पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१३५

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गजस्नान - गझिनाना गजस्नान-संज्ञा पुं० [सं०] १.हाथी का स्नान । २.निरर्थक कार्य गजी-संज्ञा पुं० [सं० गज+ई (प्रत्य०) अथवा गजिन हाथी का क्योंकि हाथी नहाने के बाद अपने ऊपर धूल कीचड़ आदि . सवार । वह जो हाथी. पर सवार हो। डाल लेता है को। गजी-संक्षा स्रो० [सं०] हथिनी। . . . गजही-संज्ञा श्री० [हिं० गाज=फेन] १.लकड़ी जिससे कच्चा दूध गजीना -शा स्त्री० [हिं० गझिन] दे० 'गझिन' | उ.-ऐसे मथकर मक्खन निकाला जाता है । यह चार पाँच हाथ लंबी तनि वुनि गहर गजीना साई के मनभावै। दादू०, पृ०६०६।। एक वांस की लकड़ी होती है जिसका एक सिरा चौफाल चिरा गजेंद्र-संधो पुं० [सं० गजेन्द्र) १.ऐरावत । २.वड़ा हाथी । गजराज । ... होता है । २. वे पतली लकड़ियां जिससे दूध मथकर फेन ३.इंद्र द्युम्न नामक राजा अगस्त्य मुनि के शाप से हाथी - निकालते हैं। . हो गया था और ग्राह से गृहीत होने पर शाप से मुक्त हुआ। . गजा-संज्ञा स्त्री [फा० गज] नगाड़ा बनाने की लकड़ी। चोव। गजेंद्रगुरु-संचा पुं० [सं० गजेन्द्रगुरु] संगीत में रुद्रताल का एक भेद। उ०--सुर दुंदुभि सीस गजा सर राम के रावन के सिर गजेटियर-संक्षा पुं० [अं॰] सरकार की ओर से प्रकाशित परिचायक साथहि लाग्यो।-रामचं०, पृ० १३७ । सामयिक, पत्र । जैसे,—उत्तर प्रदेश गजेटियर । बनारस गजा–संसा स्त्री० [व०] घी में भूनकर चीनी के रस में पागी हुई गजेटियर । उ o- कुछ समय तक शुक्ल जी स्व० डा० हीरालाल , के साथ गजेटियर बनाने के कार्य में लगे रहे।-शुक्ल अभि० : मैदा की एक मिठाई। ग्रं० (जी०), पृ०६। गजाख्या-संज्ञा बी० [सं०] चकमर्द । चकवड़ [को०] | विशेष - इसमें देश के विभिन्न प्रांतों, जिलों आदि की जनसंख्या, गजाजीव-संज्ञा पुं० [सं०] महावत । हाथीवान । फीलवान [को०] । पैदावार, विशिष्ट स्थानों, धर्म, रीति रिवाज, इतिहास तथा . गजाधर-संज्ञा पुं० [सं० गदा, प्रा० गया+सं० घर] दे० 'गदाधरः। भूगोल आदि का विशद वर्णन होता है। विशेष-इसका प्रयोग केवल नामों में होता है। गजेण्टा-संज्ञा स्त्री० [सं०] विदारी कंद । भूई कुम्हड़ा। ...... गजानन-संज्ञा पुं० [सं०] गणेश का एक नाम । गजोषणा-संज्ञा स्त्री० [सं०] गजपिप्पली [को०] । गजायर्वेद-संज्ञा पुं० [सं०] हाथियों की चिकित्सा का शास्त्र [फा०]। गज्जनाल-क्रि० प्र०सै० गर्जन, प्रा० गज्जण] दे० 'गरजना' 170- गजारि--संघा पुं० [सं०] १.सिंह । २.शिव का एक नाम । ३. एक मृग व्याघ्र चीते रिछ जत्र गज्ज।ह० रासो, पृ०,३६ । प्रकार का शाल वृक्ष। गज्ज-संवा पुं० [अनु॰] वह भूमि जो कीचड़ से भरी हो और . विशेष-यह प्रायः आसाम में अधिकता से होता है। इसके पत्ते जिसमें पर फंसे । दलदल । बड़े होते हैं और इसकी डालियों से खूटियाँ बनाते हैं। 'डज्जल-संज्ञा पुं० [सं० ?] अंजीर ।। गजारोह-संश पुं० [सं०] फीलवान । महावत [को०)। " गज्झा-संहा पुं० [सं० गज्ज शब्द] बहुत से छोटे छोटे बुलबुलों गजाल-संज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार की मछली । २. खूटी। का समूह जो पानी, दूध या किसी और तरल पदार्थ में उत्पन्न गजाला-संज्ञा पुं० [अ० गजालह] मृगशावक । हिरन का बच्चा। हो । गाज । लव की फि लाल बटणां से कमा जाद३. मुहा०-गज्झा देना या छोड़ ना मछली का पानी के अंदर से . तेरे नैन गजाला से कहूँगा । कविता को०, भा० ४,१०५। थाहर बुलबुला फेकना। विशेष-(सौरी या गिरदा मछली के पानी के अंदर साँस लेने .. गजाशन-संज्ञा पुं० [सं०] १.पोपल । २.अश्वत्थ वृक्ष । ३.कमल .. से प्रायः • ऊपर बुलबुले निकलते हैं। इसे शिकारी या मछुए की जड़ (को०)। 'गज्झा देना या छोड़ना' कहते है। इससे उनको मालूम हो । गजासुर--संशा पुं० [सं०] एक असुर जिसका संहार शिव ने । जाता है कि यहाँ सौरी या गिरदा मछली है) । गया किया था ।को। मारनागज्झा छोड़ना। गजास्य-संज्ञा पुं० [सं०] गणेश का एक नाम। २. गज । गजाह्वा-संञ्चा स्त्री॰ [सं०] गजपिप्पली [को॰] । ‘गज्झा-स्त्री० पुं० [सं० गज्ज, मि. फा० गंज] २. डेर। गोन। .. 1. अंवार । २.खजाना । कोश । ३.धन। संपत्ति। गजिया-संहा स्रो० [हिं० गज+इया (प्रत्य॰)] विटाई करनेवालों मुहा०---गज्झा मारना-माल' मारना। रुपया हाथ में करना। का एक औजार। गज्झा दबाना माल दबाना या हड़प करना । अनुचित रूप . विशेष--इसपर विटा हुआ तार उतारा जाता है। यह लकड़ी से बहत सा धन एकबारगी ले लेना। माल मारना । की होती है और इसके दोनों कोने झुके होते हैं। .:.'. ४.लाभ । फायदा । मुनाफा । . . . . . गजी--संज्ञा पुं० [फा० गजी] कुछ कम चौड़ा एक प्रकार का मोटा गज्झिन-वि० [हिं०] दे० 'गझिन' 1. देशी कपड़ा जो सस्ता होता है। गाढ़ा। सल्लम । उ०-- गझिन -वि० [हिं ० गंजना] १.सघन 1 30-लंबी गझिन दाढ़ी . ..: पतिव्रता को गजी जुरै नहिं रूखा सूख अहार ।-कबीर०... के कारण खाँ साहिब का चेहरा बड़ा भयानक लगता था- . पा०, भा० ३, पृ०५१। " . भारतेदु ग्रं०, भा० १, पृ० १८४ । ... मुहा---गजी गाढ़ा-मोटा, साधारण सौर सस्ता कपड़ा । . गझिनाना--कि० अ० [हिं०. . गझिन] गजिन होना । सघन होना।