पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१६३

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वा . . . . . १२४० गरुड़व्यूह "गरमा -वि० [सं० गुरुक] [वि०सी० गइ@,गरुई] १. भारी। विशेष—इसमें अगला भाग नोकदार, मध्य का भाग विस्तृत ..." वजनी । २. गौरवयुक्त । गौरवशाली। उ०—बैठहु पाट छत्र पिछला भाग पतला होता है । ...'नव फेरी। तुम्हरे गरव गरुइ मैं चेरी।—जायसी (शब्द॰) । ५. वीस प्रकार के प्रासादों में से एक। , गरुमाई -संशा सी० [हिं०] गुरुता। भारीपन । ३०-हरि हित . विशेष----इसमें बीच का भाग चौड़ा तथा अगला और पिछला हरहु चाप गल्याई तुलसी (शब्द०)। माग. नुकीला होता। ..... गरुपाना-क्रि० अ० [हिं० गरुपा+ना (प्रत्य॰)] भारी लगना। ६. चौदहवें कल्प का नाम । ७. जैन मत के अनुसार वर्तमान ... वजनी महसूस होना। अवसपिरणी के सोलहवें अर्हत् का गणधर। ८. श्रीकृष्ण के गरुड-जा पुं० [सं० गरुड] १.विष्णु के वाहन जो पक्षियों के राजा एक पुत्र का नाम । ६. छप्पय छंद का एक भेद। १०.नृत्य ..... माने जाते है। . . में एक प्रकार का स्थानक जिसमें वाएं पैर को सिकोड़कर न्य विनता के गर्भ से उत्पन्न कश्यप के पुत्र है। इनका दाहिने पैर का घुटना जमीन पर टेकते हैं। उत्पत्ति के विषय में यह कथा है कि एक बार कश्यप जी ने गरुडकेत--संवा पुं० [सं० गरुडकेतु] कृष्ण (को०)। .:, पुत्रप्राप्ति की इच्छा से यज्ञ का अनुष्ठान किया। उनके यज्ञ गरुड़गामो-संज्ञा पुं० [सं० गरुडगामिन्] १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण । " के लिये इंद्र, बालबिल्य तथा और और देवता लकड़ी आदि न०-इहाँ श्री कासों कहों गरुड़गामी।-सूर (शब्द०)। सामग्री इकट्ठी करने लगे। इंद्र ने थोड़ी ही देर में लकड़ी का गरुड़घंटा-संज्ञा पुं० [सं० गरुड+घंटा] ठाकुर जी की पूजा में -... - ढेर लगा दिया और अंगुष्ट भर के वालखिल्यों को पलाश की बजाया जानेवाला वह घंटा जिसके ऊपर गरुड़ की मूर्ति बनी .... एक टहनी घसीटते देखकर वह उनकी हँसी करने लगा। रहती है। इसपर बालखिल्यगण कुपित होकर कश्यप का पुत्र दूसरा गरुडध्वज - संद्धा पुं० [सं० गरुडध्वज] १. विष्णु । २. एक प्रकार इंद्र उत्पन्न करने के प्रयत्न में लगे। अंत में कश्यप ने उन्हें का स्तंभ जिसपर गन्ड़ की आकृति बनी रहती है। ३. गुप्त समझाकर शांत किया और कहा कि तुम जिसे उत्पन्न राजाओं का राजकीय चिह्न [को०। .: करना चाहते हो, वह पक्षियों का इंद्र होगा। अंत में गरुड़पक्ष-संज्ञा पुं० [सं० गरुडपक्ष नृत्य में कुहनो टेढ़ी करके दोनों .. विनता के गर्भ से कश्यप ने अग्नि और सूर्य के समान गरुड़ हाथ कमर पर रखने का भाव । और अरुण दो पुत्र उत्पन्न किए। गरुड़ विष्णु के वाहन गडपाश-संज्ञा पुं० [सं० गण्डपाशं ] एक प्रकार का फंदा या - हुए और अरुण सूर्य के सारथी। गरुड सों के शत्रु समझे फाँसी। इसे प्राचीन काल में शत्रु को फसाने और वाँधने के जाते हैं। लिये उस पर फेंकते थे। पर्या- गरुत्मान् । ताक्ष । वक्तेय । सुपर्ण। नागांतक । पन्नगा- गरुडपराण: संज्ञा पुं० [सं० गरुडपुराण अठारह पुराणों में से एक । ...' शन। पपनगारि ।' पक्षिराज । विष्णरय । तरस्वी । विशेष—इसमें विशेषकर यमपुर तथा अनेक प्रकार के नरकों का ...अमृताहरग। शाल्मलिस्थ । खगेश्वर । वर्णन है । प्रेत कर्म का विधान भी इसमें है। घर के किसी बड़े . यौ०-गरुड़गामी । गरुड़ासन । गरुड़केतु । गरुडध्वज। बुढ़े व्यक्ति की मृत्यु के अनंतर लोग इसकी कथा सुनते हैं। २. वहुतों के मत से उकाव पक्षी, जो गिद्ध की तरह का योर गरुडप्लुत-संधा पुं० [सं० गरुडलुप्त नृत्य में एक प्रकार का भाव "बहुत बलवान होता है।। जिसमें हाथों को लता की तरह और पैरों को बिच्छू की विशेष-इसकी चोंच की नोक कुछ मुड़ी होती है और इसके तरह फैलाकर छाती ऊपर की ओर उभारते हैं। पर पंजों तक छोटे-छोटे परों से ढके रहते हैं। यह अपने गरुड़भक्त-संज्ञा पुं० [सं० गरुडमक्त] गरुड़ की उपासना करनेवाला .... चंगुल में भेड़ बकरी के बच्चों तक को उठा ले जाता और " एक संप्रदाय । - खाता है। अपने बल के कारण यह पक्षिराज कहा जाता है। विशेष-भारतवर्ष में ईसा के जन्म के पूर्व से यह संप्रदाय . पश्चिम की प्राचीन जातियों में रोमक (रोमन) लोग उकाव प्रचलित या। को जोव (प्रधान देवता इंद्र) का पक्षी मानते थे और उसे.. गरुड्यान-संज्ञा पुं० [सं० गरुडयान] १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण । _.. मंगल तथा विजय का चिह्न समझते थे। अब भी रूस, गरुड़रुत - संज्ञा पुं० [सं० गडरुत सोलह अक्षरों का एक वर्ण वृत्त। - प्रास्ट्रलिया और जर्मनी आदि देश उकाव का चिह्न ध्वजा विशेष-इसके प्रत्येक चरण में नगए, जगण, भगण, जगण . आदि पर धारण करते हैं। इन सब बातों से संभव जान . और तगण तथा अंत में एक गुरु होता है-न, ज, भ, जा पड़ता है कि गरुड़ उकाव हो का नाम हो। त, ग। जैसे, नजु भज त गुख्याल निशि वासर रे मना । ३ एक सफेद रंग का वड़ा पक्षी जो पानी के किनारे रहता है। लहसि न सौर भूलि कहुयल कीन्हें बना। हरि-हरि के कहे ... विशेष--यह तीन साढ़े तीन फुट ऊंचा होता है और इसकी भजत पाप को जूह यों। गरुड़न्त सुनै भजन सपं को .... गरदन तारस की तरह लंबी होती है जिसके नीचे एक .. . 'थैली सी लटकती रहती है। यह मछलियां, केंकड़े आदि व्यूह ज्यों। पकड़कर खाता है। इसे पड़वा ढेक भी कहते हैं। गरुड़व्यूह-मंचा पुं० [सं० गजमूह] रणस्थल में सेना के जमाव या ....४.सेना की एक प्रकार की व्यूहरचना । गडक्यूह। स्थापन का एक प्रकार।