पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१८७

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...पाठकट गांड. - उ-रहा द्रव्य तव कीन न गाँठी। पुनि कत मिल लच्छ . नूथना । जैसे, जूता गांठना, गुदड़ी गांठना । ३. मिलानां । ... "जो नाठी !-जायसी (शब्द०)। (२) याद रखना । गांठ .. जोड़ना। ४. तरतीब देना । क्रमबद्ध करना । जैसे-मनसूबा " का=पास का । पल्ले का । जैसे—तुम्हारी गांठ का रुपया । गाँठना, मजमून गाँठना। महा-मतलब गांठना काम निकालना । अपना प्रयोजन सिद्ध लगे तो मालूम हो । गाँठ का पूरा धनी। मालदार । जैसे- करना। गाँठ का पूरा, मति का हीन । गाँठ खोलना थैली या जेब ५. अपनी और मिलाना । अनुकूल करना । पक्ष में करना। से रूपया निकालना । पास का खर्च करना । गांठ जोड़ना= निर्धारित करना । नियत करना। मुकर्रर करना । जैसे-- - विवाह आदि के समय स्त्री पुरुष के कपड़ों के पल्ले को एक तुम अपने मन में हमें तंग करना गाँठ लिया है । ८. दबाना । ..' में बाँधना । गठजोड़ा करना । अंयिवंधन करना । किसी के दबोचना । गहरी पकड़ पकड़ना । जैसे-पंजा गांठना, सवारी .. साय गांठ जोड़ना=किसी के साथ व्याह करना । गाँठ में= गाँठना । ६. वश में करना । वशीभूत करना। दांव पेंच पर पल्ले में । पास में । जैसे-गांठ में कुछ है कि यों ही बाजार चढाना। १०. वार को रोकना। प्राधात को किसी वस्तु चले । उ०-राजा पदुमावति सो कहा । साँठ माठ कछु गाँठ पर लेना। 'न रहा। जायसी (शब्द॰) । (कोई वात) गांठ में बाँवना= गाँगि-संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'गाँठ' । उ०—पाछे वा मुरारीदास वा पातरि की गाँठि बाँधि सिरहाने धरि सोबते।-दो सौ अच्छी तरह याद रखना । स्मरण रखना । सदा ध्यान में बादन०, भा० १, पृ० १४३ । .... रखना। उ०-कहल हमारा गांठी बांधो, निसि बासरहि गांठो-संवा श्री० [हिं० गाठ] १. एक आभूषण जिसे स्त्रियाँ हाथों ...होहु हुत्तियारां । ये कलि के गुरु बड़ परपंची, डारि गौरी की कुहनी में पहनती हैं। वि० दे० 'गाँठ' । २. भूसे या डंठल सब जग मारा । कबीर (शब्द०)। गाँठ से--पांस से। का छोटा टुकड़ा। .. जैसे-गांठ से लगाना पड़े तो मालूम हो। विशेप-इसमें गाँठ ही गाँठ होती है। यह किसी काम का नहीं ... गठरी । बोरा । गट्ठा । जैसे-गेहूँ की गांठ, चावल को गांठ। होता, बैल भी इसे नहीं खाते। खलिहान में इसे लोग वेकाम मुहा०-गांठ करना=(१) गांठ में वांध लेना । (२) बटोरना । का समझकर फेंक देते हैं। - जमा करना। गाँड़-संज्ञा स्त्री० [सं० गर्त, प्रा० गड्ड] १. पाखाने का मुकाम । ४. अंग का जोड़। बंद । जैसे--पर की गांठ, हाथ की गांठ, शरीर की वह इंद्रिय जिससे मल बाहर निकलता है। गुदा । उगली की गाँठ। पर्या-गुद । अपान । पायु । गुह्य।.. मुहा०-गाँठ उखड़ना-किसी अंग का अपने जोड़ पर से हट मुहा० -- गाँड़ की खबर न होना=सुध या त न होना। ___ जाना । जोड़ उखड़ना।

सावधानी न होना। गफलत होना। किसी बात की

...५. ईख, बाँस आदि में थोड़े थोड़े अंतर पर कुछ उभड़ा हुमा कड़ा जानकारी न होना । गाँड़ की खवर न रखना=वेसुध रहना। . स्थान जिसमें गंडा या चिह्न पड़ा रहता है और जिसमें से अचेत रहना । होश में न रहना । असावधान रहनः । गाफिल .. कनखे निकलते हैं। पोर । पर्व । जोड़। ६. गाँठ के प्राकार" रहना । किसी बात से अनजान रहना । गाँड़ की खबर न . की जड़। ॐटी। गुत्थी । जैसे-हल्दी की गांठ । ७. घास .. रहना होश हवास न रहना । जानकारी न रहना। गाँड का वह वोझ जिसे एक आदमी उठा सके । गट्ठा । ८. एक की राह या रास्ते निकलना=(१) किसी वस्तु का न पचकर गहना जो कटोरी के आकार का होता है और जिसकी वारी ज्यों का त्यों पाखाने से निकल जाना । (२) निकल जाना। में छोटे छोटे धुघल लगे रहते हैं। इसे रेशम में गूयकर स्त्रियाँ जाता रहना । खो जाना । गाँड़ के नीचे या तले गंगा वहनाम्य . हायों की कुहनी में लटकाती हैं। अधिक ऐश्वर्य होना । अत्यंत घन होना । गाँड़ खोल देना- गांठकट--संज्ञा पुं० [हिं० गाँठ+काटना] [स्त्री० गाँठकटी] १. वह चोर (१) दवकर वात मान लेना। डर से किसी की बात मान .. . जो पल्ले में बंधे हुए रुपए काटकर उड़ा लेता हो । गिरहकट। लेना । अधीन हो जाना । (२) चापलूसी करना । ठकुरसुहाती २. उचित से अधिक मूल्य पर सौदा वैचनेवाला । ठग । करना । गाँड खोले फिरना=(१) नंगा फिरना । (२) बच्चों गाँठकतरा-संज्ञा पुं० [हिं० गाँठ+कतरना] दे० 'गाँठकट'। . गाँठगोभी-संञ्चा त्री० [हिं० गाँठ+गोनी] गोभी का एक भेद ।। की तरह अनजान वना रहना । वचपन की अवस्था में रहना। जैसे,-कल वह मेरे सामने गांड खोले फिरता या; पाज बड़ा . विशेप-इसके पौधे को पेड़ी में जड़ से चार पाँच अंगुल पर .. .. पंडित बना है। गाँड़ गंजीफा खेलना=(१) चित्त संकट में एक गांठ पड़ती है जो धीरे धीरे बढ़कर खरबूजे के आकार पड़ना । डर और घबराहट होना । (२) तंग होना। हैरान ....... की हो जाती है। यह गाँठ गूदेदार होती है और इसकी होना । गाँड़ गरदन की सुव या खवर न रखना=बेहोश तरकारी बनाई जाती है। ... गाँठदार - वि० [हिं० गाँ+दार (प्रत्य॰)] जिसमें बहुत गाँठे हों। रहना । अचेत रहना । असावधान रहना । गाफिज रहना। • गठीला । गाँड़ गरदन एक हो जाना=(१) थककर लयपथ ही जाना। गाँटना-कि० स० [सं० ग्रन्थन, पा० गए उन] १. गांठ लगाना । सीकर, थिककर होश हवास खो देना । (२) वेहोश हो जाना। वेसुध - मुर्ग लगाकर वा बाँधकर मिलाना । साटना। २. फटी हुई हो जाना। आपा खोना । (३) संडमुसंड हो जाना। बहुत .... चीजों को टाँकना या उत्तमें चकती लगाना। मरम्मत करना। मोदा हो जाना । गाँड गले में ग्राना=(१) संकट में पड़ना।