पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१४०

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. ..... .. .......... . | गणेशसंहिता १२२२ गतव्यश्न गणेशसंहिता-संसा की [सं०] गाणपत्य संप्रदाय के एक उपपुराण ७. नृत्य में शरीर का विशेप संचालन और मुद्रा । नाचने का . . का नाम को ठा । जैसे,-मार की गत, थाली की गत, झुरमुट की गतः। गएय-वि० [सं०]..१:गिनने के योग्य गिनती के लायक । २. क्रि०प्र०--भरना। .

जिसकी पूछ हो। जिसे लोग कुछ समझे। प्रतिष्ठित । उ० यो०. गलकामप=पापरहित । कालुष्पदिहीन । पतकाल

|.. सु वधू इस गण्य गेह की ।-साकेत, पृ० ३६२।। व्यतीत समय । नीता समय। गतस्लम पकान रहित । यो-गण्यमान्य प्रतिष्ठित । : - गतचेतना-चेतनारहित । बेहोश। मतप-लज्जारहित । | गण्यपराय--संज्ञा पुं॰ [सं०] गिनती के हिसाब से विकनेवाली वस्तुएँ । निर्लज्ज । गतपंचमी-सूर्यमंडल भेदकर मुक्ति प्राप्त करने | " दे पदार्थ जिनकी विक्री गिनती के हिसाब न हो। की अवस्था । पाँचवीं गति । मोक्ष । उ०-भूझ मुका रण मैं , गतंडा--संक्षा पुं० [सं० गताण्ड] [ली मतंडी] पुस्त्वविहीन । हिजड़ा। जिके, गत पंचमी गयाह । बाँकी ०भा०,१, पृ०३ : नपुसका-(मारवाड़ी)। . गतकांश पुं० [सं०] गमन । गति । जाना [को०] । गत -वि० [सं०] १. गया हुवा । बीता हुआ.1. जैसे-त मान, गत दिन, गत वर्ष। गतका-पंझ ० [सं० गदा या गदक; मि० तु० कुरकह =मोटा और .. 1. विशेष समस्त पद के आदि में यह शब्द 'गया हुआ', 'रहित', छोटा डंडा; फा०कुतका] १. लकड़ी का एक डंडा जिसके . .. 'शून्य' का अर्थ देता है और अंत. में प्राप्त', 'पाया हुआ', कपर चमड़े को खोल चढ़ी रहती है। ...'पहुँचा हुआ' का अर्थ देता है। जैसे,—गतप्राण, गतायु, तथा विशेष—यह डंडा ढाई तीन हाय लंवा होता है जिसमें प्रायः . . गत; कुक्षि गत । उ०—जलिगत सुभ नुमन जिमि जन बस्ता भी लगा रहता। लोग इसे लेकर खेलते हैं । खेलते ..सुगंध कर दोउ -तुलसी (शब्द०)। समय दो खेलाडी परस्पर खेलते हैं। खेलनेवाले दाहिने हार्थ .२:मरा हया। मृत ।... में गतका और बाएं हाथ में फरी रखते हैं। गतके के वार C, ..महा.--गत होना=मरना । मर जाना। को विपक्षी फरी से रोकता है और रोक न सकने की अवस्था ३.रहित । हीन । खाली। उ०-सरिता सर निर्मल जल सौहा। में चोट या मार खाता है। कभी-कभी खेलाड़ो केवल गतके ... संत हृदय जस गत मद मोहा।—तुलसी (शब्द०)। . ही से खेलते हैं। उस समय के खेल को 'एकगी' कहते हैं। :: गत--संक्षा स्त्री० [सं० गति] १.अवस्था । दशा । हालत । १. वह खेल जो फरी और गतके से खेला जाता है। क्रि०प्र०-- करना ।—होना । गतकुल-संज्ञा पुं॰ [सं०] वह सम्पत्ति जिसका कोई अधिकारी ने बंचा

मुहा०-गत का काम का । अच्छा। भला ।. जैसे - गत का

हो । लावारसी माल या जायदाद । .. कपड़ा भी तो उनके पास नहीं गत बनाना=(१) दुर्दशा गतप्रत्यागत-संज्ञा पुं० [पुं०] १. संगीत में ताल के साठ भेदों में एक। - करना। दुर्गति करना । (२) अपमान । डाँटना उपटना। २. गतागत । पैतरा। कावा। उ०-गतप्रत्यागत में और मारना पीटना । दंड देना। खबर लेना । जैसे, - घर पर । जायो, देखों तुम्हारी कैसी गत बनाई जाती है। (३) हँसी . प्रत्यावर्तन में दूर वे चले गए। लहर, पृ० ६६ । ठट्ट में लज्जित करना । उपहास करना। झिपाना । उल्ल गतप्रत्यागता--संज्ञा स्त्री॰ [सं०| धर्मशास्त्र में वह स्थी जो ग्राने पति .: बनाना। जैसे-वे अपने को बड़ा वोलनेवाला लगाते थे, के घर से उनकी प्राना के विना निकलकर चली गई हो और . कल उनकी भी खव गत वनाई गई। फिर कुछ दिन बाद यथेच्छ वाहर रहकर अपने पति के घर २. रूप । रंग। देश । आकृति । लौट आई हो । ऐसी स्त्री के साथ उनके पूर्व पति का शास्त्रा- मुहा०-गत बनाना=(१) रूप रंग बनाना। वेश धारण नुसार पुनर्विवाह संस्कार होना लिखा है। .... ....करना । जैसे,—तुमने अपनी क्या गत बना रक्खी है। (२) गतप्राय-वि० [सं०] पि० सी० गतप्रारण] बीता था। अमृत रूप रंग बनाना । प्राकृति बिगाड़ना। जैसे, होली गतविस्मय-वि० [सं०] पाश्चर्य से मुफ्त । विस्मय रहित।०-

में उनकी खूब गत वनाई जायगी।

सुनि ये बचन नंद के नये। गोप सबै गतविस्मय भये ।-नंद ३.काम में लाना । सुगति । उपयोग । जैसे—ये आम रते हुए ग्रं॰, पृ० ३११ । . . हैं। इनकी गत कर डालो। गतभर्तृका-संवा स्त्री० [सं०] १. विधवा स्त्री। २. वह स्त्री जिसका .. . क्रि० प्र०—करना ।—होना । पति परदेश गया हो । प्रोपितभर्तृका (३०)। ४. दुर्गति । दुर्दशा । नाश । जैसे-तुमने तो इस किताव की गत गतरस-वि० [सं०] रस से रहित । पानंदशून्य । मीरत । उ०- कर डाली। और कई जगह मकान गतरस हो गये ।-सुंदर ग्रं०, भा० क्रि०प्र०-करना ।—होना। १, पृ० १७४ । । ५. मृतक का क्रिया कर्म । ३. संगीत में वाजों के कुछ वोलों का गतलक्ष्मीक-वि० [सं०] १.कांतिहीन । दीप्तिरहित । म्लान । २. नमवद्ध मिलाना । जैसे-सितार पर भैरवी की गत बजा गरी . घाटे की यंत्रणा से पीड़ित । धनवंचित [को०। क्रिय-निकालना ।-वजाना । ... ...::.: . गतव्यय-वि० [सं०] पीड़ा या कष्ट से रहित [को०] . ... ..