पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२७२ .. गायताल गाभा-संगापुं० [म गर्ने, प्रा. गन्न ] [वि० गामिन] १. नया गायंतिका-संशा मी० [सं० गायन्तिका हिमालय पर का एक स्थान निकलता हुना मुहबंधा पत्ता जो नरम और हलके रंग का . जिसका उल्लेख महाभारत के उद्यान पर्व में है। .. . . होता है। नया कल्ला । कोपल । उ०-ऐपन की अोप इंदु .गाय - संजय श्री [सं० गो] १. सागवाला एक मादा चौपाया ... कुंदन की प्रामा चंपा केतकी की गाभा जीत जोतिन सों जिसके नर को सांड़ या बैल कहते हैं। . .. जटियतः।-देव (शब्द०)। २.केले पादि के डंठल के अंदर .विशेप-गाय बहुत प्राचीन काल से दूध के लिये पाली जाती ... का भाग पेड़ के बीच का हीर। २. लिहाफ, रजाई आदि के है। भारतवासियों को यह अत्यंत प्रियं और उपयोगी है। अंदर को निकाली हुई पुरानी रूई । गुद्दड़। भरतवालों के इसके दूध और घी से अनेक प्रकार को पाने की चीजें बनाई ... साँचे के अंदर का भाग । ५.कच्चा अनाज । खड़ी खेती। जाती हैं। गाय बहुत सोंधी होती है। बच्चा भी उसके पास गाभिन--वि० स्त्री० [सं० गमिणी, प्रा० गन्मिरण] दे॰ 'गाभिनी' । जाय, तो नहीं बोलती। - गाभिनी-वि० सी० [सं० गभिरणी, प्रा० गम्भिणी ] जिसके पेट में मुहा०-गाय की तरह पापना=(१) बहुत डरना । (२) थर ... बच्चा हो । गभिगी। थर काँपना। थर्राना । गाय का बछिया तले और वटिया ....विशेष-इस शब्द का प्रयोग चौपायों के लिये अधिक होता है, का गाय तले करना=(१) हेरी फेरी करना। इधर उधर ..मनुष्यों के लिये कम । करना। (२) काम निकालने के लिये कुछ का कुछ प्रकट गाम-संहा पं० [सं० ग्राम, पा० गाम] गांव । ३०-गाम तो है - करना। नंद गाम तहाँ को ही प्यारी। नंद० ग्रं॰, पृ० ३६६ । २.बहुत सीधा सादा मनुष्य । दीन मनुप्य । जैसे,—यह बेचारा गाम-संज्ञा पुं० [फा०] पग । कदम । डग। तो गाय है; किसी से नहीं बोलता। गामचा-संा पुं० [फा०] घोड़े के पैर का वह भाग जो सुम और गायक-संवा पु० [सं०] [बी० गायको] गानेवाला गया। टखने के बीच में होता है। यह चार अंगुल के लगभंग गायकवाड़-संश पुं० [ मरा० गायफवा] बरोदा के महाराजामों होता है। को उपाधि । बड़ौदा नरेगों की उपाधि । गामजन-वि० [फा०] चलनेवाला । गमन करनेवाला (को०] । गायकी--संघा सी० [म बायफ ]१. गाने की क्रिया या भाव । गामत-संचा स्रो० [सं० गमन] निकास !-(जहाज) । गान का तौर तरीका । २.गाने का काम । ३.दे० 'गायिका। ", मुहा०-गामत होना-पानी का टपकना या रसना। गायगोठ-संज्ञा वी० [हिं० गाय+गोठ] गायों के रहनवाला बाड़ा। गामभोजक संज्ञा पुं० [ पा० गाम+सं० नोजक ] ग्रामणी । गोशाला। ' 'मुखिया ।-हिंदु० सभ्यता, पृ० २६३ । गायण -संवा पुं० [सं० गायन, प्रा० गायण] दे० 'गायन'। गायणी-संग स्त्री० [सं० गायन, प्रा० गायरण-+-हिं० ई (प्रत्य॰)] गामरू -वि० [हिं०] गमन करनेवाला। उ०—मद नितंब पर। गाने का धंधा करनेवाली स्त्री। उ०-गहरू नायगी जी गाये नामरू तरफरात परि लंक! वर वेनी नागिनि हन्यो घर धवल मंगल गीत !-२०६०, पृ०७२। - दीछी को डंक !-स० सप्तक; पृ० २३६ । गायत-वि० [अ० गायत] बहुत अधिक । हद से ज्यादा। प्रत्यंत । गामिनी-संवा सी० [सं०] प्राचीन काल की एक प्रकार की नाय । जैसे,—वह गायत दरजे का पाजी है। विशेष-यह नाव ९६ हाथ लंबो, १२ हाय चौड़ी और हाय गायत-संशा स्त्री०१. उद्देश्य । मतलब । सबब । २. अंत । सीमा। 'केची होती थी और समुद्रों में चलती थी। ऐसी नाव पर छोर। किनाराको यात्रा करना अशुभ और दुःखदायी समझा जाता था। गायताल'-संपुं० [हिं० गाय-- तल] १. घेलों में निकृष्ट । गामिय-वि० [सं० ग्रामिक, प्रा० गामिय ] 'गामी'। 'उ०- निकम्मा चौपाया । २. निकम्नी और रसी चीज । गई बुल्यो वर गामिय गुज्ज गवार। कहै सुरतानप सेन उवार।- गुजरी चीज। पृ० रा०, १२ । १३६ ! गायताल-वि०निकम्मा। रद्दी। गामी-वि० [सं० प्रामिन्] [वि० बी० गामिनी] १. चलनेवाला । यो०-गायताल खाता या गंतल धाताई बीती रकम का । .. चालवाला । जैसे,-गाजगामिनी, हंसगामी, रथगामी । उ०- लेखा। बट्टा दाता।। . कठिन भूमि कोमल पद गामी। कौन हेतु बन विचरहु महानायताल लिलना=चट्ट पाते ढालना । गया गजरा - " स्वामी । तुलसी (शब्द०)। २. गमन करनेवाला। संभोग समझना। जैसे,-टूटे मणि मा निगुण गायताल लिये करनेवाला । रमण करनेवाला । जैसे,-परस्त्रीगामी, वैश्या- पोधिन ही ग्रंक मन कलह विचारही।-गुमान (नन्द०)। गामी इत्यादि। गायताल साते लिसना या दालनाब यात में डालना। गामी@-वि० [म.ग्रामिन] १.ग्राम का निवासी । २. गंगर । गया गुजरा समन्वना । गायताल पाते में जाना-पदयाते में • मूर्ख । उ०-गामी गवार वात पति राजराज सही मिर।- जाना। हनम होना। हप होना। गया मुजरा होना। पृ० रा०, १५॥ २१॥ जैसे-इतना रुपया जो हमने तुम्हें दिया, मर नायनान घाई _गामुक-वि० [सं०] जानेवाला। में गया।