पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२५२

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गृहाराम १३२६ गैडुवा गृहाराम--संवा पुं० [सं०] गृहवाटिका (को०] । .. भुढे जुमाल भौह युगल, भरें गेंट्टि पैल्लिजउ प्रहर बिंब ... गृहालिका-संक्षा [सं०] छिपकली [को०] । . पफ्फुरिन ।--कीति०, पृ०६०। .. ..... . गहाश्रम-संज्ञा पुं० [सं०] गृहस्थाश्रम [को०] । ' गेंड -संज्ञा पुं० [सं० काण्ड] जख के ऊपर का पत्ता । अगौरा।" " गहासक्त-वि० [सं०] घर गृहस्थी में अधिक रुचि रखनेवाला [को०]। गेंडर-संज्ञा पुं० दि०१, ऊख की पत्तियों, सरसों की संठलों - गहिजन-संक्षा पुं० [सं०] घर के व्यक्ति । परिवार के लोग । उ०-- और अरहर की कांडियों से बना हा घेरा जिसमें नीचे ऊपर . थमित चरण लौटे गहिजन निज निज द्वार।-अपरा, भसा देकर किसान अन्न रखते हैं। ... पृ०, ३५। क्रि० प्र०-डालना।--देना। गहिणी-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] १. घर को मालकिन । २. भार्या । स्त्री। २. किसी प्रकार का घेरा। गही'--संज्ञा पुं० [सं० गहिन] [खी गृहिणी] गृहस्थ । गृहस्थाश्रमी। गेंडना--क्रि० स० [हिं० गेंड] १. किसी खेत को पतली छोटी दीवार - गही--वि. गृहस्थ । गृहस्थाथमी । उ०-गुही लोग, हम अनिकेतन से घेरना । खेतों को मेंड़ से घेरकर हद · बांधना। २. अन्न की क्या जाने हम पीर?-अपलक, पृ०७२।। रखने के लिये गेंड़ बनाना। ३. घेरना । गोंठना । ४.लकड़ी . गृहीत---वि० [सं०] १. लिया हुआ । ग्रहण किया हुआ। २. पकड़ा के बड़े छोटे टुकड़े काटने के लिये उसके चारों ओर कुल्हाड़ी . हया । ३. प्राप्त किया हुया । ४. स्वीकृत । स्वीकार किया से छेव लगाना। हुआ । ५. संग्रह किया हुआ । एकत्र । ६. मंजूर । वादा किया । गेंडली-संता बी० [सं० कुण्डली कुंडल । फेटा । रस्सी की ऐसी वस्तु हुधा । ७. समझा हुआ। ज्ञात [को०)। की वह स्थिति जिसमें एक दूसरे के अंदर कई मंडलाकार .. गहीतगर्भा'-संज्ञा स्त्री० [सं०] गर्भवती स्त्री [को०] । घेरे हों । जैसे,—साँप गेंडली मारकर बैठा है। . गहीतगर्भा-वि० गर्भवती [को०] । क्रि० प्र०-वाँधना-मारना। ..... गृहीतानवर्तन--संघा पुं० [सं०] कौटिल्य के अनुसार देने के बाद कुछ मेंडहिया. संधी [देश॰] गड़ेरियों की बोली में सब रंग मिल और दे देना। हुए रोएँ या ऊन । . गहीतार्थ-वि० [सं०] जो अर्थ या तात्पर्य को समझता है । तात्पर्यो गेंडा-मंधा पुं० [सं० काण्ड] १. ईख के ऊपर के पत्ते ।.अगोरी । २. .. ___ का दाता । अर्थ का ज्ञाता [को०] । ईख । गन्ना । ३.ईख की बड़ी गड़ेरी।४. ईख के कटे हुए। गृहोद्यान--संक्षा पुं० [सं०] गृहवाटिका [को०] । टुकड़े जो खेत में बोए जाते हैं। ५.पत्थर की निहाई जिस- '- गृहोद्योग--संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'गृहउद्योग' [को०] । पर पीतल तथा लाल करके . पीटते हैं । इसका व्यवहार प्रायः . गहोपकरण--संज्ञा पुं० [सं०] घर का सामान, बरतन आदि कोगा. मिर्जापुर में है। ६. दे० 'गैडा'। . ... . गहोलिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] छिपकली [को०] । गेंडा-संज्ञा पुं० [20 गए डक] ३० 'गैंडा'.. ... ::. गृह्य-वि० [सं०] १. गृह संबंधी । गृहस्थी से संबंध रखनेवाला। गेंडा-संघा पुं० [सं० गेण्ड] १. गेंद। कंदुक । २. गद्दा (को०) .... २.जिसको आकर्षित या प्रसन्न किया जाय (को०)। ३. गेंडुप्रा-संवा पुं० [सं० गराडुक-तकिया] तकिया । सिरहाना। : पाथित (को०)। ४. पालतू (को०)। ४. घर में किया जानेवाला उसीसा । उ०--(क) लोगनि भलो मनाइबो भलो होन की . (कार्य) (को०) । ६. ग्रहणीय (को०)। ७ पकड़ने योग्य (को०)। प्रास । करत गगन को गेंडुमा सो सठ तुलसीदास ।-तुलसी - गृह्य-संग पुं० १. गुदा । २. पारिवारिक कृत्य । ३. पालतू पशु- (शब्द०)1(ख) अंग को कि अंगराग गेड्या की गलसुई किधौं । पक्षी । ४.घर के लोग। गृहजन । ५. गृहाग्नि [को०] । कटि जेब ही उर को कि हारु है।-केशव (शब्द॰) । (ग) . गह्यक'-वि० [सं०] १.पालतू । २.गृह संबंधी । गृहविपयक [को०] । चंपक दल चुति गेंडुये । मनहु रूप के रूपक उये। -केशव । (शब्द०)। गुह्यक--संज्ञा पुं० पालतू जानवर [को०] | . गह्यकर्म-संघा पुं० [सं० गृह्यकर्मन्] गृहस्थ के लिये विहित कर्म, गेंडुप्रा -मश पुं० [सं० गेएडु या गेण्डुक] बड़ा गेंद । - ___ गेंडुक-संवा पुं० [सं० गेएडुक गेंदे । कंटुक । । संस्कारादि [को॰] । गेंडुरी-संज्ञा स्त्री० [सं० कुण्डली] १. रस्सी का बना हुया मेंडरा । गृह्यसूत्र संज्ञा पुं० [सं०] वह वैदिक पद्धति की पुस्तक जिसमें लिखे जिसपर घड़ा रखते हैं। इंडुरी । विड़वां । उ०--अतिहि दुए नियमों के अनुसार गृहस्थ लोग मुडन, यज्ञोपवीत, विवाह करत तुम श्याम अचगरी। वाहू की छीनत हो. गेंडुरी काहू . यादि सब संस्कार और कार्य करते हैं। पाँच गृह्यसूत्र बहुत की फोरत हो गगरी ।--सूर (शब्द०)। २. फेंटा । कुंडली। प्रसिद्ध हैं--१.प्राश्वलायन, २. कात्यायन, ३. सांख्यायन, ४. ३. तबले या वाए के नीचे की इँडरी जिसमें बद्धी लगाकर मानय और ५. गोभिल । वसते हैं । ४. साँपों का कुंडलाकार होकर गोल बैठना। . 'गृह्मा--संचा स्त्री० [सं०] नगर से सटा हुआ गाँव । कस्म [को०] | क्रि० प्र०-मारना ।-मारकर बैठना। . गेंगटा-संज्ञा पुं० [सं. कर्कट केकड़ा। .. गेंडुली-संज्ञा स्त्री० [सं कुण्डली] दे० 'गंडरी"। .. .. गती संगको [सं. गृष्टि, प्रा० गिट्टि, गेटि] वराही कंद गेंडुवा- संज्ञा पुं० [हि गडुवा] सं० "गडुवा । उ०---नरात गैहलसंद' यो [in गए, गंठि दे गांड' ! उ--- गेंडुवा गंगाजल पानी ।-कवीर श०, पृ० १०