पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गेरू १३३२ गेहेशूर गेह-संज्ञा की० [सं० गवेरुक ] एक प्रकार की लाल कड़ी मिट्टी गेहुँ अन- पुं० [हिं० गेहू] एक प्रकार का अत्यंत विषधर फनदार जो खानों से निकलती है। ___ सांप जिसका रंग मटमला होता है। . विशेप- यह दो रूपों में मिलती है-एक तो भुरभुरी होती है गेहपा---वि० [हिं० गेहूँ ] गेहूं के रंग का बादामी। और कच्ची गेरु कहलाती है, दूसरी कड़ी होती है और पक्की गेह-बुझ पुं० [सं० गोयूम या गोधुम एक अनाज जिसकी फसल अग- - गैरू कहलाती है । गैह कई कामों में पाती है। इससे सोने के हन में बोई जाती और चैत में काटी जाती है। . गहनों पर रंग दिया जाता है। रंगरेज भी इसके मेल से कई विशेप-इसका पौधा डेड़ या पौने दो हाय ऊँचा होता है और प्रकार के रंग बनाते हैं। छोपी इसे छींट छापने के काम में इसमें कुश की तरह लंबी पतली पत्तियां पेड़ों से लगी हुई . लाते हैं । औषध में भी इसका व्यवहार होता है। निकलती हैं । पेड़ों के बीच से सीधे ऊपर की ओर एक सींक पर्या--लालनिट्टी। गिरमाटी। गिरिमृत। सुरंगवातु । गवेरुक । निकलती है जिसमें बाल लगती है। इसी वाल में दाने गुछ गरिक । तान्नवर्णक । कठिन । रहते हैं । गेहू की लेती अत्यंत प्राचीन काल से होती पाई है: गेला-संज्ञा पुं० [अं॰ गेली ] छापैखाने में बड़ी गेली । चीन में ईसा से २७०० वर्ष पूर्व गेह वोया जाता था । मिन्न गेली संचा स्त्री॰ [अं॰] छापेखाने में धातु या लकड़ी की एक के एक ऐसे स्तूप में भी एक प्रकार का गेहू"गड़ा पाया गया जो छिछली किस्ती। ईसा से ३३५६ वर्ष पूर्व का माना जाता है। जंगली गेहूँ अव- विशेष- इसपर टाइप रखकर पहले पहल वह कागज छापा तक कहीं नहीं पाया गया है। कुछ लोगों की राय है कि .. जाता है जिसपर संशोधन होना रहता है। इसके ऊपर पहले गेह' जवगोघी या खपली नामक गेहू से उन्नत करके उत्पन्न टाइप जमाकर रखे और रस्सी से कस दिए जाते हैं, फिर किया गया है। गेहू प्रधानतः दो जाति के होते हैं, एक टूडवाले दूसरे विना टूड के । इन्हीं के अंतर्गत अनेक प्रकार के ..कागज छाप लिया जाता है। गेलीप्रूफ-संक्षा पुं० [अं॰ गेली+प्रफ] कंपोज किए हुए मैटर का वह गेहूं पाए जाते हैं, कोई कड़े, कोई नरम, कोई सफेद और कोई .. प्रूफ जो पृष्ठ बांधने के पहले का होता है । लाल । नरम या अच्छे गेहूं उत्तरीय भारत में ही पाए जाते गेल्हा-संज्ञा पुं० [देश॰] चमड़े का कुम्पा जिसमें तेली तेल रखते हैं। हैं। नर्मदा के दक्षिण में केवल कठिया गेहूं मिलता है। संयुक्त ...गेवर-संझा पुं० [देश॰] एक पेड़ । दे० 'गंगवा' । प्रदेश और बिहार में सफेद रंग का नरम गेहू बहुत होता है गेष्ण -संज्ञा पुं० [सं०] १. गानेवाला । गायक । २.अभिनेता [को०] । और पंजाब में लाल रंग का । गेहूँ के मुख्य मुख्य भेदों के नाम गसू-संज्ञा पुं० [फा०] १. जुल्फ । अलक। २. पीठ पर लटकनेटाले ये हैं-दूधिया ( नरम और सफेद ), जमाली ( कड़ा भूरा), - लंबे बाल । ३.केश । वाल । २०-जहर, जो गेमुनों की पर्त गंगाजली, खेरी (लाल कड़ा), दाउदी (उत्तम, नरम और में सौ पेंच, खाता हो। कहर उस वक्त कोई रुमझुमाकर और श्वेत), मुगेरी, मुड़ियां (विना टूड का नरम, सफेद), पिसी ......ढाता हो। ठंडा, पृ० २३।। (बहुत नरम और सफेद), कठिया ( कड़ा और लसदार), बंसी (कड़ा और लाल)। भारतवर्ष में जितने गेहूँ बोए जाते गैसूदराज-वि० [फा०] जिसके बाल बहुत लंबे हो । गह-संज्ञा पुं० [सं० गुहा घर । मकान । निवासस्थान । उ०-करि हैं वे अधिकांश टूडदार हैं क्योंकि किसान कहते हैं कि विना टूड के गहुँ यों को विड़ियाँ खा जाती हैं। दाऊदी गेहूँ सबसे दंडवत चली ललिता जो गई राधिका मेह ।-सूर (शब्द॰) । उत्तम समझा जाता है । जललिया की सूजी अच्छी होती है।

. गनी--संशा खी० [हि गेह या सं० गृहिली] घरवाली । गृहिणी।

वंबई प्रांत में एक प्रकार का वखशी गेहूँ भी होता है । खपली . भार्या । पली। उ०-तुम रानी वसुदेव गेहनी ही गवारि या जवगोधी नाम का बहुत मोटा गेहूँ सिंध से लेकर मैसूर व्रजवासी । प3 देह मेरो लाड़ लर्डतो वारौं ऐसी हाँसी। तक होता है। इसमें विशेषता यह है कि यह खरीफ की फसल

--सूर (शब्द०)।

है और सर गेहू रबी की फसल के अंतर्गत हैं। यह खराब

गैहपति-संशा पुं० [हिं० गेह+सं० पति ] गृहस्वामी। घर का

जमीन में भी हो सकता है और इसे उत्पन्न करने में उतना मालिक। परिथम नहीं पड़ता। भारतवर्ष में गेहूँ के तीन प्रकार के - गहरा -संशा पुं० [सं० गेह- हि० रा (प्रत्य॰)] दे० 'गह' । उon चुगाँ बनाए जाते हैं, मैदा, आटा पीर सूजी। मैदा वहुत महीन . . भावसी न सौंज और शून्य तो न गेहरा !--सुदर ग्रं०, भा० पीसा जाता है और सूजी के बड़े बड़े रवे या कण होते हैं। २, पृ०५९७1 नित्य के व्यवहार में रोटी बनाने के काम में पाटा पाता है, विशेष-हिंदी का यह 'स' प्रत्यय विशेषार्थ सूचक होता है। मैदा अधिकतर पूरी, मिठाई आदि बनाने के काम में प्राता है, - गहिनी-संशा स्ली[सं०1१. घर की मालकिन । गृहस्वामिनी। सूजी का हलवा अच्छा होता है। .... घरनी। पत्नी [को०]। . .. पर्या-गोधूम। बहदुग्ध । अल्प। म्लेच्छनोजन । यवन ।।

..हो.-संया पुं० [सं० गेहिन] [लो गेहिनी गहस्य । घरवारवाला। निस्तुष । क्षोरी । रसाल ! शुनन ।

..... .. तो गेही कसे सहे दुहिता प्रथम विछोह । -शकुंतला, गहेशूर-वि० [सं०] वह जो घर में ही बहादुरी दिखाता हो। . . . कायर [फो . . . . . . .