पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१७१

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गलगला १२४० गलता ... फेंकी और निकाली जाती है और इसमें वालू यादि समुद्र की वह भाग जिसके ऊपर लाल सूइयों की झालर लगी रहती है , - तह की चीजें लगकर वार निकलती हैं। ---(लरकरी)। यार जिसकी सहायता से मछली पानी में मिली हुई वायु को ४. अलसी और चूने के तेल को मिलाकर बनाया हुआ एक प्रकार अंदर खींचकर साँस लेती और पानी को बाहर ही छोड़ का मसाला . देती है। विशेप-यह लकड़ी आदि को चीजों की जोड़ने या छोटा छेद गलजंदg+-मंचा पुं० [हिं०] गले का हार । गलजेंदडा।। अथवा दरार आदि बंद करने के काम में आता है। इसे गलजंदडा-संज्ञा पुं० [सं० गल+यन्त्र, पं०जंदरा] १. वह जो सदा - पोटीन भी कहते हैं। साथ रहे। वह जो कभी पिंड न छोड़े। गले का हार । २. गलगला-वि० [हिं० गीला या अनु॰] [वि० सी० गलगली] रूमाल या कपड़े को पट्टी। भीगा हया । या । तर । उ०-ललन चलन सुनि चुप रही विशेप-यह गले में उस समय हाथ के सहारे या उसे लटकाने - बोली प्रायन इंठि। राख्यो गहि गाढ़े गरौ मनो गलगली के लिये बांधी जाती है, जक कि हाथ में किसी प्रकार की . दी।ि--विहारी (शब्द०)। चोट लगी हो या कोई घाव हो। गलगलाना"-क्रि० अ० [हिं गीला या अनु०] गीला होना। तर गलजोड़-त्री० [हिं०] दे॰ 'गलजोत' । - होना । भीगना। . गलजोत-संचाली० [हिं० गला+जोत] १. वह रस्सी या पगही ... गलगलाना-क्रि० स० [सं० गल्प+जल्पना ] वैकार की बातें यादि जिससे एक बैल के गले को दूसरे बैल के गले से लगा- करना । बढ़ चढ़कर बातें करना । जोर से बोलना। कर बांधते हैं । गलजोड़। २. गले का हार । गलजेंदड़ा। 'गलगलिया:--सबा जी० दिश०] किलहँटी या सिरोही नाम की गलजोतवि० असहय । . एक चिड़िया। गलभंपा.--संज्ञा पु० [हिं० गला+झप] एक प्रकार की लोहे की - गलगलिया-वि० [हिं०] बड़ बड़ करनेवाला । बेकार की बातें .. झूल जो युद्ध के समय हाथियों के गले में पहनाई जाती थी। करनेवाला। उ०-तैसे चंवर वनाए और धाले गलझंप । बंधे सेन गजगाह गलगाजना-क्रि० अ० [हिं० गाल+गाजना] खुशी ते गरजना । तह जो देख सो कंप। —जायसी (शब्द०)। गाल बजाना । वढ़ बड़कर बातें करना । उ० ---राम सुभाउ । गलतंग"--वि० [हिं० गला+तंग] वैसुध । वे खबर । सुने तुलसी हुलसे अलसी हमले गलगाजे ।--तुलसी (शब्द०)। गलतंग --वि० [सं० गलिताङ्ग] टूटाफूटा । नप्टभ्रष्ट । सड़ामला। गलतंग+--folio गलिता गलगुच्छा-संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'गलमुच्छा'। गलतंस संशा पुं० [सं० गलित-वंश] १. ऐसा मनुष्य जो कोई, गलगुयना-वि० [हिं० गाल+गुथना] जिसका बदन खूब भरा संपत्ति न छोड़कर मरा हो। २. ऐसे मनुष्य की संपत्ति जिसे __ और गाल फूले हों। मोटा ताजा । कोई संतति न हो। . गलगोजg+-पंज्ञा पुं० [हिं० गाल+गौज] वकबक । व्यर्थ विवाद । गलत-वि० [अ० गलत] [संशा स्त्री० गलतो] १. अशुद्ध । भ्रम- गप्पाप्टक । उ०---राम जी सों नेह नाही सदा अविवेक माही मूलक । २. असत्य । मिथ्या । झूठ । ..... मनुवां रहत नित करत गलगीज है ।-भीबा० १०, पृ०५६। क्रि० प्र०--करना ।--ठहरना ।- व्हराना 1--होना। गलग्रह-संज्ञा पुं० [सं०] १. ज्योतिप के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, . गलतकार-वि० [अ० गलत+फा० कार ] [ संवा गलतकारी ] सप्तमी, अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, अमावस्या और प्रतिपदा। गलत करनेवाला । जानबूझ कर चूक जानेवाला । अंट संट विशेप--गादि के मत से जब स्वाध्याय के प्रारंभ करते ही काम करनेवाला [को०] । . स्मृति के अनुसार अनध्याय पड़ जाय, तब उसे भी गलग्रह गलतकिया-संञ्चा सौ. [ हि० गाल+तकिया ] छोटा, गोल और कहते हैं। मुलायम तकिया जो गालों के नीचे रखा जाता है। . २. मछली का काँटा । ३. वह प्रारत्ति जो कठिनता से टले । ४. गलतगो-वि० [अ० गलत+फा० गो] मिथ्यावादी। झूठा (को०] । - गले का एक रोग जिसमें कफ बढ़ जाने से गला बंद हो जाता गलतनामा--संज्ञा पुं० [अ० गलत+फा० नामहJ अशुद्धियों का ... है। ५.एक प्रकार की पकी हुई मछली । ६. गला पकड़ना। विवरण या परिशिष्ट । शुद्धिपत्र। गला घोटना (को०)। गलतनी--संज्ञा स्त्री॰ [हिं गला+तनना ] वह रस्सी जो बैलों के गलघोटू-वि० [हिं० गला+घोट घोटनेवाला] १. गला घोंटने- गरावं में बांधी जाती है। पगहा । - वाला। २. अप्रिय । जैसे, गलघोटू काम या बात। गलतफहमी-संशा खी• [अ० गलतफहम+फा० ई (प्रत्य॰)1

गलचुमनी-संभ सो [हिं० गाल-चूमना] कान का एक गहना किसी ठीक वात को गलत समझना। भूल से कुछ का कुछ

.. .जो नालों पर गोलाकार रहता है। उ०-सिर पर है चेंदवा सनझना । न । शीशफूल, कानों में झुमके रहे झूल, विरिया गलथुमनी कर्ण क्रि० प्र०—पैदा होना । होना। फुल ।--ग्राम्या० । गलताँ-वि० [फा० गलता] दे॰ 'गलतान' । गलहर-संघा बी० [हिं० गला+छांट] मछली के गलफड़े के दोना गलता-मंद्या पुं० [अ० गलत] १. एक प्रकार का बरत सकता और कुरौं हड्डियों का बना हुआ, कमानी के ग्राकार का और नफ कपड़ा।