पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१७९

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वाशन १२५६ ... गव्यूति गवाशन' संज्ञा पुं० १.वह व्यक्ति जो जाति से बहिष्कृत हो । २. गवेरुक-संज्ञा पुं० [सं०] गेरू ! . - चमार । चांडाल [को०] । गवेला-वि० [हिं० गाँव+एल (प्रत्य॰)] [वि० गवेली] गँवार । गवास -संशा पुं० [सं० गवाशन] गोनाशक । कसाई। हत्यारा। देहाती। उ०—नागरि विविध विलास, तजि बसी गवैलिन उ०-काली मगु सुरसरि क्रमनासा। मर मारव महिदेव माहि । मुड़ो में गनिबी कितू हठयो दै इठलाहिं।-बिहारी

गवासा ।—तुलसी (शब्द॰) ।

(शब्द०)। - "गवास -संघात्री० [हिं० गाना+प्रास (प्रत्य॰)] गाने का मन। गर्वश-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'गवीश' [को०] | .. गाने की इच्छा। गवेप-संचा पुं० [सं०] दे० 'गवेपण' [को०] ।

- गवाह-संशा पं० [फा०] संश गवाही] १. बद्र मनप्य जिसने किसी गवेपण-संज्ञा पुं० [सं०] (हरी हई गायों के) खोजने का कार्य । २.

खोज टू । तलाशे । ३. गौ की इच्छा या चाह [को०] । - घटना को साक्षात् देखा हो। वह जिसके सामने कोई बात गवेषणा-संवा श्री० [सं०] खोज । अन्वेपण । तलाश । छानवीन । .. हुई हो। २.वह जो किसी मामले के विषय में जानकारी रखता हो। साक्षी। साखी। विशेप-प्राचीन काल में पार्यों का सर्वस्व गो थी। जब गो हरी जाती थी या कोई चुरा ले जाता था, तब वे लोग उसे बड़े - यो०-वाह साखी। परिथम से हूँ ढ़ते थे। वेदों में परिण असुर के गो चुराने पौर इंद्र '... मुहा०-वाह देना-अपने दावे को सिद्ध करने के लिये प्रमाण- का अपनी कुतिया सरमा को उसे ढूँड़ने को भेजने की गाथा '. स्वल्प साक्षी उपस्थित करना । गवाह बनाना=(१) साक्षी २. 'बनाना। मुकदमे में किसी को गवाही देने के लिये नियत इसका उदाहरण है। इसी लिये यह शब्द, जिसका वास्तविक अयं गो की इच्छा है, खोज या तलाश के अर्थ में लिया जाता है। .' करना । (२) झूठा गवाह बनाना। गवाह ऐनी या व्यत- गवेपित- वि० [सं०] जिसके विषय में गवेषणा हुई हो । अन्वेषित वह गवाह जिसने घटना अपनी आँखों देखी हो । चश्मदीद [को०)। गवाह । गवाह समाई-वह गवाह जिसने घटना आँखा से न गवेपी-०सं० [सं० गवेपिन] अन्वेषक । गवेपणा करनेवाला । शोध देखी हो और जो सुनी सुनाई बात कहे । चश्मदीद गवाह वह करनेवाला को०] 1 ... गवाह जिसने कोई घटना आँखों देखी हो । गवेसना@-संवा स्त्री० [सं० गवेषणा] दे० 'गवेपणा'। गवाही-संवा ली [फा०] किसी घटना के विषय में किसी ऐसे गवेसी-वि० [सं० गवेषिन् > गवेपी] गवेपणा करनेवाला। हूँ ढ़ने- -:, . , मनुष्य का कयन जिसने वह घटना देखी हो या जो उसके विपय

वाला । उ-वहाँ से गुरु पावौँ उपदेसी। अगम पंथ जो कहै

में जानता हो। साक्षी का प्रमाण । साक्ष्य । गवसी।-जायसी (शब्द०)। 'मुहा०- गवाही करना या लिखना=किसी दस्तावेज पर साक्षी गवहां --वि० [हिं० गाँव+ऍहा (प्रत्य॰)] गांव का रहनेवाला। ':' के रूप में हस्ताक्षर करना 1 गवाही देना=किसी माक्षा का ग्रामीख । देहाती। किसी घटना के विषय में अपना इजहार लियाना । गवैया–वि० [पुं० हि गायब गाना+ऐया (प्रत्य॰)] गानेवाला । गविण्ठ–संञ्च पुं० [मं०] १.पृथिवी या ग्राकाश से सबंधित कोई गायक। ... वस्तु । वह जो पृथिवी या याकाश का हो। २.रवि । विशेष-'ऐया' प्रत्यय पूर्वीय है । इससे यह क्रिया अयवा धातु - सूर्य [को॰] । . के पूर्वीय रूप 'गावना' में ही लगता है।। गविष्ठि-वि० [सं०] १.गायों की इच्छा रखनेवाला। २. इच्छुक । गवैया -वि० [हिं० गवन या गौन-ऐया (प्रत्य॰)] जानेवाला। . गविष्ठिर-संज्ञा लो०१. इच्छा। ग्राफांक्षा । २.युद्ध करने की गव्य'-वि० [सं०] गो से उत्पन्न । जो गाय से प्राप्त हो। जैसे-दूध, ... इच्छा । युद्धलिप्सा [को०)। दही, घी, गोवर, गौमूत्र आदि । २. माय बैलों के अनुकूल या - गोधुक-शा पुं० [सं०] दे० 'गवेधुक' । उपयुक्त (फो०)। • गवीश-शा पुं० [सं०] १.गोस्वामी । २.विष्णु । ३.साड़। . गवेजा--संधा पं० [?] बातचीत । वार्तालाप । उ०-केवट हँसे सो गव्य-संज्ञा पुं० [सं०] १. गाय का झुड। गोसमूह। @ २. .: सुनत गवेजा । समुद्र न जानु कुर्वा कर मेजा।-जायसी - पंचगव्य । उ०--पंचाधरी प्रान मुद माधव गव्य सु पंचनदा .. सी। तुलसी . (शब्द०)। ३.गोदुग्ध (को०)। ४. गोचर गवेडु-संवा पुं० [सं०] १. मेघ । बादल । २,धान्य विशेप [को०] । भूमि । चरागाह (को०)। ५. ज्या । प्रत्यंत्रा (को०)। ३. गवेधु-संवा पुं० [सं० दे० 'गवेधुक' । रँगने की वस्तु । पीत रंग । गोरोचन (को०)। गवेधुक-संवा पुं० [सं०] [ौ० गवेषुका] १. कसेई । कांडिल्ला। गव्या-संशा at० [सं०] १. गायों का झुड। २. दो कोस की एक ...' वि०. 'कसी। माप । गब्यूति । ३. धनुप की डोरी । ज्या । ४. गोरोचन [फो०] । विशेष-ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसर रद्र देवता के लिये गवेधुक गव्यु-वि० [सं०] १.नाय या गोदुग्ध का इच्छुक । २.लड़ाई चाहने- के चरु की पाहुति दी जाती थी। मीमांसा के अनुसार शूद्र वाला। युद्धप्सु [को०)। .. को गवेधुक के चरु से यज्ञ करने का अधिकार है । गव्यूत- संशा बी० [सं०] दे० 'गव्यूति'। २. एक प्रकार का सर्प (को०) । १. नेरू गैरिक (को०)। गब्यूति-संशश चौ॰ [सं०] १. दो कोस का एक मान । दो हजार