पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९८

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गारुरि, गरुरी। १२७५ गारुरि, गारुरी --संज्ञा पुं० [सं० गाडि] दे० 'गारुड़ि' । उ.-- गार्डेन - संघा पुं० [सं०] वाग । धगीचा। कच विषधर सरवर डसा, मूरिन गारुरि संग। नख सिख यौ-कंपनी गाउँन। गाउँन पार्टी। गार्डन सिटी। गाईन । सेती लहरि जनु, विथुरि गई सब अंग।-चित्रा०, पृ० ४७ । सुपरिटेंडेंट । गाउँन हाउस । (ख) जाँवत गुनी गारुरी आए। प्रोझा वैद सयानवोलाए।- गार्डेन पार्टी-संधा श्री• [अं॰] वह भौज जो नगर के बाहर किसी । जायसी ग्रं०(गुप्त), पृ०२०० बाग बगीचे में दिया जाय। गारो-संज्ञा पुं० [सं० गर्व J१. गर्व । घमंड । अहंकार । अभिमान। गादंभ-वि० [सं०] गर्दभ संबंधी। गदहे का [को०)। उ०-देखत बल दूरि करयो मेघनाद गारो। आपुनि भयो गावध-संशा पुं० [सं०] तृप्या । लोभ । लालच [को०)। सकुचि सूर बंधन ते न्यारो।--सूर (शब्द॰) । (ख) सुनि गाध-वि० [म०] [वि० सी० गात्री] गध संबंधी [को०] । खग कहत अंव लौंगी रहि समुझि प्रेम पथ न्यारो । गएते प्रभु गान२. संशा पुं० [सं०] १. लालच । लोभ। २. तीर। वाण। [को०।। पहुँचाई फिरे पुनि करत करम गुन गारो।-तुलसी (शब्द०) यौ०--गाध पक्ष, गानं वासा=वह बारण जिसमें गिद्ध के पंख । २. मान । प्रतिष्ठा । उ०--जो मेरे लाल खिझावै । सो लगे हों। अपनी कियो फल पावै । तोहि देहीं देस निकारो। ताको ब्रज गार्भ-वि० [सं०] १. गर्भ संबंधी। गर्भ का। २. गर्भ से उत्पन्न। । नाहिन गारो।- सूर (शब्द०)। ३. गृह । निवास । घर। गर्भज । ३. गर्भ के लिये हितकर (को०]। .. . गारो'- संज्ञा पुं० [देश॰] १. एक पहाड़ी का नाम जो पासाम के गार्ह-वि० [सं०] १. गृह अथवा गृहपति के लिये उचित । २. गृह ।। दक्षिण पश्चिम में है। २. एक जंगली जाति जो गारो पहाड़ी संबंधी [को०] 1 में रहती है। गाहपत--वि० [सं०] गृहपति संबंधी [को०। गारौ--संथा पुं० [सं० गौरव या सं० गुरु] गौरव । गुरुता । उ०- गार्हपतर..-संघापु० [सं०] गृहपति होने की स्थिति या भाव । गृह- जिन्ह घर कंता ते सुखी तिन्ह गारी पो गर्व ---जायसी पतित्व [को०] । ग्रं॰, पृ०१५२ । गार्हपत्य-संधा पुं० [सं०] १. दे० 'गार्हपत्याग्नि' । २. गार्हपत्य अग्नि गार्ग'-वि० [सं०] १. गर्ग संबंधी । २. गर्ग द्वारा निर्मित, या कथित। के रखने का स्थान । ३. साग्निक गृहस्थ किो०] ! गार्ग२ संज्ञा पुं० संगीत में एक ताल [को०)। गाहप्रत्याग्नि-संग्रा स्री० [सं० गार्हपत्य+अग्नि ] छह प्रकार की । गार्गि-संज्ञा पुं० [सं०] गर्ग मुनि का सूत्र [को०] । अग्नियों में से पहली और प्रधान अग्नि । गार्गी-संथा स्त्री॰ [सं०] गर्ग गोत्र में उत्पन्न एक प्रसिद्ध ब्रह्मवादिनी विशेष--परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी इस अग्नि को रखने का । स्त्री । इसकी कथा बृहदारण्यक उपनिषद् में है । गार्गी विधान है। यज्ञों में पात्रतपन आदि फर्म इसी अग्नि में किए । वाचक्नवी । २. दुर्गा । ३. याज्ञवल्क्य ऋषि की एक स्त्री जाते थे । श्रौतसूत्र के अनुसार अग्निहोत्र ग्रहण करने वाले के का नाम । लिये इस अग्नि का रखना अत्यंतावश्यक है । साधारण भोजन गार्गीय-वि० [सं०] १. गर्ग का रचा हुआ । २. गर्ग संबंधी (को०)। पकाने से लेकर संस्कार तक सभी कृत्य इसी अग्नि में किए गार्गेय-संथा पुं० [सं०] [बी. गागेयो] १. गर्ग गोत्र का पुरुष । जाते हैं। शास्त्रानुसार प्रत्येक गृहस्थ को इस अग्नि की रक्षा | २. गर्ग रचित ग्रंथ [को० । करनी चाहिए। गार्य-संबा पुं० [सं०] श्री० गार्गी] १. गर्ग गोत्र में उत्पन्न पुरुष। शार्टमेध-संवा पं० [सं०1 पंचयज्ञ प्रादि गहस्थों के फर्तध्य कर्म । २. एक प्राचीन वैयाकरण जिनके मत का उल्लेख यास्क गास्थिक--वि० [सं० माईस्थ नहस्थ जीवन संबंधी।।" और पाणिनि ने किया है। निरुक्त टीकाकार दुर्गासिंह के विशेष-यह शब्द संस्कृत व्याकरण से असाधु है पर हिदा म अनुसार सामवेद के पदपाठ की रचना इन्हीं ने की थी। इस शब्द का प्रयोग प्रचलित है। इनकी बनाई एक स्मृति भी है। . गार्हस्थ्य---संज्ञा पुं० [सं०] १. गृहस्थाश्रम । २. गृहस्थ के मुख्य कृत्य ।। गार्जर-संज्ञा पुं० [सं०] गाजर [को॰] । पंच महायन। गाजियन-संशा पुं० [अं॰] देखभाल करनेवाला व्यक्ति । संरक्षक । गार्हस्थ्य विज्ञान-संज्ञा पुं० [सं० गार्हस्थ्य+विज्ञान ] वह विज्ञान ., अभिभावक । उ--- मेरे गाजियन की हैसियत से इस प्रकार जिसमें गह संबंधी बातों का विवरण रहता है। जैसे-घर की सूचना प्राप्त करने के संबंध में उनकी उत्सुकता स्वाभाविक की व्यवस्था, भोजन आदि की तैयारी की पूरी जानकारी . है।-पर्दै०, पृ० ६४ । बच्चों का पालन पोपण आदि। . .. गार्ड--संज्ञा पुं॰ [अं०] १. पहरा देनेवाला । मनुष्य । रक्षक। गाल-पंक्षा पुं० [सं० गल्ल ] १. मुह के दोनों ओर वुड्डी और यौ०-बाडीगार्ड। कनपटी के बीच का कोमल भाग जो आँखों के नीचे होता. २. रेल का वह प्रधान उत्तरदाता कर्मचारी जो ट्रेन की रक्षा के हैं। गंड । कपोल । जैसे,--लाल गुलाल सोलीनी मुठी भरि लिये पीछे ब्रेक में रहा करता है। इसके प्राज्ञानुसार इंजन वाल के गाल की ओर चलाई।---देव (शब्द०)। . का ड्राइवर गाड़ी रोकता और चलाता है। ३. निगरानी मुहा०-- गाल फुलाना%3(?) गर्वसूचक आकृति बनाना। रखनेवाला मनुष्य । निरीक्षक । जैसे, इमतिहान का गाई। अभिमान' प्रकट करना । जैसे,--सो भलु मनु न बाद हम