पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२४३

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• गुरुवरा--संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गूलर] ३० 'गुलर'। गल्ली-संहासी० [म गुलिका - गुटली] १.किमोनको गुहतो।। गुल्ला-संहा पुं० [हिं० गोला ] १. निट्टी की बनी नई गोली जो किसी फल का बड़ा और लंबोतरा पी। २. महुए को , गलेल से फेंकी जाती है । २. एका बंगला मिठाई। गुठली । गुलंदे का बीज । गुरुल । कोश 1. किमी पानु ... विशेष---यह पटै दूध के छैने की गोल गोल पिडियों को गोरे का कोई संबोतरा छोटा टुकड़ा मिला टागोला। -- ... में खोने से बनती है । इसे रसगुल्ला भी कहत हैं। जैसे,--काठ को गुल्ली, गोने की गुल्ली, की गुल्ली गुल्ला-या पुं० [अ० गुल] शोर । हल्ला । अचा शब्द । उ--- इत्यादि । उ-हल के पौधे जी लोहे की मी गुरुती प्राये निशाचर साहनी साजि मरीच सुबाहु तुने मब गुल्ला !- रहती है उस धरती पुदती है।-निवासमाद (0) रघुराज (शब्द०)। मुहा०----गुल्ली बंधना वीर्य का पुष्ट होगा। वायरस पाना। - ' यो०-हल्ला गुल्ला=शोरमुल 1 ४. काठका चार छह अंगुल लंबा टुकड़ा जिसमे दोनों ओर

गुल्ला-संवा पुं० [हिं० गुल्ली] १. इंच का फटा हुमा ठोटा टुकड़ा। जी की तरह नुफीले होते हैं तथा पेटा मोटा और गोल होता

- गडेरी। गाँड़ा। २.ईस का एक पोर जिसमें से ऊपर का है। इसे डंडे से मार मारकर लड़केत प्रकार लागेन - ... पचोर हिस्सा या चॅफ और गाँठ निकाल दिया गया हो। रोलते हैं। अंटी। अंटा,पहनाका दिनभर गुन्लो = गुल्ला --संशा पुं० [हिं० गुलेलवह धनुष जितने मिट्टी की गोली डंडा खेलता है। ५. छत्ते में बत् भगद पहा ननुहोगा । फेंकी जाती है । गुलेल । उ०—चूफ उनहु ते होय जे बांधे ६. केवड़े का फूल । ७. मकई की बाल जिम याने निकाल ... बरछी गुल्ला !-- गिरधर (शब्द॰) । लिए गए हों। गुपड़ी।.एक प्रकार ती मैना ।गाना। मुल्ला-संवा पु० [देश॰] दरी कालीन बुनने के करघे में वह वास २. ईव की गड़ेरी। गांड़ा। १०. छोटा गोल पाता। ... जिसमें बज के दोनों सिरे बंधे रहते हैं। कोई पासा। गुल्मा-संशा पुं० [देश॰] वह ताना जो रेशमी धातियों के किनारे यो०-गुल्लीवाला=पाता बनानेवाला। ११.सिकलीगरों का एक यौजार जिसीलवार या किसी बुनने में अलग तनकर भांग में लगाया जाता है। हथियार का मोरवा चुरचते हैं। १२. जिल्सामों का गम .गुल्ला:-सं० [हिं० गुल्ली] रस्ती में बंधी हुई वह छोटी लकड़ी - जो पानी सींचने की लोटी (लटिया) में पड़ी रहती है और औजार जिससे रगड़ कर वे जिन्द को जीवन बराबर करते जिसके अंटकाव के कारण भरी हुई लोटी रस्सी के साथ हैं। १३. पगड़ी बुननेवालों का एक प्रोनार निने युनते समय विच पाती है। पाग के दोनों पोर इसलिये लगाते हैं जिसमें साग तनी रहे। ...गुल्ला-संवा देश०] एक पहाड़ी पेड़ जो बहत चाहोता है। विद्याप नाई पोर पेनेलालों के मुल्ली के मातर पोनार भी विशेष-इसकै हार की लकड़ी सुगंधित, हलकी और भरे रंग इसी नाम से प्रसिद्ध है। की होती है तथा मजवत होने के कारण इमारत के काम गुल्लोडंडा-संधा पुं० [हि. गुल्तो-+-उंदा सानासान .. " में पाती है। नैनीताल में यह पड़ बहुत होता है। इसे जिसमें गुल्ली को इंडे से मारकर दूर का जाता है। 'सराय' भी कहते हैं। कि०प्र०-गुल्ली डंडा खेलनालन्द प्रयया अनावमक गल्ला संभा पु. [देश॰] मोटा पट्टा बुननेवालों का एक डोरा जो कामों में समय नष्ट करना। मजबूत होता है और जिसके दोनों सिरों पर सरकंडे की "पाखा गुवा -श्रा पुं० [ पुस गुपका सुपारा गुपास] सुपारी! ३०-यो -2ी जा पर लॉग ... जकड़ियां लगी होती हैं। सुपारी । द नरियर को नुमा झारी।- (1 ) विशेप--यह मेरा ताना के बदले में पढ़ा रहता है। इसका गवाफ-डा. [सं.] १. अपारी। २. पिकनी नारी। । - एक सिरा कली में लगा रहता है और दूसरा सिरा पाचंदी मुवार -संधा. [• गोपाल, प्रा. गोवाल पु. गुपान) में बंधा होता है। गुवारपाठा-संश० [हिं० बारपाठापारा। गुल्जा"- ० [हिं० गुल्लो गई मोदन को परवी के दौर में गुवाल -संहामि गोपाल, प्रा० गोगात .. नमा हुमा लोहे का छड़। गुपिंद- ० [गोपेन्द्र, सं० प्रा० गोपिन्गानिर। विशेष-यह लगभग चालिख संथा होता है। विदई पोर गुसला . [ गुस्त) ३. गुल्ल'। ... यूटी के बीच में ठोका रहता है। इससे पिद पा ५४ गुगलखाना -संथा • गुल्लाना ? HARMER - सरको या हिलने नहीं पाते। 3-परे मुसलयाने बीमारानं मनाय

पुलाला शा . [ गुलेलालाह ! एक प्रकार रानान कुम। महाराविपराकार

- सपना मोगर सोनही मिन मैन । गता सं ह गोसाईनमा पदंपकपरसो भरं मुल्लाला रंगमन-विहानी (न)। गुना@-- [.गुरुमा ' -AR विवाद इतका पौधा पार पौधे के समाना । कुल .... भो रही समान पर TITar।