पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२०

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गुंजरेटा १२६७ - गुटबंदी गुजरेटा-संक्षा पुं० [हिं० गूजर] १. गुजर का पुत्र । गूजर लड़का। गुज्झा--वि० छिगा हुमा । अप्रकट । गुप्त । भीतरी (पश्चिम)। २. गूजर जाति का व्यक्ति । गुज्झाना--क्रि० स० [स० गुह्य] छिपाना । गुप्त करना । ...... गुजरेटी-संक्षा श्री० [हिं० गूजर ].१. गूजर जाति की कन्या। गुझवाती--संज्ञा स्त्री० [सं० गुह्य + हि बात ] १. गुप्त बात। छिपी . गूजर की बेटी । २. गूजरी । ग्वालिन । .. हुई बात । रहस्यमय बात। . .. . , ... . गुजश्ता-वि० [फा० गुजश्तह ] बीता हुआ । गत । व्यतीत । भूत गुझरोटा-संशा पुं० [२० गुह्य, प्रा० गुज्झ+स० आवर्त प्रा. . . (काल)। जैसे, गुजश्ता हाल। ..: : ..श्रावट्ट, पाट्ट] १. कपड़े की भिकुड़न। शिफन । सिलवट। ... गुजाना--कि० स० [हिं० गुजाना] देव 'गुजाना' । उ-नर वीर उ०-कर उठाय चूंघट करति, उसरन पट गुझरोट । नुख । दिवादिव देवस पुवह ग्रव्य गुजाइया पुन्य ढरे । --पृ० रा०, मोटें लूटी ललन लखि ललना की लोट-बिहारी (शब्द०): .. १३३१३१ । २. स्त्रियों की नाभि के पास का भाग जहाँ निवली या पेटी .:. गुजार---वि० [फा० गुजार] गुजारनेवाला। करनेवाला । जैसे, शुमा रहती है। . . . गुजार, मालगुजार। गुरोट-संश पुं० [हिं० गुमरोट] दे० 'गुमरोट' ! विशेष----इसका प्रयोग समस्त पद में ही अंत में मिलता है। गुझरौटा-संज्ञा पुं० [हिं गुझरोट] ३० गुफरोट'। गुजारना-क्रि० स० [फा. गुजार + हिं ना (प्रत्य॰)] १.. गुझिया--संशा पी० [सं० गुह्यरु, प्रा. मुरमा, गुण्झा] १. एक प्रकार : बिताना । काटना । २. उपस्थित या पेश करना (को०) । ३. का पकवान। कुसली । पिराक। (कष्ट में) डालना। . विशेप-दे की छोटी लोई में मौठा, मसाला मादि पूर भरकर मुहा०-नमाज गुजारना=ईश्वर की प्रार्थना करना । अरजी उसे दोहर देते हैं और फिर उसकी धनुपाकार ओंठ या किनारे गुजारना--किसी बड़े हाकिम के दरबार में प्रार्थनापत्र को मोड़ तोड़कर बंद कर देते हैं। अंत में इसी बंद लोई को पेश करना। .. . घी में छान लेते हैं। ... . गुजारा--संज्ञा पुं० [फा० गुजारह] १. गुजर । गुजरान । निर्वाह । २. वृत्ति जो किसी को जीवन निर्वाह के लिये दी जाय । ३. विशेप--यह ऊपर लिरों पकवान के प्रकार की होती है और नाव या घाट की उतराई। ४. महसूल लेने का स्थान जो इसके भीतर थोड़ी मिश्री अथवा इलायची और, मिर्च सड़क पर हो। ५. मार्ग। ६. घाट।। . रहती है। गुजारिश--संज्ञा स्त्री॰ [फा० गुजारिश] निवेदन । गुझी@-संभाजी० [सं० गुह्य] गुप्त । छिपी हुई। उ० - ताई सिको .. गुजारशनामा-संघा पुं० [फा० गुजारिशनामह ] प्रार्थनापत्र । ___ सउरेला, गुझी गालि सुनाइड़े।-दादू पृ० ५४४ । निवेदनपत्र। . .. गुमोटा-संथा पुं० [हिं० गुझरोट | 10 'गुझरोट' । गजारेदार-संज्ञा पुं० [फा० गुजारह+दार] जीवननिर्वाह के लिये गट -संशा पुं० [सं० गोष्ठ-समूह ] १. किसी विशेष अभिप्राय से, वृत्ति पानेवाला व्यक्ति। .. ... वनाया हुमा दल । २... 'गु'। गजी-संझ सी० [सं० गुह्य] नाक का मल गो, सूखकर नथुनों के क्रि० प्र०—बनाना । -बांधना। भीतर ही जम जाता है । नकटी। .. . . यो०-गुटबंदी । गुटवाज । गुटबाजी। गजुवा--संश० [देश॰] [भी गुजी, गुजुई] एक प्रकार का काला गट---संज्ञा पुं० [अनु॰] कबूतरों के बोलो का स्वर (को०] .. कीड़ा या गुवरैला जो बरसात में पैदा होता है.। यह गोबर के गटकना--कि० अ० [अनु०] मायुतर की तरह गुटरगू करना।

नीचे बिल बनाकर रहता है।.... .....

गुटकना २-क्रि० स० [हिं० गुटकना] १. निगलना । खा जाना। गज्ज -संशा पु० [सं० गुर्जर) दे० 'गूजर' उ-वुल्यो बर गामिय गटका-संज्ञा पुं० [सं० गुटिका] १. १० 'गुटिका' । २. छोटे माकार: . गुज्ज गवार । कहै सुरतानप सेन उवार ।--पृ. रा.. की पुस्तक । ३. लट्ट । ४. गुपचुप मिठाई। ५. एक प्रकार का . १२।१३६। मसाला। . ..... गुज्जरी-संज्ञा पुं० [हिं० गूजर] दे॰ गूजर।।..... विशेप-यह जावित्री, पिस्ता, कत्था; लौंग, इलायची, सुपारी गज्जरी---संबा पुं० [सं०] १. गूजरी। २. एक रागिनी जो भैरव राग , इत्यादि मिलाकर बनाया जाता है और कहीं कहीं पान क. की स्त्री है। .. . ...... स्थान पर खाया जाता है। .. ... ... विशेष-किसी किसी का मत है कि यह मेध राग की स्त्री है। गुटकाना--क्रि० स०अनु०.] १. (तबलो आदि) बजाना। २. गुट- गजल- वि० [हिं० गुज्झा] दे० 'गुज्झा' 1.30-महरम दिलजानी ..गट की ध्वनि करना ।, .. #उरा गुज्झ गला दीदियाँ खोलम । - घनानंद, पृ० ५४६ । गटकी-संवा श्री० [सं० गुटिका] ३० गुटिका'। गुज्झना-मि० अ० [सं० गुह्य] छिपना गुटनिरपेक्ष-वि० [हिं०.गुट + सं० निरपेक्ष ] वह व्यक्ति या राष्ट्र गुज्झा '--संज्ञा पुं॰ [से गुह्यक] १. गोझा नाम की बसि. को कील। जो किसी गुट विशेप में न हो। ... ... . . दे० 'गोझा' । २. एक प्रकार की फेंटीली घास । गोझा । ३. पर्या--रस्थ ।. .. ..: पा । रेशेदार गुदा। । गुटांदी-मशाली [हिं० गुट - बंदी ] १. कुछ लोगों का ,