पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१५०

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गद्गदस्वरे १२२७ गद्यात्मक.. दीनशीनवाधिकार होना गद्गदस्वर--संक्षा पुं० [सं०] १. अस्पष्ट स्वर । हकलाना। २. मुहा०-गद्दी पर बैठना-(१) सिंहासनारूढ़ होना। २.. महिष । भैसा (को०)। उत्तराधिकारी होना । गद्दी लगाकर बैठना=अधिकार जताते गद्गदिका-~-संघा स्त्री० [सं० गद्गदिका] हकलाहट [को०] । - हुए आराम के साथ बैठना। .. गद्द --संज्ञा पुं० [अनु॰] १. मुलायम जगह पर किसी चीज के गिरने ५. किसी राजवंश की पीढ़ी या प्राचार्य की शिष्यपरंपरा। का शब्द । २. किसी गरिष्ठ या जल्दी न पकनेवाली चीज के जैसे,--(क) चार गद्दी के बाद इस वंश में कोई न रहेगा। कारण पेट का भारीपन । (ख) यह गुरु की चौथी गदूदी है। मुहा० (किसा चाज का) गद्द करना=(किसी चीज का) मुहा०-गद्दी चलाना-वंशपरंपरा या शिष्यपरंपरा का जारी । पेट में जाकर न पचना और जम जाना। गद्द धरना=गद का होना । उत्तराधिकारियों का क्रम चलना। .. रोग होना। ६. कपड़े आदि की बनी हुई वह मुलायम तह जो किसी चीज के ३. एक कल्पित लकड़ी जिसके विषय में गवारों का विश्वास है नीचे रखी जाय। ७. हाथ या पैर की हथेली। कि वह जिसे स्पर्श करा दी जाय, उसे मूर्ख बना देती है अथवा मुहा०-गद्दी लगाना-घोड़े को हथेली या कुहनी से मलना। स्पर्श करानेवाले के वंश में कर देती है। ६. एक प्रकार का मिट्टी का गोल बरतन जिसमें छीपी रंग रखकर' महा०- गदद मारना-अपने वश में करना । गद्ध मारा जाना पाई.का काम करते हैं। . .. जड़ हो जाना । वेवकूफ बन जाना। गद्दीनशी-वि० [हिं० गद्दी+फा० नशीन्] दै० 'गद्दीनशीन' । गद्द-वि० जड़ । मूर्ख 1 बेवकूफ । गद्दीनशीन-वि० [हिं० गद्दी+फा० नशीन] १. सिंहासनारूढ़ । गद्दम-संज्ञा पुं० [देश॰] पीले रंग की एक छोटी चिड़िया जिसका जिसे राज्याधिकार मिला हो । २. उत्तराधिकारी। पर सफेद और पेट लाल होता है । गद्दीनशीनी-संवा स्त्री० [डि गद्दी+फा० नशीन+ई (प्रत्य॰)] गद्दर-वि० [देश॰] १. जो अच्छी तरह पका न हो । अधकचरा। गद्दी पर बैठना । अधिकारारूढ़ होना। अधपका । २. गुदगर । मोटा। गद्दा । गद्य'-संधा पुं० [सं०] १. वह लेख जिसमें मात्रा और वर्ण की संख्या - और स्थान आदि आधार पर विराम या यति का कोई नियम गद्दह –संडा पुं० [सं० गर्दन, प्रा० गद्दह] दे० :गर्दभ'। उ०- या बंधन न हो। वार्तिक । वचनिको । २. काव्य के दो भेदों वेसरि अरु गद्दह लष्ख इति का महिसा कोटी।कीतिक, में से एक जिसमें छंद और वृत्त का प्रतिबंध नहीं होता और पृ०६४। बाकी रस, अलंकार आदि सब गुण होते हैं। गदा -संज्ञा पुं० [हिं० गद्द से अनु०] १. रूई, पयाल आदि भरा विशेष-अग्निपुराण में गंद्य तीन प्रकार का माना गया है-- हुआ बहुत मोटा और गुदगुदा विछौना। भारी तोसकं आदि। चूर्ण क, उत्कलिका और वृत्तगंधि । चूकि वह है जिसमें छोटे । गदेला । २. टाट का बना हुआ फुट भर मोटा एक चौकोर छोटे समास हों, उत्कलिका वह है जिसमें बड़े बड़े समस्त , बिछावन जिसके बीच में प्रायः गज भर लंवा एक छेद होती पद हों, और वृत्तगंधि वह है जिसमें कहीं कहीं पद्य का सा । है और जो हाथी की पीठ पर हौदा कसने से पहले रखकर माभास हो । जैसे,-हे बनवारी, कुजविहारी, कृष्णमुरारी, 'बांधा जाता है। यसोदानं दन हमारी विनती सुनो।' वामन ने भी अपने वामन- .. क्रि० प्र०-कसना । -खींचना । सूत्र में ये ही तीन भेद माने हैं। विश्वनाथ महापात्र ने - ३. घास, पयाल, रूई आदि मुलायम चीजों का बोझ । ४. किसी . साहित्यदर्पण में एक और भेद मुक्तक माना है जिसमें, कोई . मुलायम चीज की मार या ठोकर । समास नहीं होता। ये भेद तो. पदयोजना या पीली के अनुसार कि० प्र० - लगना । लगाना । हुए। साहित्यदर्पण के अनुसार गद्यकाव्य दो प्रकार का होता गद्दा- संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'गदहिला' । है—(क) कथा और । (२) आख्यायिका। कथा वह है जिसमें गद्दा- संवा पुं० [हिं० या देश.] अनुमान । अटकल । 10--किसी सरस प्रसंग हो, सज्जनों और खलों के व्यवहार आदि का फिलासफर ने अंक्ली गद्दे लड़ाने के सिवा और कुछ किया वर्णन हो और प्रारंभ में पद्यबद्ध नमस्कार हो । आख्यायिका 'है ?--गोदान; पृ० १२६ ।। में केवल इतनी विशेषता होती है कि उसमें कवि के वंश आदि . का भी वर्णन होता है। गद्य के विषय में प्राचीनों के ये सब . गद्दी-संशा औ० [हिं० गदा का झी० और अल्पा०] १. छोटा विवेचन आजकल उतने काम के नहीं हैं। गंददा। २. वह कपड़ा जो घोड़े, ऊँट यादि की पीठ पर काठी ३. संगीत में शुद्ध राग का एक भेद । या'जीन प्रादि रखने के लिये डाला जाता है। ३. व्यवसायी मारमोलने करने या अचारशा के योग्य कोना आदि के बैठने का स्थान । जैसे,—सराफ की गद्दी, कलंवार गद्याण संथा पुं० [सं०] दे० 'गद्यागक' । की गद्दी, महंत की गद्दी। उ० इंद्र ने 'देवतांत्रों के गद्यारणक-संहा- पुसंकलिंग देश का एक प्राचीन मान जो ४८ ' देखते मुझे अपनी गद्दी पर बिठायो । '--लक्षमणसिंह . रत्ती या ६४ घुघचियों का होता था। ... (शब्द०)। . गद्यात्मक-वि० [सं०] [ स्त्री• गद्यास्निका गद्य में लिखा या रचा, -राजगदी। गद्दीनशीन । हुआ। गद्य 'का।