पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गाऊपप्प १२६७. गाजरघोट है और जिसके पहनने के अधिकारी ईसाई धर्म के प्राचार्य, वन । उ०-गाज्यो कपिराज रघुराज को सपथ करि मूदै ग्रेजुएट, बड़े न्यायाधीश अथवा कुछ अन्य विशिष्ट लोग ही कान जातुर्धान मानो गाजे गाज के।-तुलसी (शब्द०)। .. समझे जाते हैं। क्रि० प्र०-पड़ना। गाऊघप्प-वि० [हिं० खाऊ+गप्प] १. दूसरे के माल को हड़प मुहा०-गाज पड़ना=वनपात होना । बिजली गिरना । उ०-.. लेनेवाला। जमामार । २. बहुत खर्च करनेवाला । बहुत मानह परी स्वर्ग हुत गाजा । फाटी धरति पाइ सो बाजा ।' उड़ानेवाला । जायसी (शब्द०), किसी पर गाज पड़ना= श्राफत आना। गाकरी-संशा स्त्री० [हिं० गांकरी] अंगाकड़ी । लिट्टी। ध्वंश होना । नाश होना । उ० -- जो सत पूछति गंधव राजा। ': गागरा-संज्ञा स्त्री० [सं० गर्गर] गगरी। धड़ा। सत पर कबहु पर नहिं गाजा ।-जायसी (शब्द०)। (किसी : मुहा०. गागर में सागर भरना=(१) अल्प स्थान में या छोटी बात पर ) गाज पड़े = नष्ट हो। दूर हो । न रह जाय। जगह में बहुत अधिक का समावेश कर देना । (२) संक्षिप्त 3०-(क) गाज पर ऐसी लाज पं जो भरि लोचन देति न । पदावली या वाक्ययोजना में अत्यधिक भावों या अर्थों का मोहिं निहारन (शब्द०)। (ख) गाज पर व्रज को वसिवी समावेश करना। तुमहूँ, सखि, देखति हो बरजोरी। दूलह (शब्द॰) । (किसी . गागरा-संवा पुं० [हिं० गागर] दे० 'गगरा' । २. भंगियों को एक को कोसने या किसी बात से अनिच्छा प्रकट करने के लिये जाति.। इस मुहावरे का प्रयोग स्त्रियां बहुत अधिक करती हैं)। ... गागरि -संञ्चा श्री० [हिं० गागरी] दे० 'गागरी' । उ०-ऊपर । गांज मारना=(१) बिजली गिरना। वज्रपात होना । (२) ते दधि, दूध, सीसन गागरि गन ढरें।-नंद० ग्रं०, . ग्राफत माना। उ०-देव कहा सुनु बड़रे राजा । देवहि । पृ० ३३४ । __ अगुमन मारा गाजा।-जायसी (शब्द०)। गागरी -संश स्त्री० [सं० गर्गर, पा० गग्गर घड़ा । गगरी । उ०- गाज-संवा पुं० [अनु० गजगज] पानी आदि का फेन । फेन। भाग। (क) कदम तौर ते मोहिं बुलायो गठि गठि बात धानति । क्रि० प्र०-उठना। छूटना ।- छोड़ना।-निकलना । -फेंकना। मटकति गिरी गागरी सिर तें अब ऐसी बुधि ठानति । -सूर गाजर-संशनी [ सं० काच ] कांच की चूड़ी। (शब्द०)। (ख) लो यह लतिका भी भर लाई, मधु मुकुल' गाजना-कि० अ० [सं० गर्जन, प्रा० गज्जन] १. शब्द करना । हुंकार . नवल रस गागरी ।-लहर, पृ० १६ । करना । गरजता । चिल्लाना। उ०-(क) सैन मेघ अस.. गाच-संघा पुं० [अं० गाज] बहुत महीन जालीदार सूती कपड़ा ... दुई दिसि गाज़ा ! स्वर्ग के वीज वीजु अस बाजा। जायसी जिसपर रेशमी वेल बूटे बने रहते हैं । फुलवर। . (शब्द०)। (ब) उनई पाय दुह गल गाजे। हिंदु तुरुक' दोऊ .. गाछ- संज्ञा पुं० [सं० गच्छ] १. छोटा पेड़। पौधा। उ०-जम्यो :: सम वाजे. --जायसी (पाब्द०)। २. हर्षित होना । खुश. . . जुगति में गाछ अनाहद धुनि सुनि मिटि जंजाल री। भीखा होना । प्रसन्न होना। श०, पृ० ३६ । २. पेड़ । वृक्ष । ३. एक प्रकार का पान जो मुहाव-गलगाज नामहर्पित होना। उत्तरी बंगाल में होता है । - गाजनी -वि० [सं० गजन, हि. गंजना] लज्जित करनेवाली। । गाछमरिच-- संज्ञा स्त्री॰ [हिं० गाछ+मिर्च] मिर्च की जाति का एक । पराजित करनेवाली। गजनेवाली 1 30-~-सब ही कों मनमथ, .. प्रकार का वृक्ष। . सब तिय जानति नीके के रस वस आनंदपन सौतिन गाजनी ... ... . गाई-घनानंद०, पृ०५८४ ।। गाछो - संवा चौ• [ हिं० गाछ+ई (प्रत्य)] १. पेड़ों का कुज। - गाजर-संशा लो० [सं०] एक पौधे का नाम जिसकी पत्तियाँ धनिए र वाग । २. खजूर की नरम कोंपल जिसे लोग पेड़ कट जाने पर की पत्तियों से मिलती जुलती, पर उससे बहुत बड़ी होती हैं। । सखाकर रख छोड़ते हैं और तरकारी के काम में लाते हैं.1. विशेष इसकी जड मली की तरह पर अधिक मोटी और ..| ३. बोरा जो बैल आदि पशुओं की पीठ पर बोझ लादने के .: कालिमा लिए भंटे की तरह गहरे लाल रंग की होती है। . लिये रखा जाता है । खुरजी।

पीले रंग की भी गाजर होती है। यह खाने में बहुत मीठी

गाज'–संवा स्त्री० [सं० गर्ज, प्रा० गज्ज] १. गर्जन । गरज । शोर । .. होती है । यह गरम होती है और घोड़े को बहुत खिलाई जाती उ०- (क) कविरा सूता क्या करै सूतें होय अकाज, ब्रह्मा .... है। छोटी और नरम जड़ों को गरीव लोग और बच्चे बड़े को आसन डिग्यो सुनी काल की गाज ।कबीर (शब्द) चाव से खाते हैं। इसकी जड़ को सुखाकर उसके आटे का । (ख) नंदराय के चौक में खड़े करत सर्व गाज । जय जय करि . हलुआ बनाया जाता है जो पुष्ट माना जाता है। काछी लोग चिचियाइए तवं मिलत ब्रजराज!-सुकवि (शब्द०)। इसे अपने खेतों में कातिक अगहन में बोते हैं। इसकी यो०-गाजा बाजा धूम धड़क्का। . .. तरकारी, अचार और मुरव्ये भी बनाए जाते हैं। २. विजली गिरने का. शब्द । वज्रपात ध्वनि । जैसे,—ाज्यो . मुहा०-गाजर मूली समझना तुच्छ समझना। .. कपि गाज ज्यों विराज्यो ज्वाल जालंयुत भाजे धीर वीर गाजरघोट-संचा पुं० [देश॰] गंजा नाम की कैंटीली झाड़ी । वि० दे० . ' : अकुलाइ उठ्यो रावनो। तुलसी (शब्द०)। ३. विजली। 'कंजा'-१।