पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२३

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गडी-ला औ० [सं० गुडिका] १. गाँठ । गोली । २. कपट की गुढ़ -संज्ञा पुं० [सं० गूढ़ ] छिपकर रहने का स्थान 1 बचकर गांस। मनमोटाव । कीना। द्वाप। ३. ऐंठन । रहने की जगह। - गुड़ीला-वि० [हिं० गुड ईला (प्रत्य॰)] १. गुड़ का सा मीठा। गुढ़ना-क्रि० अ० [सं० गूढ़ ] पाड़ में होना । छिपना । सुकना। ... .. २. उत्तम । बढ़िया । उ.- लखि दारत पिय कर कटकु बास छुड़ावन काज । गुड चे-संवा बी० [सं० गुडुची] दे० 'गुल्च'। वरुनिन बन गाढ़े दृगनु रही गुड़ी करि लाज |---विहारी

गुंड ची-संचा श्री० [सं०] गुरुच । गुर्च को०] ।

(शब्द०) 'गड रू-संज्ञा स्त्री० [सं० कुण्डली द्वार में लगा या लकडी का गुण' संज्ञा पुं० [सं०] [वि० गुणी] १. किसी वस्तु में पाई जानेवाली टुकड़ा । ठेहरी । चूल । वह वात जिसके द्वारा वह दूसरी वस्तु से पहचानी जाय । ..विशेष----यह नीचे दीवार में धंसा रहता है वह भाव जो किसी वस्तु के साथ लगा हुमा हो। धर्म । और इसपर सिफत । ... किवाड़ के घूमने के लिये गड्ढा बना रहता है। विशेष सांख्यकार तीन गुण मानते हैं । सत्व, रज और तम; . २. मंडलाकार रेखा । ३. छोटा गड्ढा या बिल । और इन्हीं की साम्यावस्था को प्रकृति कहते हैं जिससे सृष्टि गुड़ वा-मज्ञा पुं० [सं० गुड = खेलने की गोली] कपड़े का बना हुआ का विकास होता है। सत्वगुण हलका और प्रकाश करने-

पुतला।

वाला, रजोगुण चंचल और प्रवृत करनेवाला और तमोगुण - गुडूची--संज्ञा स्त्री० [F•] गुरुच । गिलोय । भारी और रोकनेवाला माना गया है। तीनों गुणों का गुडेर--संवा पुं० [सं०] १. गोलाकृति । २. गेंद। कंदुक 1 ३. ग्रास। स्वभाव है कि वे एक दूसरे के प्राश्रय से रहते तथा - - कौर [को० । एक दूसरे को उत्पन्न करते हैं। इससे सिद्ध होता है कि गुडेरक संज्ञा पुं० [सं०] १. गोलाकृति । २. गेंद । कंदुक ! ३. ग्रास। सांख्य में गुण भी एक प्रकार का द्रव्य ही है जिसके अनेक ... कौर [को०] । धर्म हैं . और जिससे सब पदार्थ उत्पन्न होते हैं । गुड्डा' संज्ञा पुं० [ मं० गुड = खेलने की गोली ] गुड़वा। कपड़े का विज्ञानभिक्ष का मत है कि जिससे आत्मा के बंधन के लिये .., बना हुआ पुतला जिसे लड़कियाँ खेलती हैं। महत्तत्व आदि रज्जु तैयार होती है उसी को सांख्यकार ने मुहा०---गुडडा बाँधना=अपकीति करते फिरना । निंदा करना। गुण कहा है । वैशेषिक गुण को द्रव्य का आश्रित मानता है ..विशेष-भाट लोग जब अपने किसी जजमान से इच्छानुसार और उसने उसकी परिभाषा इस प्रकार की है-जो द्रव्य में . धन नहीं पाते तब एक लंबे बाँस में एक पुतला बाँधकर रहनेवाला हो, जिसमें कोई गुण न हो, जो संयोग विभाग ...' लटकाते हैं और उस पुतले को वहीं सम जजमान मानकर का कारण न हो वह गुण है । रूप, रस, गंध, स्पर्श. परत्व, .. उसकी निंदा करते फिरते हैं। इसी को गुड्डा वाधना कहते अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह और वेग ये मूर्त द्रव्यों के गण . : हैं। अवध में इसे 'पुतला बांधना' बोलते हैं जैसे गोस्वामी हैं । वुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, कैप, प्रयत्न, धर्म, अधर्म, भावना • तुलसीदास ने लिखा है, अब तुलसी पूतरा वांधि है सहि न और शब्द ये अमूर्त द्रव्यों के गुण हैं । संख्या, परिमारण, .. जात मोसों परिहास एते । पृथक्त्व, संयोग और विभाग ये मूर्त और अमूर्त दोनों के .. गुड्डा--संज्ञा पुं० [हिं० गुड्डी] बड़ी पतंग । गुण हैं । गुण दो प्रकार के माने गए हैं, विशेष और सामान्य। गुड्डी'-संवा श्री० [सं० गुरु-+उड्डीन] पतंग। कनकौवा । चंग । रूप, रस, गंध, स्पर्श, स्नेह, सांसिद्धिक द्रवत्व, बुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म, अधर्म, भावना और शब्द..ये उ०- हम दासी बिन मोल की ऊधो ज्यौं गुड्डी बस डोर ।- ... सूर (शब्द०)। विशेप गुण हैं, अर्थात इनसे द्रव्यों में भेद जाना जाता है। संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुड्डो:--संश झोः [सं० गुटिका] १. घुटने की हड्डी । गुरुत्व, नैमित्तिक द्रवत्व और वैग से सामान्य गुण हैं । द्रव्य ...यो. हड्डी गुड्डी । जैसे, ऐती मार मारूंगा कि हड्डी स्वयं प्राश्रय हो सकता है पर गुण स्वयं प्राश्रय नहीं हो - गुड्डी न बचेगी । सकता । कर्म संयोग विभाग का कारण होता है, गुण नहीं। . मुहा०-हड्डी गुड्डी तोडना=बहुत अधिक मारना पीटना । २. निपुणता ' प्रवीणता । ३. कोई कला या विद्या । हुनर । . २. एक प्रकार का छोटा हुक्का । ३. चिड़ियों के डैनों या पैरों .... की वह स्थिति जो उड़ने के कुछ पहले होती है । कुंदा।.. यौ०-गुरंगग्राहक । गुणग्राही । क्रि० प्र०-माना | जानना ! - सिखाना.!-सोखना। • गुड्डू'--संघा चौ० [हिं० गुडुल] दे॰ 'गुरू' । ४. असर । तासीर । प्रभाव । फल । जैसे,--यह दवा अवश्य ही गुड्डू- संज्ञा पुं० [हिं०. गुढ़रू] एक छोटा कोड़ा। .. अपना गुग दिखावेंगी। विशेष- यह घूल में घर बनाकर रहता है। इसका घर भंवर ' क्रि० प्र०-करना।-दिखाना। . ..के आकार का होता है । बहुधा लड़के चींटी पकड़ कर उसमें ५. तारीफ की बात । अच्छा स्वभाव । शील । सद्वति। जैसे,- .... डालते हैं जिसे वह कौड़ा खा जाता है। . ___यही तो उनमें बड़ा भारी गुण है कि वे क्रोध नहीं करते।