पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२४३ उड़ाना = नष्ट या चौपट करना। धूल में मिलाना । बरवाद जिता नाम की लता । ३. सफेद कंटकारी । ४. गर्दभिका ' ... ..करना । जैसे,-सेना ने नगर की गर्द उड़ा दी। गदं झड़ना= नामक रोग। ५. गदही। , . ऐसी मार खाना जिसकी परवाह न हो। गर्द फाँफना=व्यर्थ गर्दाबाद-वि० [फा०] १. गर्द से भरा हुआ। २.उजाड़। ध्वस्त । "... घूमना । आवारा फिरना। गर्द को न पहुचना या न लगना= गिरा पड़ा। ३. बेसुध । वेहोश। समता न कर सकना । गर्द होना=(१) तुच्छ होना । समता गर्दालू-संज्ञा पुं० [फा०गर्द( =गोला)+मालू] मालू बारा के योग्य न होना। हेच होना । जैसे;-इसके सामने सब गर्द गर्दिश-संशा श्री० [फा०] १. घुमाव । चक्कर। ' है। (२) नष्ट होना । चौपट होना। क्रि० प्र०—करना । यौ०-गर्द गुवार धूल मिट्टी। गरदा । २. विपत्ति । आपत्ति । दिनों का फेर । क्रि० प्र०-उठना ।-उड़ना ।-निकलना ।-बैठना । क्रि० प्र०-पाना ।-होना। जमना। यौ०-गदिशे जमाना = दिनों का फेर दुर्भाग्य। ... गर्द–वि० [फा०] घूमने या भटकनेवाला । ३. गति । हरकत । ४. परिवंतन । विशेष—यह केवल समस्त रूप में प्राप्त है। जैसे; आवारागर्द। गर्दुप्रा-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'गरदुआ'। गर्दखोर'—वि० [फा० गर्दखोर ] जो गर्द या मिट्टी आदि पड़ने से गर्दू-संज्ञा पुं० [फा०] १. गाड़ी। यान । रथ । २. आकाश (को०)। जल्दी मैला या खराव न हो । जैसे,—खाकी रंग। गद्ध, गर्घ--संधा पुं० [सं०] [वि. गौँ, गद्धित] १. स्पृहा । लोभ । गर्दखोर-संज्ञा पुं० नारियल की जटा या इसी प्रकार की और चीजों लिप्सा। २. गर्दभांड नाम का वृक्ष । पलखा। पाकर। . . ___ का बना हुया गोल या चौकोर टुकड़ा जो पांव पोंछने के काम गद्धन, गर्धन-वि० [सं०[ लुब्ध । लालची। ' आता है। गद्धित, गधित-वि० [पुं०] लुन्ध । लालची । लोभी। गर्दखोरा-वि०, संचा पुं० [फा० गर्दखोर] दे० 'गर्दखोर' । गर्दी, गर्धी-वि० [सं० गद्धिन्] [स्त्री. गद्धिनी] १.लोभी । लालधी। गर्दन-संक्षा पुं० [हिं०] दे० 'गरदन'। २.लुब्ध। गर्दना-संक्षा पुं० [हिं०] दे० 'गरदना'। गर्नाल-संशश्वी० [हिं०] दे० 'गरनाल'। गर्दनाह्वय-संज्ञा पुं० सं०] कुमुद । कोई [को॰] । गर्व-संशा पुं० [सं० गवं] दे० 'गर्व' । गर्दभंग-संक्षा पुं० [हिं० गर्द-भंग] एक प्रकार का गांजा, गबगहालाव० खाहगर वाला विशेष—यह कश्मीर के दक्षिणी भागों में उत्पन्न होता है। इसे हुई। उ०--राधा हरि के गर्वगहीली। सूर०, १०।१७७२।। चूरू चरस भी कहते हैं। गर्बना-क्रि० स० [सं० गवं] गर्व करना । अभिमान करना। गीला-वि० [हिं०] [वि. श्री गर्वीली] गर्वयुक्त । अभिमानी। गर्दभ-संगा पुं० [सं०] १. गधा। गदहा। २. श्वेत कुमुद। सफद गर्भड..-संज्ञा पुं० [सं० गर्भण्ड] वह नाभि जो अड का तरह गए कोई। ३.विडंग । ४. गहिला नामक कीड़ा। हो। नाभि का बढ़ना। गर्दभक-संज्ञा पुं० [सं०] १. गुवरला नामक कीड़ा । २. एक चर्म गर्भ-संथा पुं० [सं०] १.पेट के अंदर का बच्चा। हमलं । जैसे- हो रोग। गदहिला। गर्दभिका (को०] | उसे तीन महीने का गर्म है। उ.-चलत दसानन डोलति . गर्दभगद--संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का चर्मरोग । गर्द भिका [को०] अवनी। गर्जत गर्भ नवहिं सुर रवनी ।—तुलसी (शब्द०)। गर्दभयाग-संग्रा पुं० [सं०] वह यज्ञ जो ब्रह्मचर्य व्रत से च्युत होने के दीप के प्रायश्चित्त के रूप में किया जाता है। अवकीर्ण विशेष-स्त्री के रज और पुरुष के वीर्य के संयोग से गर्भ की स्थिति होती है। हारीत के मत से प्रथम दिन शुक्र और गर्दभशाक-संज्ञा पुं० [सं०] भारंगी। ब्रह्मयष्टि । शोणित के संयोग से जिस सूक्ष्म पिंड की सृष्टि होती है, गर्दभशाख, गर्दभशाखी-संचा स्त्री० [सं०] दे॰ 'गर्दभशाक' । . उसे कलल कहते हैं। दस दिन में यह कलल बधूलों के रूप . गर्दभांड-संज्ञा पुं० [सं० गर्दभाण्ड ] १. पलखा । पाकड़ । पाखर । .. में होता है। एक महीने में सूक्ष्य रूप में पांचों इंद्रियों की ... उत्पत्ति और पंचभूतों की प्राप्ति होती है। तीसरे महीने हाथ प्लक्ष । २. पीपल [को०] ।.. . पैर निकलते हैं और साढ़े तीन महीने पर सिर या मस्तक गर्दभा-संशा श्री. [सं०] सफेद कंटकारी। उत्पन्न होता है और उसकी भीतरी बनावट पूरी होती है। गर्दभि-संज्ञा पुं० [सं०] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम। . . चौथे महीने में रोएँ निकलते हैं । पाँचवें महीने जीव का गर्दभिका-संवा स्त्री० [सं०] एक रोग का नाम जिसमें वात पित्त सचार होता है। छठे महीने में बच्चा हिलने डोलने लगता के विकार से गोल ऊची फुसियां निकलती हैं। इन फुसियों है। दसवें या अधिक से अधिक ग्यारहवें महीने में बच्चे का का रंग लाल होता है और इसमें बहुत पीड़ा होती है। जन्म होता है। इसी प्रकार सुश्रत ने पहले मस्तक, फिर. गदहिला । गदहिखी । . ग्रीवा, फिर दोनों पार्श्व और फिर पीठ का होना लिखा है। गर्दभी--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सुश्रुत के अनुसार एक कीड़ा । २. अपरा सुचत ने वक्षस्थल के अंदर कमल के आकार का हृदय माना.. याग । -