पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१८९

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गाउन . गांधी-संशा पुं० [सं० गन्धिक] १... वह जो इत्र और सुगंधित तेल वतरतः बाढ़ी है.।- रघुनाथ (शब्द०)11६. वश । अधि- ग्रादि बैचता हो । गंधी। २ गुजराती वैश्यों की एक जाति । ..कार । शासन । .. . - गॉन-संज्ञा पुं० [सं० गान] दे० 'गान' । उ०-दधि दूब हरद मुहा०-गाँस में करना या रखना=अधिकार में रखना । देखरेख भरि कनफ याल बहु गाँन करत प्रविसंघ बाल | ह. .. में रखनाः। शासन में रखना। 30--निर्गुन कौन, देश को . रासो, पृ० ३१ ।। ... वासी ।...पावेतो पुनि कियो आपनो करेगो गाँसी। सुनत गांम-संज्ञा पुं० [सं० ग्राम] दे० 'नाम' । उ० वीस गाम कवि मौन रह्यो बावरी सूर सबै मति नासी।--सूर (शब्द०)। चंद 'प्रति . करी कुअर बगसीस। एक बाजि साजति ७. देखरेख । निगरानी।। ..... सजाह दिया सु सभार इस ° 15 गांसना-क्रि० स० [हिं०] १. गसने का सकर्मक रूप। एक -गांमी -वि० [हि० गाम+३ (प्रत्प.) गवार। अशिष्ट दुसरे से लगाकर कसना । गुथना। २. सालना। छेदना। उजड्ड । १०--साहाब सुकर फरमान दिय गाँमी छलबल ...चुभोना। आरपार करना। ३. रस्सी या सूत के वाने बुनते ... लगया । कड्ढी सु लच्छि आहुपट्ठपति मुख चहुबान , समय उसे ठोंक ठोंककर ताने में कसना, जिससे बुनावट घनी .. विलग्गया-पृ० स०, २४४१ । हो। ठस करना । गठना । कसना । गांव-संज्ञा पुं० [सं० ग्राम] दे॰ 'गांव। - महा०-बात को गाँसकर रखना= मन में बैठाकर रखना । हृदय गांव-संत्रा पुं० [सं० ग्राम, पा. गाम, प्रा० गावं] [वि. गवार] वह में जमाना । स्मरण रखना । मन में लिए रहना । उ०—तुम स्थान जहां पर बहन से किसानों के घर हों। छोटी वस्ती। -:.- वह वात गाँस करि राखी हमको गईं भुलाइ । ता दिन. खड़ा। ... कहो नहीं मैं जानी मानि लई सति भाइ ।—सूर (शब्द०)। . मुहा०— गाँव गिराव=(१) देहात। (२) जमींदार । गाँव ४. इधर उधर न जाने देना । देखरेख में रखना। वश में . गवई देहात। गाँव मारना=डाका मारना । डाका .... रखना। अपने मन का न होने देना। शासन में रखना। डालना। उ०---जिमींदार सुता नाके उभे भाई रहे ...रोकना । ५. पकड़ में करना । वश में करना । दबोचना । ६. आपस में वैर, गांव मारयो सब छीजिए।-प्रिया (शब्द०)।

ठूसना । भरना । ७. जहाज का छेद बंद करना।

.. यो०-गाँव पंचायत ग्राम की पंचायत । गाँव समा=ग्राम गांसो-संघा सी० [हिं० गाँस] १. तीर या बरछी आदि का फल । की सभा। हथियार की नोक । जैसे-प्रीतम के उर वीच भए दुलही को . गांवटी-पं श्री. [ हिगांव+टी (प्रत्य॰)] गांव । पुरवा। ..... विलास मनोज की गाँसी।-मतिराम (शब्द०)। . ३०-कुराज्य था, कुशासन था परंतु गांवटी पंचायतें मुहा०-गांसी लगना तीर लगना । उ०-फाँस से फुलेल

बनी हुई थीं।--झांसी०, पृ० १३ ।'

-गांस-संशा सी० [हिं० मांसना] रोक टोक । बाधा। प्रतिरोध। .... ला गाता सा गुलाल लाग गाज अरगजा लागे चोवा लागे. ला - .. बंधन । उ०--सब गाँस फांस मिटाय दास हुलास ज्ञान चहकन!- (शब्द०)। ., २. गाँठ । गिरह । ३. कपट 1 छलछंद । ४. मनोमालिन्य । 'अखंड के। नहिं नास तेहि इतिहास सुनि सो आदि अंत ...प्रचंड के (शब्द०)। गांहक-संश पुं० [सं० ग्राहक ] दे० 'गाह'। ... क्रि० प्र०—करना ।---देना-रखना। गाल-क्रि० अ० [सं० गत,प्रा० ग] गया। उ०-जो जो गा २.वर। द्वेष। ईष्या । मनोमालिन्य । उ०-वियु रचो जावक सतसंग में सों सो बिगरा जाय ।--पलटू०, भा॰ २, पृ०३६। सौति पग, निरखि हँसी महि गांत । सकल हॅसौंही लखि लियौ गाइ-संवा स्त्री० [हि. गाय] दे० गाय' उ०-ठाढ़े गाई गहन प्राधी हँसी उसास ।---विहारी (शब्द०)। ..! "के काज किए फिरत ग्वालिन को साज -नंद० ग्रं, .. क्रि० प्र०-रखना। धरना ।-पकड़ना । गहना । . पृ० २६७। - मुहा०. गाँस निकलाना-बैर निकालना । गाइड -संघा पुं० [पं०] आगे मागे रास्ता बतलाने वाला । पथ प्रद- ३. हृदय की गुप्त बात । भेद की बात । रहस्य । उ०-(क) शर्करा रहनुमा/२. वह पुरुष जो किसी स्थान में विदेशियों - जीवन दान लेहिंगे तुम सों। चतुराई मिलवति है हम सों। के साथ रहकर उन्हें वहाँ के प्रसिद्ध प्रसिद्ध स्थलों और ... इनकी गाँस कहा री जानो। इतनी कही एक जिय मानी ।- वस्तुओं को दिखलाता हो। ३. वह पुस्तक जिसमें किसी, . ... सूर (शब्द०)। (ख) बहु वात साँची याकी गाँस एक और ., विशेष संस्था या कार्य विभाग के नियम आदि लिखे हों। . सुनो साधु को न हसे कोळ यह मैं विचारी है।--प्रिया गाइना -वि० [सं० गायन] गानेवाला । गायक' उ०तिभात (शब्द०) । ४. गाँठ फंदा। गठन । बनावट । जमावट। .. कावगाइना नप.सौदागिर वार हया |-- १० रा.२७ उ...तने सर्व तम्हारे पास । निरखि न देखहु अंग-अंग सव गाउ संचा पुं[हि० गाँव] ३० 'गाँव' । उ०-नंद गाउनीको .. . . चतुराई को गाँस ।—सूर (शब्द०)। ५. तीर यो वर्शी का सर (शब्द॰) । ५. तीर यो वर्थी का लागत री।---नंद० प्र०, पृ० ३३०। . . . . . ... फल । हथियार की नौक। उ०-कोटिन मनोज की बनोज गाउन-संवा पुं० [अं०] १. एक प्रकार का लंबा ढीला पहनावा जो ...जाके याग पनि दवति कलानिधि की खोज को न काढ़ा है। प्रायः युरोप, अमेरिका आदि देशों की स्त्रियाँ पहनती रघुनाथ हेरि सोई हरखि हरिननैनी गह गाँस पैनी रीझ ....एक तरह का चोगा जो कई प्रकार और प्रकार का होता