनजाना बनना या दिखाना । उपेक्षा [को०] । गजंढक्का-संज्ञा स्त्री० [सं०] हाथी के ऊपर रखकर बजाया जाने- गजनी'-संक्षा खौ• [?] एक प्रकार की मिट्टी। .."बाला नगाड़ा या घौंसा (को०]! गजनी-संशा पुं० [फा०, मि० सं० गज्जन] [वि० गजनवी] अक- गजता--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. हाथी की स्थिति या भाव (को०) । २. गानिस्तान के एक नगर का नाम, जहाँ महमूद की राजधानी थी। '. हाथियों का झुट। . गजपति-संज्ञा पुं० [सं०] १. वह राजा जिसके पास बहुत से हाथी हों। गजदंड-संथा पुं० [सं० गजदण्ट] पारिस पीपल नाम का पेड़ । परीश उ०-असुपतीक शिरमौर कहावै । गजपतीक आँकुस गज पिप्पल। नावं ।--जायसी (शब्द०) २ कलिंग देश के राजाओं की गणदंत-संक्षा पुं० [सं० गजदन्त ] १. हाथी का दाँत । २. वह खूटी उपाधि । महाराज विजयनगर या विजयानगरम के नाम के जो दीवार में कपड़े आदि लकटाने के लिये गाड़ी जाती है । ३. साथ अब भी यह उपाधि लगाई जाती है । उ० -रतनसेन एक प्रकार का घोडा जिसके दांत हाथी के दांतों की तरह . भा जोगी जती । सुनि भेंट पावा गजपती-जायसी मुंह के बाहर ऊपर की ओर निकलें रहते हैं । ४.दांत के (शब्द०)। ३. बहुत बड़ा हाथी । पर निकला हा दाँत । ५.नृत्य में एक प्रकार का भाव गजपाँव-संचा पुं० [हिं० गज+पाँच] एक प्रकार का जलपक्षो । जिसमें दोनों हाथ सीधे करके कंधे के पास लाते हैं और हाथ विशेष- इसके पैर लाल, सिर, गरदन, पीठ और डैने काले तया की उंगलियों को सांप के फन की तरह बनाकर आगे की पोर बाकी अंग सफेद होते हैं : यह जाड़े के दिनों में ठंढे देशों से झुकाते हैं। , भारतीय मैदानों में चला पाता है और प्रायः तीन चार अंडे विशेष-प्राचीन काल में नत्य का यह भाव उस समय दिखलाया देता है। जाता था, जब विवाह के उपरांत. कन्या को वर ले जाता गजपादप · संधा पुं० [सं०] बेनिया पीपल। ...