पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२१७

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१२६४ गुधवाना गुंडई-संज्ञा स्रो० [हिं गुडा] गुंडापन । शोहदापन । बदमाशी। गुवज- संज्ञा पुं० [फा० गुंबद] देवालयों की गोल गेंदनुमा छन् । :- गंडक-संशा पुं० [म० गुए डक] १. धूल । २. चूर्ण । ३. तैल रखने यो०-गुबजदार। .. का वरतन । तैलपात्र । ४. कर्णप्रिय कोमल मधुर ध्वनि । गुबजदार-वि० [फा० गुबददार जिसपर गुबज हो। ५. गंदा बाटा । ६.गंदी धूल मिली भोज्य सामग्री (को०)। गवद-संज्ञा पुं० [फा०] दे० 'गुवज'। गडन-संज्ञा पुं० [सं० गुरु उन] गुठन । छिपाव। . . गुवदी-वि० [फा०] १.गुंबद की शक्ल का । गुबदवाला। .. गुडली-संघा सी० [सं० कुण्डली] कुंडली । गेंडरी (को०)। गुवा-संज्ञा पुं॰ [हिं० गोल+व प्राम| वह कड़ी गोल सुजन जो गुडा!--[सं० गुण्डक - मलिन] [वि॰ स्त्री० गुडी] १. दुर्वृत्त । पापी। सिर या मत्वे पर चोट लगने से होती है । गुलमा। गूमड़ा। बदचलन । कुमार्गी। बदमाश । २. छैला । चिकनिया । गभी-संवा खी० [सं० गुम्फगुच्छा] अंकुर । गुंडा--संज्ञा पुं० बदमाग आदमी । . गुमज-संज्ञा पुं० [फा० गुवद, हिं• गुधज | दे० 'गुबद' । उ०-

गंडा---संज्ञा पुं० [सं० गुण्ड] गोला। १०. अति गह सुमर खोदाए कसे कंचुकी मैं 'दुवी उच कुच करत बिहार । गुमज के

.' बाए लें भांग क गुडा। कीति, पृ. ४० । गजकुम के गरभ गिरावनहार ।-म० सप्तक, पृ० ३५३ । गडाना-वि० [हिं० डा] गुडों का । मुंडापन लिए हुए। गुमट -संज्ञा पुं० [हिं०] दे॰ 'बद । उ० -गुमट में जब जाय • गुंडापन-संज्ञा पुं॰ [हिं० गुंडा--पन (प्रत्य॰)] बदमाशी । लगा, मुक्ता सो नजर में प्रावत है।- पलटू०, पृ० ११ । । गंडासिनी-संवा स्त्री० [सं० गुण्डासिती एक प्रकार का तृण । गुमी-संछा स्त्री० [हिं० गून-रस्ती] पाल खींचने की रस्सी । - विशेप--यह वैद्यक मैं कट, तिक्त, उष्ण और पित्त, दाह, शोप मुहा०-गुम्मी बाँचना-पाल को बीच खाँचकर ठीक करना। E तथा ब्रए दोप का नाशक कहा है। –(लश०)। . . . : पर्या०-गुडाला । गुड़ाला 1 गुच्छमूलिका । चिपिटा तृणापत्री।। गगवहरीसंद्धा [हिं० मूगा+बहरा ] एक प्रकार की लंबी ...यवासा । पृथुला । विष्टरा! . . . मछली जो देखने में सांप की तरह मालूम होती है। वाम । गडिक-या पुं० [सं० गुण्डिक] पाटा। चूर्ण (को०] । वांची। . . .- -: गुडिचा-संज्ञा स्त्री० [में गुण्डिचा] १.पुपोत्तम के १२ उत्सवों में गगणाना-क्रि० अ० [अनु०] १. धुआँ देना। अच्छी तरह न ..... से एक । २. इस उत्सव का स्थान । ३. उत्कल खंड (को०)। जलना । उ०-विरह की अोदी लाकरी सपचे प्री गु गुमाय। - गुडित-वि० [सं० गुएिउत] १.चूर्ण किया हुप्रा । २. धुल से ढका ... दुख ते तवहीं वांचिहौ, जब सगरो जरि जाय । —कबीर हुया !को०)। (शब्द०)। २. गूगू शब्द करना । अस्पष्ट शब्द निकालना। - गडी-संवा स्त्री० [हिं०] सूत की लच्छी। गेड़री। । गूगे की तरह वोलना। ..गुडो --संज्ञा सी० [सं० कुण्ड ] पीतल का छोटा जलपात्र या गुजरा -संज्ञा पुं० [हिं० गजरा] दे० 'गजरा' । उ-जरा कलसा । हियरे विहरै तन सोभित, धातु विचित्र लह्यो करिये।- - गुंडोर-वि० [सं०] १. चूर्ण करनेवाला। पीसनेवाला २. नष्ट भ्रष्ट नट०, पृ० १६ ।। - करनेवाला [को०)। गुजाना-क्रि० स० [हिं गूजना] गुजनमय करना। गूज से गुदल-संज्ञा पुं० [सं० गुन्दल] छोटे नगाड़े या ढोल की मंद ध्वनि को भरना । "ग दाल-संज्ञा पुं० [सं० गुग्दाल चातक । पपीहा (को०)। गुडला--संज्ञा खौ- [सं० कुण्डली] १. फेटा। कुंडली। २.गडा -गद्र-संज्ञा पुं० [सं० गुन्द्र । एक प्रकार की घास। शर तण [को०]। इदुरा दाल-संज्ञा पुं० [सं०. गुन्द्राल] चातक । पपीहा (को०)। गुथना-किक्र म [हिं० गुयना] दे० 'गुयना'। गुफ-संधा पुं० [सं० गुम्फा त्रिफित].१. उलझन । फंसाव । दो गुदला--संशा पुं० [म. गुण्डाला] नागरमोया नाम की धात जो प्रायः . .या कई वस्तुयों का परस्पर गुत्थमगुत्था । २.गुच्छा । ३..दाढ़ी। दलदल के पास होती है। - गलमुच्छा । ४. कारणमाला अलंकार । ५. सज्जा (को०)। गुदीला-वि० [हिं० गोंदीला] दे० 'गोंदीला' ....... ६. वाजूबंद (को०)। ७. संयोजक । रचना । व्यवस्था (को०)। गधना'-क्रि० अ० [सं० गुध-कीडा अयया हिना क . . गुफन--संञ्चा पुं० [सं० गुम्फन] [१० गुफित] १. उलझन । फैसाव। ... रूप] पाना में सानकर मसला जाना । माड़ा जाना । साना .. 'गुत्थमगुस्था। गूधना। गाँधना। २. क्रमबद्ध करना (को०)। जाना । जैसे,-पाटा गुध रहा है। गुफना-संज्ञा खौ० [सं० गुफना] १. गूचना । २.व्यवस्था । रचना। गुधना-क्रि० अ० [सं० गुल्य या गुत्य गी . . ३. शब्दों और अर्थ की वाक्य में सम्यक् रचना (को०)। लटों, या इसी प्रकार की और वस्तुओं का गुच्छेदार लड़ी के . गफा-संचा सं ग्रहा; मरा०, हिं० गुफा] ३० 'गुफा' । उ०- रूप में बनना । गुयना । जैसे, चोटी गधना। . मथुरा की जैन मूर्तियों और कलिंग की जैन गुफाओं की गुधवाना-क्रि० स० [हिं० गूधना का प्रेम मूलियाँ प्रायः एक सी हैं। भा० इ०३०, पृ०६४१ . दूसरे से कराना । . , ...