पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गुलाम १३१८ गुन' विशेप-यह मैना ऋतुभेद के अनुसार अपना रंग बदलती है। गुलामो-संत्रा सी० [अ० गलाम+हि० ई (प्रत्य॰)] १. गुलाम E गरमी के दिनों में यह पहाड़ों में चली जाती है । वह मध्य का भाव । दासत्व । २. सेवा। नौकरी!. ३. पराधीनता। एशिया और युरोप में भी पाई जाती है और प्रायः बड़े बड़े परतंत्रता '.. डों में रहती है। यह घोसला नहीं बनाती वहिक थोड़ी पास । गुलाल-संज्ञा पुं० [फा० गुललालह,] एक प्रकार की लाल बुकनी या . .. बिछाकर उसी पर रहती है और पत्थरों या ककड़ों के नीचे चूर्ण जिसे हिंदू लोग होली के दिनों में एक दूसरे के चेहरों पर ४-५ अंडे देती है। मलते हैं अथवा कुमकुमे आदि में भरकर फेंकने और उड़ाते .' गुलाम--संवा पुं० [अ० ग लाम] १. मोल लिया हुमा दास । खरीदा हैं। उ०-जिन नैनन में बसत है रसनिधि मोहन लाल । तिनमें क्यों घालत अरी ते भर मूठ गुलाल !-रसनिधि हुमा नोकर। ... मुहा०—(मनुप्प आदि को ) गुलाम करना या बनाना=अपने ... वश में करना । पूरी तरह से अधिकार में करना । गुलाम का क्रि० प्र०-उड़ाना -मलना । विशेष---पहले गुलाब या टेसू की पंखड़ियों में चंदन का बुरादा तिलाम=बहुत ही तुच्छ सेवक । सेवक का सेवक । ... और केसर मिलाकर गुलाल बनाया जाता था, पर अाजकल यौ०-गुलाम गदिश । गुलाम माल । .. विशेप कभी कभी बोलनेवाला (उत्तम पुरुप ) भी नव्रता शिंगरफ या शहाब में रंगा हुमा सिंघाड़े का आटा ही गुलाल प्रकट करने के लिये इस शब्द का प्रयोग करता है। जैसे,- कहलाता है। गुलाला@-संशश पं० [हिं० गुललाला] दे० 'गुललाला'। . गुलाम (मैं) हाजिर है, क्या आज्ञा है। . २. साधारण सेवक । नौकर। ३. गंजीफे का एक रंग। ४. गुलिया वि० [हि० गुल्ली] महुए के बीज की भिगी। गनी से ताश में दहले से बड़ा और वेगम से छोटा एक पत्ता । निकाला हुना । जैसे,—गुलिया तेल। ..' इसपर दास के रूप में एक आदमी का चित्र बना गुलियाना-क्रि० स० [सं० गिल-निगलना] औषध या और रहता है। कोई तरल पदार्थ बांस के चोंगे में भरकर पशु को पिनाना । - गुलाम गदिश संशा झी० [अ० गुलान-+फा गर्दिश] १. वह छोटी इसे.'ढरका देना' भी कहते हैं। दीवार जो जनानखाने में अंदर की ओर सदर दरवाजे के गलियाना- क्रि० स० [हिं० गोलियाना] दे० 'गोलियाना'। ठीक सामने अथवा जनानखाने और दीवानखाने के बीच में गलिस्ताँ-संया पुं० [फा०] १.वह स्थान जहां फूलों के बहुत से ... परदे के लिये बनी हो। पौधे आदि लगे हों। वाग। उपवन। बाटिका । २. फारसी ...विशेप-इन दीवार के रहने से स्त्रियाँ यांगन में घूम फिर सकती के प्रसिद्ध कवि शेख सादी शिराजी का बनाया हुअा नीति हैं और बाहर के लोगों की दृष्टि उनपर नहीं पड़ सकती। संबंधी एक प्रसिद्ध ग्रंथ । ..... कोठी या महल आदि के चारों ओर बना हुया वह बरामदा गुली-संशा स्त्री० [हिं० गुल्ली] दे० 'गुल्ली'। - जहाँ अरदली, चपरासी, दरवान और दूसरे नौकर चाकर गुलुछ-संवा पुं० [#० गुलुञ्छ] गुच्छा कि०] । .. रहते हों। गुलुच्छ-संश पुं० [सं०] गुच्छा [को०] । गुलाम चोर- संघा पुं० [अ० ग लाम+हि० चोर] ताश का एक गलुफी संज्ञा पुं० [दे गुल्फ] दे० 'गुल्फ' । प्रकार का खेल जो दो से सात आठ सादमियों तक में तेला गल-संक्षा पुं० [देश॰] १.नेपाल की तराई, बुंदेलखंड सौर बंगाल की खुरक चट्टानों पर तथा छोटी छोटी पहाड़ियों पर पौर विशेष—इसमें एक गुलाम या और कोई पत्ता गड्डी से अलग से दक्षिण भारत तथा वरमा के जंगलों में होनेवाला एक प्रकार दिया जाता है; और तब सब खेलनेवालों में बराबर वरावर का बड़ा पेड़। परो बांट दिए जाते हैं। हर एक खिलाड़ी अपने अपने पत्तों विशेप- यह २५ से ४० हाय तक ऊँचा होता है। इसमें टहनियों के जोड़ (जैसे,-दुक्की दुक्की, छक्का छक्का, दहला दहला) के सिरों पर गुच्छों में लंबी पतियों लगती हैं। जाड़े में निकालकर अलग रख देता है और सब एक दूसरे से एक एक इसका पतझड़ होता है और माघ फागुन में इसमें गंदगी पता सेते हुए इसी प्रकार का जोड़ मिलाकर निकालते रंग छोटे फूल लगते हैं। इस वृक्ष की टहनियों, पत्तियों .. हूँ। अंत में जिसके पास अकेला गुलाम या निकाले हुए पत्ते का ग्रौर कतीरा नाम के गोंद का उपयोग औषध में बहुत होता चोड़ बच रहता है, वही चोर और हारा हुआ समझा जाता है। है और गरीब लोग इसके बीज भूनकर खाते हैं। कहीं नहीं गुलामजादा-संज्ञा पुं० [अ० ग लान+फा० जादह] १. दासी लोग इसकी जड़ भी गाते हैं। इस वृक्ष को जारी छाल पुन । २.विनय ने बेटे के लिये प्रयुक्त । मुलायन होती है और उसमें पतं निकलती है। जब यह वृक्ष गुलाम माल-संज्ञा पुं० अगलाम+माल] थोड़े दामों को पर दस बरस का पुराना हो जाता है तब इस तने के चार बहुदा दिनों तक चलनेवाली मोर सब तरह का कान देनेवाली चार हाय नवे टुकड़े काट लेते हैं और उनके ऊपर की छाल ___ चीज । जैसे-कंबल, लोई आदि! . निमाल लेते हैं। इसके हीर में से बहुत अड़िया रेशा निकलता जाता है।