पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२०७

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कता पिरनार १२८४ गिरवीनामा जैसे-दांत गिरना, सींग गिरना, बाल गिरना, (चोट खाया गिरमाल- मौ० [हिं० गराँच] रस्सी । डोरी । बंधन । उ०- हना) नाखून गिरना, गर्भ गिरना। 5. किसी ऐसे इची खिची गिरमा गसी गैया लो तुम साथ । -श्यामा०, - रोग का होना जिसके विषय में लोगों का विश्वास हो कि उसका वेग कयर की ओर से नीचे को पाता या होता है। गिरमिट'-संज्ञा पुं० [अं॰ गिमलेट=बड़ा वरमा] (लकड़ी में छेद .:. जैसे-नजला गिरना, फाजिल गिरना । ६. सहसा उपस्थित करने को) बड़ा बरमा।-(बढ़ई)। होना । प्राप्त होना । जैसे-(क) तुम यहाँ कहाँ या गिरे? गिरमिट -संवा पु० [अं० एग्रीमेंट=इकरारनामा] १. वह पत्र - (ब) आज बहुत सा काम आ गिरा। जिसमें किसी प्रकार की शर्त लिखी हो; विशेपतः बहु पत्र विशेप---इस अर्थ में इससे पहले 'ग्राना' क्रिया लगती है। जिसपर कुलियों से उन्हें उपनिवेशों में काम करने के लिये १०. युद्ध में काम पाना । लड़ाई में मारा जाना । खेत रहना। भेजने के समय हस्ताक्षर कराया जाता था। इकरारनामा। .. जैसे-उस लड़ाई में दो सौ आदमी गिरे। ११. कबूतर का शर्तनामा। किसी दूसरे की छतरी पर चला जाना।-(कबूतर वाज.)। क्रि० प्र०-करना!-लिखना ।—होना । ..... १२ बरसना । १३. घायल होकर गिरना । १४. हारना। २. कोई काम करने की स्वीकृति या प्रतिज्ञा । इकरार । १५. खाट पर जमीन पकड़ना पड़ना । बाट पकड़ना। गिरमिटिया - संडा पुं० [हिं० गिरमिट ] अंग्रेजी शासन काल में E. बीमार होना । १६. किसी वस्तु के लिये बहुत अधिक लोलुपता शर्त के साथ किसी उपनिवेग में गया हया भारतीय मजदूर। दिखाना। १६. उत्साहहीन होना । मंद होना। यो०-गिरमिटिया प्रथा । यौ०-गिरता पड़ता=(१) कठिनाई से। (२) लड़खड़ाता गिरराज- संवा पुं० [सं० गिरिराज] गोवर्धन पर्वत । - हुा । गिर पड़ कर दे० 'गिरता पड़ता' । गिरा पड़ा छूटा गिरवर -संशा पुं० [सं० गिरि+वर] बड़ा पहाड़। हुआ। जमीन परं पड़ा हुप्रा । यौ-गिरवरधारी-गिरधर । श्रीकृष्ण । -: "महा--गिर कर सौदा करना-दबकर या दबाव के साथ सौदा गिरवाल-संज्ञा स्त्री० [हिं० गरांव ] रस्सी। डोरी। उ.--जैसे - करना या मामला हल करना। कसाई के हाथ की गिरवां से गसो गया कातर नैनों से पीछे गिरनार-मंचा पुं० [सं० गिरि+नार (=नगर) ] [वि० गिरनारी] देखती जाती हो।-श्यामा०, पृ० १५५ । जैनियों का एक पवित्र तीर्थ। गिरवाण -संथा पुं० [सं० गीर्वाण] ३० गीर्वाण'। उ०-तहक विशेष. यह गुजरात में जनागढ़ के निकट एक पर्वत पर है। . नीसाण गिरवाण हरखाए तन, चितां सरसाण भगारा . . इसे पुराणों में रैवतक पर्वत कहते हैं । चालं 1--रघु० २०, पृ० २६ । - गिरनारी-वि० [हिं० गिरनार] गिरनार पर्वत का निवासी। गिरवाणी@-संज्ञा स्त्री० [सं० गीर्वाण] देवी । उ०-तस जंग जंत्री - गिरनाली-वि० [हिं० गिरनार] दे० 'गिरनारी'1 तारिणया, वरमाल गह गिरवाणिया 1-रघु००, पृ० २२१ । गिरफ्त-संधाबी० फा. गिरफ्त] १. पकड़ने का भाव । पकड़। गिरवान'@t-संवा पुं० [सं० गीर्वाण] देवता । देव । सुर । उ०-~- - २. पकड़ने की क्रिया । ३. हिसाब किताब में गलती पकड़ना। तेरे गुन गान सुनि गिरवान पुलकित सजल विलोचन विरंचि .. .आपत्ति । एतराज । ५. अधिकार । कब्जा। ६. चंगुल । हरि हर के। तुलसी (शब्द०)। .. पंजा। ७. हत्तक । दाता । गिरवान'@ संशा [फा० गरेवान] १. अंगे या कुरते का वह मुहा०-गिरपत करना कोई दोष निकालना या अापत्ति करना। गोल भाग जो गर्दन के चारों ओर रहता है। कालर । २. रिपतगी-संबकी [फा० गिरफ़्तगी] १. गिरफ्त । पकड़ । २ गर्दन । गला । उ०-नेही सन मुख जुरत ही तेहि मन की

..आवाज का वैठ जाना । ३. उदासीनता । उदासी।

गिरवान । वाहत हैं रनवावरे तेरे दृग किरवाना--रसनिधि

गिरफ्तार-वि० [फा०गिरफ्तार] १. जो पाड़ा, कैद किया या

- (शब्द०)। . बांधा गया हो । २. असा हुआ । ग्रस्त । गिरवाना- क्रि० स० [हिं० गिराना] गिराने की प्रेरणा करना। गिराने का काम किती दूसरे से कराना।

गिरफ्तारी-संशा लोका० गिरफ्तारी] १. गिरफ्तार होने का

- भाव! कैद । २. गिरफ्तार होने की क्रिया। गिरवी-[फा०] गिरो रखा हुग्रा। बंधक । रेहन ।

महा.--गिरफ्तारी निकलना=किसी के गिरफ्तार होने का या

यौ--गिरवीदार, गिरवीनामा, गिरवीजन्ती, गिरवीगाठारेहन । बंधक। परवाना या वारंट निकलना। मि०प्र०-करना।-मरना।-रखना। गिरवांन-संज्ञा पुं० [सं० गीर्वाण] देवता । मुर। परवान--संक्षा पुं० [फा० गरीधान] गर्दन । गला । उ०-खंजर गिरवादार- पु० [फा०] वह व्यक्ति जिनके यहाँ कोर्ट बंधक रखी हो। .. यसिपुत्रिय लरत, घरत सिब गिरबान ।-4. सो०, पृ०७२। गिरवीनामा-संशा पुं० [फा०] वह पत्र जिसमें गिरों की शत लिखी गरब टी-संमा मौ० म० गिरि+हिं० बूटी] अंगुर शेफा । हो । रेहननामा ।