पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गश - गहगहाना : धनुप की दूरी। २. चरागाह । ३. दो मील या एक कोश गस्सा--संशा पुं० [सं० ग्रास, प्रा० गास, गस्स ग्रास । कौर। की दूरी (को०)। महा---गस्सा मारना-कौर मुह में डालना। . .. गश---संज्ञा पुं० [अ० गशी से फा० ग] मूळ । वेहोशी । असंज्ञा। गहमहल-वि० [हिं० महमह] चहल पहल से भरा । यानंदयुक्त । तांवर । उ० -अमीचंद गश खा के जमीन पर गिर पड़ा। प्रफुल्ल । उ०- सहरि गहमह सूर, नूर नवलन नवला मुख। . -शिवप्रसाद (शब्द०)। ---पृ० रा०, ३१५५ । क्रि०प्र०—ाना। गहँडिला- वि० [हिं० गड़हा] [वि. गहॅटेल] गंदला । मटमैला.. मुहा०-गश खाना-मूछित होना । वेहोश होना। . ___ मटोला (पानी)। गशी-संसा खी० [अ० गशी] वेहोशी । मूर्छ । गह-संपाश्री० [हिं० गहना] १. हथियार प्रादि पकड़ने की जगह । क्रि० प्र०-पाना। मूठ। दस्ता । कबजा । पकड़ । गश्त-संशा पुं० [फा०] [वि० गश्तो] २. टहलना । घूमना । फिरना। मुहा०-गह बंटना = मूठ पर अच्छी तरह हाथ बैठना। भ्रमण । दौरा । चक्कर। २.किसी कमरे. या कोठरी की ऊंचाई। ३:मकान का पंड:- यौ०-गश्त गिरदावरी। मंजिल। क्रि० प्र०-करना ।—होना । ग्रहकना--कि० अ० [अनु० या देश०] १. चाह से भरना । लालसा.से. मुहा०—गश्त मारना या लगाना-चक्कर देना। चारों ओर पूर्ण होना। ललकना। लहकना। लपकना। २.उमंग से . फिरना। भरना । उ०-माखन के लोंदा गहकि गोपन दिए उधारि। २. पुलिस प्रादि के कर्मचारियों का पहरे के लिये किसी स्थान टूक टूक हकंद (चंद) जनु गयो कृष्ण पं वारि ।-सुकवि . के चारों योर या गली कूचों श्रादि में घूमना । रौंड। (शब्द०)। गिरदावरी। दौरा। गहको -वि० [सं० ग्राहक,हि गाहक ग्राहक । बरीद करनेवाला। क्रि० प्र०-घूमना ।—फिरना। उ०-साध संत गहको भए, गुरु हाट लगाई।--कवीर श०, .. ३. एक प्रकार का नाच जिसमें नाचनेवाली वेश्याएँ बरात के भा० ३, पृ०६। आगे नाचती हुई चलती हैं। गहकोडा-संज्ञा पुं० [हिं० गाहक+ोड़ा (प्रत्य॰)] गाहक । गश्त सलामी-संशा स्त्री॰ [फा० गश्ती+अ० सलाम] वह भेंट या खरीददार ।-(दलाल)। गहक्कना -० अ० [हिं०] १. उमंग से बोलना । उ०--गिरिरव . नजर जो पहले दौरे पर गए हुए हाकिमों को मिला करती .. थी। यह प्रथा अबतक देशी रियासतों में जारी रही है। . मोर ग हुक्किया तरवर मॅक्या पात । धरिणया धण सालण लगा। गश्ती'--वि० [फा०] घूमनेवाला । फिरनेवाला । फिरता। चलता। बूट तो बरसात ।-डोला०, दु. ३६। २.उल्लास से भर जैसे---गती चिट्ठी, गश्ती हुकुम, गश्ती परवाना, गश्ती जाना। ललकना। उ०-गहक्केव ऋम्यों सु.कैमास जाम, सर्कुलर, गश्ती इन्सपेक्टर इत्यादि। बहराइ सेनं भगी भीम ताम।-पृ. रा०; १२३८३। :.... गश्ती-संज्ञा स्त्री व्यभिचारिणी। कुलटा। गहगच-संघा पुं० [हिं० कचकच] फेर । चक्कर । धंघोच । प्रपंच ।। गसत -संज्ञा पुं० [फा० गश्त दे० 'गरत' । उ०-दिन दिन दौड़ उ.-महगच परचो कुटंब के कंटे रहि गयौ राम । -कबीर . . गसत नित दीज, कमध धरा पासरणा कीजै।-रा० रु०, मं०, पृ० १५२ । . पृ०२७५॥ गहगड-वि० [म. गह= गहरा+गड्ग ड्ढागहरा । भारी। घोर । जैसे, -गहगड्ड नशा, गहगड्ड छनना। . गसना-क्रि० स० [सं० ग्रसन] १. जकड़ना । गाँठना। २.बुनावट विशेष-इसका प्रयोग नशे या. नशे की चीज ही के संबंध में : में बाने को कसना । बनावट में तागों या सूतों को परस्पर रस्पर होता है। होता है। ___ खूब मिलाना जिसमें छेद न रह जाय । वि० दे० 'गैसना'। . । गहगह -वि० [सं० गद्गद या अनु० देश०] प्रफुल्लित । प्रसन्नतापूर्ण। .. गसीला-वि० । हि० गसना] [वि० श्री गसीली] १.जकड़ा हुआ। उमंग से भरा। गठा हुमा । एक दूसरे से खूब मिला हुया । गुथा हुा । २. गहगह-कि० वि० धमाधम । धूम के साथ । उ०-गहगह गगन । (यापड़ा आदि) जिसके सूत परस्पर खूब मिले हौं। जिसकी दुंदुभी बाजी। तुलसी (शब्द०)। ...... बुनावट घनी हो । गफ । विशेष—इस अर्थ. में यह बाजों ही के संबंध में प्राता है। गस्स -संज्ञा सी० [हिं० गाँस[दे० 'गस' । उ०---सर्थ यान गह गहा--वि० [सं० गद्गद]- १. उमंग और आनंद.से.भरा हुआ । सत्तार सत्तं सहस्सं । हयं छंडि कामं मनं मन्नि गस्सं ।-पृ० प्रफुल्लित । उ०---माधव जू पावनहारं भए । अंचल उड़त गत... "रा०६१४६ । होत गहगहो फरकत नैन खए ।--र (शब्द०)। २..: गंस्सना- -क्रि० स० [सं० प्रसन] दे० 'ग्रसना'। उ०—कच मग 10-फच मग धमाधम । धूमधाम के साथ । 30 प्रति गहगहे बाजने .." भूमि चिहुकोद गस्सि । नारिंग सुमन दारिम बिगस्ति ।-पृ० बाजे ।----तुलसी (शब्द०)। रा०, ११२६६। - गहगहाना- क्रि० अ० हिं० गहगहा) १.आनंद में मग्न होना ।।