पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२४०

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गुलाब अफशा १३१७ गुलाबी! गुलाब को सेवती कहते हैं । कहीं कहीं हरे और काले रंग के भी विशेप-इसकी पत्तियों से एक प्रकार का भूरा रंग निकलता फूल होते हैं । लता की तरह चढ़नेवाले गुलाब के झाड़ भी होते है और इसकी छाल के रेशे से रस्सियां बनती हैं। इसे हैं जो बगीचों में टट्टियों पर चढ़ाए जाते हैं । ऋतु के अनुसार सोनाफूल भी कहते हैं। गुलाब के दो भेद भारतवर्ष में माने जाते हैं सदागुलाब और गुलाबजल - संवा पु० [फा० गुलाब +सं० जल] गलाव का अर्क। ... चैती । सदागुलाव प्रत्येक ऋतु में फूलता और चैती गुलाव केवल गुलाबजामुन--संद्धा पुं० [फा० गुलाब-हिं जामुन] १. एक ... वसंत ऋतु में । चैती गुलाब में विशेष सुगंध होती है और वही प्रकार की मिठाई। . . इत्र और दवा के काम का समझा जाता है। भारतवर्ष में जो विशेप- इसे बनाने के लिये पहले खोये में मैदा या सिंघाड़े का चैती गुलाव होते हैं वे प्रायः वसरा या दमिश्क जाति के हैं। ग्राटा मिलाते हैं और तव उसको गोल या लंबोतरे, टुकड़ें ऐसे गुलाब की खेती गाजीपुर में इत्र और गुलाबजल के लिये करके घी में छानते और पीछे चाशनी में डुबो देते हैं। बहुत होती है। एक बीघे में प्रायः हजार पौधे पाते हैं जो २. एक प्रकार का वृक्ष जो बंगाल और अासाम में अधिकता । चैत में फूलते हैं। बड़े तड़के उनके फूल तोड़ लिए जाते हैं और अत्तारों के पास भेज दिए जाते हैं । ये देग और भभके से विशेप--यह देखने में बहुत सुंदर होता है और प्रायः वागों . . उनका जल खींचते हैं । देग से एक पतली बाँस को नली एक में शोभा के लिये लगाया जाता है। गरमी के अंत और. : दूसरे वरतन में गई होती है जिसे भभका कहते हैं और जो पानी बरसात के प्रारंभ में इसमें फल लगते हैं। ..: " से भरी नांद में रक्खा रहता है । अत्तार पानी के साथ फूलों ३. इस वृक्ष का फल । को देग में रख देते हैं जिसमें से सुगंधित भाप उठकर भभके विशेप-यह रंगत में नासपाती का सा और प्राकार में नीबू के . के बरतन में सरदी से द्रव होकर टपकती है। यही टपकी हुई बरावर कुछ चपटा होता है। इसके अंदर खाकी रंग का भाप गुलाबजल है । गुलाब का इत्र बनाने की सीधी युक्ति यह गोल बीज होता है और ऊपर की ओर मोटे दल का गूदेदार है कि गुलाबजल को एक छिछले बरतन में रखकर वरतन मीठा छिलका सा होता है जिसमें से गुलाब की सी सुगंध, को गीली जमीन में कुछ गाड़कर रात भर खुले मैदान में पड़ा पाती है और जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। रहने दे। सबेरे सरदी से गुलाबजल के ऊपर इन को बहुत गुलाबतालू-संपा पुं० [फा० गुलाय+तालू वह हाथी जिसका.तालू पतली मलाई सी पड़ी मिलेगी जिसे हाथ से कांछ ले। ऐसा गुलाबी रंग का हो। ऐसा हाथी बहुत अच्छा समझा जाता है। कहा जाता है कि गुलाब का इत्र नूरजहाँ बेगम ने १६१२ । गुलावपाश-पा पुं० [फा० । झारी के आकार का एक प्रकार : ईसवी में अपने विवाह के अवसर पर निकाला था। भारतवर्ष में गुलाब जंगली रूप में उगता है पर बगीचों में वह कितने का लंबा पात्र जिसके मुह पर हजारो लगा रहता है. : दिनों से लगाया जाता है, इसका ठीक ठीक पता नहीं लगता। और जिसमें गुलाबजल यादि भरकर शुभ अवसरों पर ... कुछ लोग 'शतपत्री', 'पाटलि' आदि शब्दों को गुलाब का लोगों पर छिड़कते हैं। पर्याय.मानते हैं। रशीउद्दीन नामक एक मुसलमान लेखक ने गुलावपाशी-संक्षा सी० [फा०] गुलाबजल छिड़कने की क्रिया। लिखा है कि चौदहवीं शताब्दी में गुजरात में सत्तर प्रकार के गुलाब लगाए जाते थे । वाबर ने भी गुलाब लगाने की बात गुलाबबाड़ी-संज्ञा बी० [फा० गुलाब+हिं०वाड़ी] वह आमोद या. : लिखी है । जहाँगीर ने तो लिखा है कि हिंदुस्तान में सब प्रकार उत्सत्र जिसमें कोई स्थान गुलाब के फूलों से सजाया जाता के गुलाब होते है। गुलाब का फूल कोमलता और सुंदरता है, गाना बजाना होता है और लोग गुलाबो कपड़े पहनत के लिये प्रसिद्ध है, इसी से लोग छोटे बच्चों की उपमा गुलाव हैं। चैत के महीने में यह उत्सव होता है। के फूल से देते हैं। गुलावांस-संज्ञा पुं० [हिं० गुलमव्यास ] दे॰ 'गुल अब्बास' या .. २. गुलाबजल । . "अब्बास'। • .

मुहा०-गुलाब डिकना-गुलावजलाधड़कना । गुलाव छिड़काई गलावा संडा पं० [फा०] एक प्रकार का बरतन.। 30-

की रसम करना। चमची, जाम, तवा तंदूर गुलावा ।-सूदन (शब्द०)। गुलाव प्रफशा-संघा पुं० [फा० गुलावनफशां ] गुलाबपाश । गुलाव चश्म-संक्षा पुं० [फा०] खैरे रंग की एक प्रकार की चिड़िया। गुलावी'-वि० [फा०] १. गुलाब के रंग का । जैसे~-गुलाबी गाल, .. . विशेष—इसकी चोंच काली. और पैर लाल होते हैं। यह मधुर गुलावी कागज । २. गुलाब संबंधी । ३. गुलाव जल से बसाया : .. स्वर में और अधिक वोलती है। हुमा । जैसे,---गुलाबी रेवड़ी। ४. थोड़ा या कम । हलका। गुलाब छिड़काई-संवा श्री० [फा० गुलाब+हि छिड़कना] १. 1 विशेष--इस अर्थ में गुलावी शब्द का प्रयोग केवल 'जाड़ा'.और . विवाह में एक रीति जिसमें वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोग नशा, अथवा इनके पयिवाची घाब्दों के साथ पाया जाता है। " एक दूसरे पर गुलाबजल छिड़कते हैं और कन्या पक्ष के लोग गुलावा सखा पुं० एक प्रकार का रंग जो गलाय की पत्तियों के वर पक्ष को कुछ भेंट देते हैं। २. वह द्रव्य जो ऊपर लिखी रग से मिलता जुलता है और शहाव गीर खटाई के मेल । .रसम में दिया जाय। . .. .' से बनाया जाता है। गुलावजम--संज्ञा पुं० [?] आसाम की पहाड़ियों में होनेवाली एक गुलाबो--संप्या स्त्री० १. शराब पीने की प्याली। २.. गुलाब को . .: प्रकार की झाड़ी।... .. . पंखड़ियों से बनी हुई मिठाई । ३. एक प्रकार की मैना