पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

" गुलखन . . गुलझड़ो. - गुलखन-संश पुं० [फा० गुलखन] १. भट्ठी । भाड़। २. चुल्हा। गुलचमन---संधा पुं० [फा०] फूलों का बाग । . .... . गलखंह-संथा पुं० [फा० गुल-खत्] १.एक पौधा जिसमें नीले गुलचश्म-संशा पुं० [हिं० गोला+चलाना] गोना चलानेवाला । तोप.. - रंग के फूल लगते हैं । २.इस पौधे का फूल । दागनेवाला । तोपची। -: गुलगचिया-संझा मो० [हिं०] दे० 'गिलगिलिया' । गुलचश्म-वि० [फा०] जिसकी आंख में फूली हो । जो गुलचांदनी-संज्ञा पुं० [फा० गुल+हिं० चांदनी] १. एक प्रकार गुलगपाडा-संशा पुं० [फा० गुल+हिं० गप्प] बहुत अधिक चिल्लाहट । का पौधा जिसमें फूल लगते हैं । २..इस पौधे का फूल - थोर । मुल । हल्ला। जो रंगत में सफेद होता और प्रायः रात को खिलता है। .: गुलगश्त-संशा को [फा०] बाग की सैर। गुलचा- संज्ञा पुं० [हिं० गाल] हाथ की उगलियों से या मुट्ठी बांध .'गुलगीर संघा पुं० [फा०] चिराग का गुल कतरने की कैंची। ____ कर धीरे से और प्रेमपूर्वक किया हुना ग्राघात ।

गुलगुल-वि० [हिं० गुलगुला] नरम । मुलायम । कोमल ।

क्रि० प्र०-खाना ।-देना ।—पड़ना।-मारना।—लगाना । .: गुलगुला-वि० [हिं० गुदगुदा] कोमल । नरम । मुलायम् । गुलचाना गुल 'गुलगुला-संश पुं० [हिं० गोल+गोला] १.एक प्रकार का -क्रि० स० [हिं० गुलचा+ना] गुलचा मारना या - लगाना। पकवान। गुलचियाना -क्रि० स० [हिं० गुलचा] दे॰ 'गुलचाना' । . विशेप----यह खमीरी पाटे वा मैदे के लड्डू के आकार के गोल गलची संज्ञा पुं० [फा०] १. फूल चुननेवाला, माली । २. एक टुकड़े बनाकर घी या तेल में पकाने से बनता है । यह प्रायः सदावहार का फूल । ३. उक्त फूल का पड़। , मीठा और कभी कभी नमकीन भी होता है। गलची-संक्षा बी० [?] रंदे की तरह बढ़इयों का एक औजार २.कनपटी 1 ग्राख और कान के बीच का वह स्थान जहाँ अाँख जिससे लकड़ी में गलता बनाया जाता है। - के कुछ रोगों को रोकने के लिये गुल लगवाए जाते हैं । गलचोन-संवा पुं० [?] एक प्रकार का वृक्ष । '... गुलगुला-संथा पुं० [देश॰] एक प्रकार की घास जो प्रायः ऊसर विशेप-यह कलम से लगाया जाता है और बारहों महीने - जमीन में उगती है। फूलता है। इसका पेड़ बड़ा होता है और पत्ते बहुत कड़े। .. गुलगुलाना-क्रि० स० [हिं० गुलगुल] १. किसी गूदेदार या उसी तथा लंबे होते हैं । प्रकार की और किसी चीज को दबा या मलकर मुलायम २. इस वृक्ष का फूल ।। - करना । जैसे,—रस चूसने के लिये ग्राम गुलगुलाना । २. विशेप-यह ऊपर से सफेद और भीतर की और कुछ पीले रंग .: गुदगुदाना। का होता है और इसमें चार पंखुरियां होती है। कहते हैं, --- - गुलगुलिया-संज्ञा पुं० [?] बंदर नचानेवाला । मदारी। इस फूल को अधिक सूघन से पीना रोग हो जाता है। - गुलगुलिया -सद्धा बी० [देश॰] एक प्रकार का पक्षी । गिलगिलिया। गुलचीनी-संवा बी० [फा०] फूल चुनना । .: गुलगुली - संधा ली० [देश॰] एक प्रकार की मछली। गुलछर्रा-संवा पुं० [हिं० गोली+छर्रा] वह भोग विलास या चैन जो बहुत स्वच्छंदतापूर्वक और अनुचित रीति से किया जाय। - विशेष--यह हिमालय के झरनों में बहुत पाई जाती है और महा.-~-गुलछरें उड़ाना=निदू रूप से अनुचित पोर बहुत । लगभग दो हाथ तक लंबी होती है। इसका मांस बहुत .: . कटिदार होता है ।। भोग विलास करना। - गुलगुला-संघा सी० [हिं० गलगुलाना] ३. 'गुदगुदी'। गल जलील-मंथा पुं० [फा०] असवर्ग का फूल जिससे रेशम रेंगा गुलगुली-वि० [हिं० गुलगुलाना] मुलायम । कोमल । उ०-- जाता है और जो बुरासान से पाता है । झालरनदार झुकि झुमत वितान बिछे गहब गलीचा अरु गुलजार' संशा पुं० [फा० गुलजारबाग । वाटिका । . गुलगुली गिलमै ।-पाकर ग्रं०, पृ० ११७ ॥ गुलजार-२० हरा भरा । पानंद और शोभायुफ्त । जो देखने में गुलगू-वि० [फा०] गुलाबी रंग का । गुलावी । बहुत भला मालूम हो। चहल पहल से भरा । जैसे,—उसके रहने से सारा महल्ला गुलजार रहता था। .: गुलगूना---गा पुं० [फा० गुलगूनह.] एक प्रकार का उबटन । . विशेप- इसका व्यवहार स्त्रियां सौंदर्यवृद्धि के लिये अपने चेहरे . गलझटो-संवानी [हिं० गोल-मंझट जमाव] १.तागे प्रादि ल की वह उलझन जो वैठकर गोली के प्राकार की हो जाती पर करती हैं। है। उलझन को गांठ। ... गुलगोयना-संज्ञा पुं० [हिं० गलगल+ तन] ऐसा नाटा मोटा आदमी . जिसको गाल ग्रादि अंग सूय फूल हो। वह जिसका शरीर खूब महा.--गुलनटी पड़ना =जी में गांठ पड़ना। मनोमालिन्य होना । गुलन्टी निकलना=ननोमालिन्य दूर करना।' 5 . भरा और फूला हो। २. सिकुड़न । शियन । , महा.- गूलगोयना सा=मोटा ताजा । फूले हुए गालवाला। कि.प्र.-पड़ना ।—निकलना। गुलचना:-क्रि० स० [हिं० गुलचा गुलंचा मारना । गुलझडी-धा श्री [हि गुलझटी] दे॰ 'गुलझटी'। '