पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२२

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गुडेगड़ाना १२६६ 'पला चि०५०) विशप-जल के भीतर वेग से नली आदि के द्वारा वायु के है-ईश्वर तुम्हारे साथ रहे या तुम्हारा रक्षक हो। यह । घुसने से ऐसा शब्द होता है। अभिवादन किसी समय किया जा सकता है। गुड़गुड़ाना-क्रि० स० [अनु॰] हुक्का पीना। हुक्का या फरशी डमानिंग--संहा पुं० [सं०] प्रातःकाल किसी से मिलने या विदा को मुह से लगाकर इस प्रकार खींचना कि उसमें से होने के समय कहा जानेवाला एक अभिवादन वचन । ....... गुड़गुड़ शब्द निकले। जैसे,--तुम तो जब देखो तब हुक्का गुडरू --संक्षा पुं० [देश॰] एक प्रकार की चिड़िया जिसे गडरी-भी. गुड़गुड़ाया करते हो। कहते हैं ।---30-धरे परेवा पंडुक हेरी। खेरा गुडरू और गुड़गुड़ाना-क्रि० स० [देश॰] गुड़ ना का सकर्मक रूप। बगेरी |---जायसी (शब्द०)। गुडगुडायन-संधा पुं० [सं०] खाँसी से होनेवाली कंठ की गुडशर्करा--संशा सी० [सं०] चीनी (को०11 . ध्वनि [ो। गुडशृंग-संज्ञा पुं० [सं० गुडशृङ्गा कलश । गुंबद [को॰] । गड़गुड़ाहट-संज्ञा स्त्री० [हिं० गुड़गुड़ाना+हट (प्रत्य॰)] गड़गड़ गुडशृंगिका--संञ्चा खी० [सं० गुडशृङ्गिका] गेंद फेंकने का एक आला . - शब्द होने का भाव । या औलाद (को०] 1 गुड़गुड़ी--संक्षा स्त्री० [हिं० गुडगुड़ाना] फरशी। एक प्रकार का गुडहर--संज्ञा पुं० [हिं० गुड़+हर] १. अड़हुल का पेड़ या फूल । जपा।

हुक्का । पेचवान ।

विशेष--पुराना विश्वास है कि गुड़हर का फूल यदि घर में : गुड़च-संश श्री० [सं० गुडुची] दे॰ 'गुरुच' । ___ रखा जाता है तो लड़ाई होती है। गुड़ची- संञ्चा सी० [सं० गुडूची] दे० 'गुड़च' । २. एक छोटा वृक्ष। गुडतृण--संज्ञा पुं० [सं० गुडतृण] ईख । विशेष--इसकी पत्तियाँ और इसके फूल अरहर के.से होते हैं। गुडत्वच्-संशा स्त्री॰ [सं०] दारचीनी (को०) । इसकी दो तीन पत्तियाँ चबाकर यदि गुड़ खाया जाया तो गुड़ गुडत्वचा-संवा श्री० [सं०] दे० 'गुडत्वच्' । का स्वाद ही नहीं जान पड़ता। गुडदारु-संज्ञा पुं॰ [सं०] ईख (को०] । गुडहरीतकी-संशा स्रो० [सं०] गुड़ की चाशनी में डुबाकर रखी गुड़धनिया-संवा स्त्री० [हिं० गुड+ धान] लड्डू जो भुने हुए गेहूं गई हरे (को० । ___को गुड़ में पागकर बाँधे जाते हैं। गुड़हल-संज्ञा पुं० [हिं० गुड़हर] दे० 'गुड़हर' । विशेष-ऐसे लड्डू प्रायः महावीर या गणोश को चढ़ाए गुड़हुर-संज्ञा पुं० [हिं० गुड़हर] दे० 'गुड़हर'। उ०--भले पधारे जाते हैं। पाहुने 8 गुड़हुर को फूल। (शब्द०)। गुड़धानी-संज्ञा स्त्री० [हिं० गुड+धान] दे० 'गधनियाँ। गुडा-संथा स्त्री० [सं०] १.दाख । उ०--गुडा, प्रयाला, गोस्तनी, गुडधेनु-संघा स्त्री० [सं०] दान में देने के लिये बनाई गई गड़ की चारुफला पुनि सोइ ।-नंद ग्रं॰, पृ० १०४ । २. कपास का . गाय (को०)। पेड़ (को०)। ३. गोली (को०)। गडना-कि० अ० [देशा०] चलना । जाना । उ०-अस्सी सहस अस्सी सहस गहाका- गुडाका--संवा खी० [सं०] १.तंद्रा। आलस्य । २. नींद को सौ. 01 | ग्राम हाथी गुड्या !-वी० रासो, पृ० १०५ । गुडा-संचा पुं० [हिं० गुड़] गुड़ मिला हुआ पीने का तमाकू। गुड़ना-क्रि० स० [देश॰] डंडे को इस तरह फेंकना कि वह अपने । गुडाकेश--संज्ञा पुं० [सं०] १. शिव । महादेव । २.अर्जुन । सिरों के बल पलटा खाता हुमा दूर तक चला जाय । मुडिका--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. छोटी गेंद। २. गोली । बटिका [को०! - विशेष लड़के एक प्रकार का खेल खेलते हैं जिसमें इस प्रकार गुड़िया---संधा खी० [हिं० गुड या गुड्डा कपड़ों की बनी हुई गुराड्यासमा जा' ह° गुङ या गुड्डा कप .. का डंडा फेंकते हैं। पुतली जिससे लड़कियां खेलती हैं। गुडनाइट-संद्धा खी० [अं॰] संख्या या रात के समय किसी से विदा क्रि० प्र०--खेलना । होने पर कहा जानेवाला एक अंगरेजी अभिवादन वचन यो०---गुड़ियों का व्याह-(१) लड़कियों का खेल जिसमें वे गुड्ड . जिसका अभिप्राय है-'यह रात आपके लिये शुभ हो। और गुड़िया की शादी करती हैं ।(२) गरीब आदमी का .. गुडपाक-संशा पुं० [सं०] १. गुड़ की चाशनी में डालकर प्रोपधि व्याह जिसमें बहुत धुमधाम नहीं होती। बनाने की एक प्रक्रिया। २.इस प्रकार की बनी हुई मुहा०--गुड़िया सी छोटी और सूदर । रूपवती । गुड़िया प्रोपधि । संवारना=वित्त के अनुसार लड़की का ब्याह करना । गुड़ियों गुडपिष्ट- संज्ञा पुं० [सं०] पाटे और गुड़ के योग से पागकर बनाई __ का खेल सहज काम । हुई मिठाई फो। गुडिला/--संवा पुं० [हिं० गुडिया] १.बड़ी गाड़ियाँ । २. किसी की गुडपुष्प-संशा पुं० [सं०] महुवा (को०] । बनी हुई प्राकृति । मूर्ति । पुतला। गुडफल---संघा पुं० [सं०] पीलु वृक्ष [को०) । गुड़ी'--संज्ञा स्त्री॰ [हिं० गुड्डी] पतंग । चंग । कनकौवा । गुड्डी। गुडवाई-संवा स्त्री॰ [सं०] किसी से विदा होने के समय कहा जाने उ.--गुड़ी उड़ी लखि लाल की अंगना अंगना माहिं 1. बोरा । वाला मैंगरेजी पभिवादन वचन जिसका थास्ताविक अभिप्राय खों दौरी फिर छुवत छवीली छाहिं ।-निहारी (शब्द०)। ...