पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९६

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गायत्र १२७३ गारद गायत्र-संक्षा पुं० [सं०] [स्रो० गायत्री] गायत्री छंद । गायवानर---निवि० [अ० गायबानह ]१. गुप्ता रीति से । २.पोठ । गायत्री-संज्ञा पुं० [सं० गायत्रिन्] [खौ० गाय निरणी] १. खैर का पीछे। अनुपस्थिति में। . ..

पेड़ । २. उद्गाता । साम का गायक ।

गायरीना--संज्ञा पुं० [सं० गोरोचन] गोरोचन.. . . गायत्री-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. एक वैदिक छंद का नाम । गायिनी--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. गानेवाली.स्त्री.। २. एक मानिक छंद। विशेष—यह छंद तीन चरणों का होता है और प्रत्येक चरण विशेप---इसके पादों में क्रमशः १२-१५ योर १२-+२०मात्राएँ में आठ-पाठ अक्षर होते हैं। इसके प्राी, देवी, प्रासुरी, . होती हैं और प्रत्येक चरण के अंत में गुरु तथा बीस बीस प्राजापत्या, याजुपी, साम्नी, पार्टी और ब्राह्मी पाठभेद हैं, मात्रामों के पीछे एक जगरा होता है। वीस मामानों के पीछे जिनमें क्रमशः २४, १,१५, ८, ६, १२, १८और ३६ वर्ण यदि चार लघु पा जायें, तो भी दोष नहीं माना जाता। होते हैं। प्रत्येक भेद के पिपीलिका, मध्या, निचत, यवमध्या जैसे,--मादी वारा मत्ता दुजेनौ राजाय मोद: तहो । तीजे भूरिक, विराट और स्वराट आदि अनेक भेद होते हैं। भानू कीज चौधे बीते जुगामिनी सुपाति याहो । . .. २. एक पवित्र मंत्र का नाम जिसे सावित्री भी कहते हैं। गारंटी--संचारसी० [4] प्रतीति । विखान । वचन । प्रापपासन। विशेष-हिंदूधर्म में यह मंत्र बड़े महत्व का माना जाता है। उ०-५स बात की गारंटी मुझसे लो। संन्यासी, पृ०२९२ । द्विजों में यज्ञोपवीत के समय वेदारंभ संस्कार करते हुए प्राचार्य मार--संघा मी० [हिं० गाली] गाली । उ-बिन प्रोसर न सुहाग इस मंत्र का उपदेश ब्रह्मचारी को करता है। इस मंत्र का तन चंदन तोगार। नौसर की नीकी सगै मीता तो सो देवता सविता और ऋपि विश्वामित्र हैं। मनु का कथन है कि . गार ।-सनिधि (शब्द०)। प्रजापति ने प्रकार उफार और मकार वों, भूः, भुवः और गार-संगापु० [म. गार] १. गहरा गड्ना । गतं । यड्ड । २.. स्वः तीन व्याहृतियों तथा सावित्री मंत्र के तीनों पादों को गुफा । फंदरा। क्, यजुः और सामवेद से यथाक्रम निकाला है। इस सावित्री गार --- पुं० [ मे० प्रागार ] 'प्रागार'। ३०--दार गार मंत्र के भिन्न भिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न अर्थ किए हैं और गुत पति इनकार (कहो) गायन प्राहि मुर।--नंद ०, ब्राह्मणों, उपनिपदों से लेकर पुराणों और तंत्रों तक में इसके पृ. ४२ .. महत्व का वर्णन है । सावित्री मंत्र यह है-तत्सवितुर्वरेण्यं । गा --संवा ए० [हिं० गारा]. 'गारा' । उ कठा माला भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् । काठको तिलक गार का होय ।--कबीर० बानी. पृ०.३५। ३. खैर । ४.दुर्गा। ५. गंगा। ६.छह अक्षरों की एक वर्णवृत्तिा गारप्रस्य फा०करनेवाला । जैसे,--विदमतगार। ... इसके तनुमध्या, शाशवदना आदि अनेक भेद हैं। गारडा---संधा पुं० [अं० गार्ड ] दे० 'गाई'। उ०--इच्छा कर्म । गायन-संवा पुं० [सं०] [स्त्री० गायनी] १. गानेवाला । गया। संजोगी इन्जिन गारड माप अकेला हे :--स्यामा०, पृ० गायक । २. गाने का व्यवसाय करनेवाला। विशेष-----मनु ने गायन के अन्नभक्षण का निषेध किया है। ३. गान । गोना । ४. कार्तिकेय । गारड़ ----संशा पुं० [स० गाडी] ३० गागडी' । उ०---तुम्ह गाग्ड, मैं 'गायनी-संहा स्त्री० [सं०] गाने का धंधा करनेवाली स्त्री। विप का माना । काहे न जिवावो मेरे अमृत दाता ।---कवीर गायब'-वि० [अ० गायव] लुप्त । अंतर्धान । . ग्रंक, पृ० ११४ । क्रि० प्र०-फरना होना। गारत-वि० [अ० गारत] नष्ट । वरवाद । मटियामेट । ध्वस्त । . यौ०---गायव गुल्ला-ऐसा लुप्त कि फिर पता न लगे। क्रि० प्र०-फरना । —होना । मुहा०-गायब करना=चुरा लेना। उड़ा लेना । जैसे,--वह गारत--संथा पुं० [सं० गत ] ३० गत' । उ०प्रविस कियो... देखते ही देखते चीज गायब कर लेता है। गायव होना-चोरी गारत गिरि, जय जय वचन सरीर हमा। पृ० रा०,१॥ जाना। गायव ---संज्ञा पुं० [अ०] शतरंज खेलने का एक प्रकार । गारद--संशा सो [ अं० गार्ड ] १. सिपाहियों का झुंड जो एक - विशेष----इसमें शतरंज की बिसात से परोक्ष में बैठकर खेलते हैं। अफसर क मातहत हो। २. सिपाहियो इस खेल में बिसात या तो किसी.कोठरी में प्रथमाया । व्यमित या वस्तु की रक्षा के लिये मश्वा किसी मसामी का

मैं बिछी रहती है अथवा खेलाडी विसात की और पीठ करके

- भागने से रोकने के लिये नियत हो। पहरा । चौकी । उ-- चैठते हैं और दूसरे प्रादमी उनके याज्ञानुसार महरों को जब अंधेरा हमा, तब हम लोगों की निगरानी के लिये जो:' . चलते हैं। गारद थी; यह डवल कर दी गई।-द्विवेदी (शब्द॰) । कि० प्र०- खेलना। मुहा०--गारद बैठना पहरा वैठना । हिफाजत या निगरानी के गाय बगला-संज्ञा पुं० [हिं० गाय+यगला] एक प्रकार का बगला।। लिये सिपाही नियत होना । गारदय ठाना=पहा बठाना। विशेष----यह धान के खेतों में होता है। यह पशुओं के झुंड के चौकी बैठाना। हिफाजत या निगरानी के लिये सिपाही नियत साथ रहता है और उनके कीड़ों को.खाता है। इसे सुरखिया करना । गारद में फरना=पहरे में करना । हवालात में बंद . बगला भी कहते हैं। करना । - हाजत में करना । गारद में डालना या छोड़ना