पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२३०

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'. गुरखई - गुभ.. १३०७ ...विशेष---इसके नीचे तेल से भीगा हुआ कपड़ा जलाकर रख देते अधरन पर शोभा देखि गुमर बढ़ायो सब सखियो।-रस-.

. . हैं। इसके धुएँ से गोला भर जाता और आकाश में उड़ने - कुसुमाकर (शब्द०)। .

लगता है। इसका व्यवहार आतिशबाजी में या विवाह आदि गुमरना@--क्रि० अ० [हिं० घुमड़ना] । धिरना । गुमड़ना। .. शुभ अवसरों पर होता है। गुमराह-वि० [फा०] १. कुपथगामी । बुरे मार्ग में चलनेवाला । २. : ३. एक प्रकार का बड़ा गोला जो आकाश की ओर फेंकने पर। भूला हुआ । भटका हुआ। गुमराही-संज्ञा स्त्री॰ [फा०] १. भूल । भ्रम। २. कुपंथ । वुरा.. · फट जाता है और जिसमें से आतिशबाजी छूटती है। - क्रि० प्र०--उड़ना ।--उड़ाना ।-छूटना । -छोड़ना । मार्ग । कुमार्ग। गभ-संज्ञा पुं॰ [देश॰] समुद्र की खाड़ी।--(लश)। गुमशुदा-वि० [फा० गुमशुदह] | गुम । खोया हुया । भूला हुआ। ... गभी -संक्षा श्री० [सं० गुम्फ-गुच्छा] अंकुर । गाभ। उ०-मुरली गुमसुम'--वि० [फा० गुम+अनु० सुम] १. चुप । जो कुछ भी बोल: मोर मनोहर बानी सुनि इकटक जु उभी । सूरदास मनमोहन न रहा हो । २. बिल्कुल हिल ल न रहा हो। ३. उदास । । । निरखत उपजी काम गुभी।-सूर०, १०११८७० । चितित । ४. खोया हुआ। . . .... गमीला--संज्ञा पुं० [देश॰] गोटा जो मल रुकने के कारण पेट में रुक गुमसुम-क्रि० वि० १. चुपचाप । शांतिपूर्वक । २. ध्यानस्थ । खोया: . __जाता है। हुआ सा। गुम-वि० [फा०] १. लुप्त । छिपा हुआ। अप्रकट । २. अप्रसिद्ध । क्रि० प्र०-बैठना।—होना। . ३. खोया हुआ। गुमान-संज्ञा पुं० [फा०] १. अनुमान । कयास । २. घमंड । अहं.. क्रि० प्र०--करना ।-जाना!-होना। कार । गर्व। यौ०-गुमनाम । गुमराह । क्रि० प्र०--करना ।--होना । गुम- संथा पुं० [देश॰] वातावरण की वह स्थिति जिसमें हवा न चल ३. लोगों की बुरी धारणा । वदगुमानी। लोकापवाद । उ--., · रही हो। तुलसी जुपै गुमान को होती कछू उपाउ । तौ कि जादकिहि गुमरु-संशा श्री० [हिं० गमक] दे० 'गमक'। जानि जिय परिहरते रघुराउ ।---तुलसी (शब्द०)। ४. गमकना--क्रि० स० [सं० गम] शब्द का भीतर ही भीतर गुजना । शंका। सुबहा। गुमका-संघा पुं० [देश॰] भूसी से दाना अलग करने का काम । गुमाना-कि० स० [फा० गुम-खोया हुआ ] खोना । गवाना। गुमचा-संज्ञा पुं० [सं० गुजा] गुजा । घुमची। क्रि० प्र.--देना -बैठना। गुमची-संशा श्री० [सं० गुडजा] गुजा । घुमची । गुमानी--वि० [हिं • गुमान घमंडी। महंकारी। गहर करनेवाला। गुमजी-संज्ञा स्त्री॰ [हिं० गुमटी] दे० 'गुमटी' । गुमाश्ता-संधा पुं० [फा० गुमाश्तह] वह मनुष्य जो किसी बड़े. गुमटा-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का कीड़ा। व्यापारी या कोठीवाल की ओर से वही आदि लिखने या . विशेष—यह कपास के फूल को नष्ट कर देता है जिससे फसल माल खरीदने और बेचने पर नियुक्त हो। मारी जाती है। गुमाश्तागोरी-संवा स्त्री॰ [फा० गुमाश्तह गौरी] १. गुमाश्ते का पद। , गुमटा--संज्ञा पुं० [सं० गुम्बा+हिं० टा (प्रत्य०) ] वह गोल सूजन २. गुमाश्ते का काम। - जो मत्थे या सिर पर चोट लगने से होती है । गुलमी। गमिटना --कि० अ० [सं० गुम्फित] लिपटना । लपेटा जाना। . गुमटी-संञ्चा खी० [फा० गुवद] १. मकान के ऊपरी भाग में सीढ़ी गुमेटना--क्रि० स० [सं० गुम्फित लपेटना। ...... या कमरों आदि की छत जो शेप भाग से अधिक ऊपर उठी गुम्मट--संज्ञा पुं० [फा० गुबद] । गुबज । ' हई होती है। २. गोलाकार या चौकोर कोठरी या कमरा गुम्मर--संज्ञा पुं० [हिं० गुम्मट] चेहरे या किसी और अंग पर निकला ' जो रेलवे लाइन के किनारे प्रायः लाइन पार जानेवाले मार्गों ... ' हुआ बहुत बड़ा गोल मसा या मांस का लोथड़ा। पर वना होता है । वि० दे० 'गिमटी' । गुम्मा-संज्ञा पुं०.[देश॰] बड़ी मोटी ईट जो अंगरेजी ढंग की इमारतों गमटी-संक्षा पुं० [?] नाव या जहाज में का पानी फेकनेवाला में लगती है। १. मल्लाह या खलासी। गुरंबा --संज्ञा पुं० [हिं० गुडंबा] दे० 'गुडंबा'। गमना-कि० अ० [फा० गुम गुम होना । खो जाना। गुर"-संञ्चा पुं० [सं० गुरुमंत्र] वह साधन या क्रिया जिसके करते. ही गुमनाम---सं० [फा०] अप्रसिद्ध । अज्ञात । जिसे कोई न जानता हो। काम तुरंत हो जाय । मूलमंत्र । सार । यौ०--गुमनाम पत्र-ऐसा पत्र जिसमें लेखक ने अपना नाम न गुर--संथा पुं० [सं० गुण] तीन की संख्या । (fso)। . .

...दिया हो।

गुर-सिंज्ञा पुं० [हिं० गुड़ दे० 'गुड' । ... गुमर--संधा पुं० [फा० गुमान] १. अभिमान । घमंड । शेखी। २. गर -संज्ञा पुं० [सं० गुरु] दे० 'गुरु' । मन में छिपाया हुया क्रोध या द्वाप आदि । गुवार । ३. धीरे गुरखई-संवा बी० [सं० गो+हि० रखना एक प्रकार की रेहन . धीरे की बातचीत । कानाफूसी । उ०--मेरे नैन अंजन तिहारे या बंधक।