पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२२९

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गुव्वारा २. गुढ़ ! जिसके जानने में कठिनता हो। ३. रक्षित । गुप्ती-तंत्रा भी० [सं० गुप्त] वह छड़ी जिसके अंदर गुप्त रूप से किरच सप्तर-संभा पुं० [सं०] १. पदवी जिसका व्यवहार वैश्य अपने नाम के या पतली तलवार इस प्रकार रखी हो कि आवश्यकता पड़ने साथ करते हैं । २. एक प्राचीन राजवंश जिसने पहले मगध पर तुरंत बाहर निकाली जा सके। देश में राज्य स्थापित करके सारे उत्तरीय 'भारत में अपना क्रि० प्र०--चलाना। - साम्राज्य फैलाया। गुप्तोत्प्रेक्षा-संझा स्त्री० [सं०] वह उत्प्रेक्षा जिसमें 'मानो', 'जानो'

विशेप-इस वंश में समुद्रगुप्त बड़ा प्रतापी सन्नाट हुआ । इस

आदि सादृश्यवाचक शब्द न हों। प्रतीयमाना उत्प्रेक्षा । - वंश का राज्य ईसा की ५वीं और हीं पाताब्दी में वर्तमान गुप्फा. संचा पुं० [सं० गुम्फ] १. फुदना । भब्बा । २. फूलों का गुच्छा। या। चंद्रगुप्त, । समुद्रगुप्त और स्कंदगुप्त आदि इसी वंश में हुए गुफा-संज्ञा ली. [सं० गुहा] वह गहरा अंधेरा गड्ढा जो जमीन या. ... . . थे। गुप्तवंशीय चंद्रगुप्त का दूसरा नाम विक्रमादित्य भी था। पहाड़ के नीचे बहुत दूर तक चला गया हो। कंदरा। महा।

बहुत लोगों का मत है कि प्रसिद्ध विक्रमादित्य चंद्रगुप्त ही हैं। गुप्त-वि० [फा० गुपत] कथित ।

- गुप्तक--संज्ञा पुं० [सं०] सुरक्षित रखनेवाला [को०। गुफ्तगू-संघा बी० [फा० गुफ्तगू] बातचीत । वार्तालाप । गुप्तकाशी-संशो० [सं०] एक तीर्थ जो हरिद्वार और बदरीनाथ गुफ्तार-संश क्षी० [फा० गुफ्तार] १. वाणी। वोली। अावाज _' के बीच में है। २. बात चीत । वार्तालाप । गुप्तगति-संज्ञा पुं० [सं०] भेदिया । गुप्तचर [को०] । गफ्तोशनीद-संज्ञा स्त्री॰ [फा० गुफ्तीशुनोद] १. वार्तालाप । गुफ्त।। . गुप्तगृह - संच पुं० [सं०] शयनगृह [को० । २. कहा सुनी । वाद विवाद । ३. तर्क वितर्क । - गुप्तगोदावरी संज्ञा दी [सं०] चिर्थकूट के निकट एक तीर्थस्थान किो०] गुवरला-संज्ञा पुं० [हिं० गोवर+ऐला (प्रत्य॰) 1 TIRIT गुप्तचर संशा पुं० [सं०] वह दुत जो किसी बात का चपचाप भेद कीड़ा जो गोवर और मल आदि खाता तथा इकट्ठा करता है। - लेता हो । भेदिया । ज्ञायुस । विशेष--यह गोबर की गोलियाँ लुड़काता हुना प्रायः खेतों आदि - गुप्तदान-मंशा पुं० [सं.] वह दान- जिसे देते समय दाता ही जाने __ में पाया जाता है। - और कोई न जाने। ., विप-ऐखा दान लोग प्रायः विना अपना नाम प्रगट किए गुवार-संया पुं० [अ० ग वार] १. गर्द। घल।

: अथवा वस्तु को छिपाकर देते हैं। ऐसा दान बहुत श्रेष्ठ समझा

यो-गर्द गुवार। जाता है। क्रि० प्र०-उठना !--उड़ना ।—ग्राना। .: गुप्तमतदान-संज्ञा पुं० [सं०] वह मतदान या वोट देना जो अपना २. मन में दवाया हुया क्रोध, दुःख या द्वेष प्रादि। - मत प्रकट किए बिना गुप्त रूप से दिया जाय । .. क्रि० प्र०-निकलना ---निकालना ।-रखना।

गुप्तमार-संशा को [सं० गुप्त+हि० मार] १. ऐसा आघातजिसका

महा०-गुवार निकालना= कटु और अप्रिय बातें कहकर मन . ... शरीर पर कुछ चिह्न न रहे। ऐसी मार जिससे शरीरसे रक्त का ऋोध दूर करना। ..... आदि न निकले, जैसे, से, थप्पड़ मादि की। भीतरी मार । गुवारा. संधः पुं० [फा० गुब्बारह ] दे० 'गुब्बारा'। -.....२ छिपा हया दौवच । एसा अनिष्ट जो बहुत छिपाकर गविद@-संशा पुं० [सं० गोविन्द, प्रा० गोविंद] दे० 'गोविंद'। किया जाय। गव्या-संशा पुं० [दिश०] रस्सी के बीच में डाला हुग्रा फंदा ।-(लश०)। .गुप्तदेश-वि० [सं०] छद्मवेशी । जो भेष बदले हुए हो (को०)। गुवाड़ा-संशा पुं० [हिं० गुब्बारा] दे० 'गुब्बारा' । गुप्तस्नेह-वि० [सं०] गुप्त रूप से प्रेम करनेवाला (ो। . गुब्बार-संज्ञा पुं० हिं० गुवार] दे० 'गुवार। ... गुप्तांग-संश पुं० [सं० गुप्ताङ्ग स्त्री या पुल्प के गोपनीय अंग। गुब्वारा-संया पुं० [फा० गुब्बारह. ] १. थैली या उसके प्राकार की . उपस्थ । और कोई चीज जिसके अंदर गरम हवा या हवा से हलकी

गुप्ता-संशो० [सं०] १. वह नायिका जो सुरति छिपाने का उद्योग

करती है। किसी प्रकार की भाप ग्रादि भरकर अाकाश में उड़ाते हैं। विशेष यह छह प्रकार की परकीया नायिकाओं में से मानी गई विशेप इसके बनाने में पहले रेशम या इसी प्रकार की और . . है। काल के अनुसार इसके तीन दह-(क) भूत-सुरति-गुप्ता, किसी चीज के थैले पर रवर की या और वानिश चढ़ाकर (ख) वर्तमान-सुरति-गुप्ता और (ग) भविष्य सुरति-गुप्ता ।. उसमें से हवा या भाप निकलने का मार्ग बंद कर देते हैं और २. रखी हुई स्त्री सुरैतिन । रचल। तब उसनं नरम हवा या हृया से हलकी और कोई भाप भर -. . गुप्तासन--संशा पुं० [सं०] सिद्धासन (को०] : देते हैं। इस थैले को एक जाल में भरकर उस जाल के नीचे गुप्ति--संका सी० [सं०] १. छिपाने की क्रिया । २. रक्षा करने की कोई बड़ा संदूक या वटोला-बांध देते हैं जिसमें प्रादमी - निया। ३. तंत्र के अनुसार ब्रहण किए जाने वाले मंन का बैठते हैं। गुब्बारा हवा से हलका होने के कारण प्राकाश एक संस्कार । ४. कारागार । वादखाना। ५.गुफा । गड्ढा । में उने लगता है। उसे नीचे लाने के लिये इसमें की गरम ७. अहिंसा प्रादि वोग मे अंग यम । ८. मलद्वार (को०)। हवा या भाप निकाल देते हैं। ६. नाक का छेद (को०)। . २. गुयारे ग्राकार पा कागज का बना हुमा बड़ा मोला।