पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१३३५ गोंगा गैरसरकारी गैरसरकारी- वि० [अ० गर+फा० सरकारी] जो सरकारी न दूकान जिसमें बिक्री की वस्तुएं पंक्तियों में सजाकर रखी हो। जो किसी सरकार या राज्य का (प्रादमी या नौकर) जाती हैं। न हो । जिसका किसी सरकार या राज्य से संबंध न हो। गैला -संवा पुं० [हिं० मैल] १.गाड़ी के पहिए की लीक । पहिए. " जैसे,--गर सरकारी सदस्य । की लकीर । २.गाड़ी का मार्ग । वह चौड़ा रास्ता जिससे गैरसाल -वि० [अ० गरसालह] १.अशुद्ध । दूषित । उ०- गाड़ी जा सके। गैरसाल है बदलिदै कहै विष मम नाहिं।-अर्ध०, पृ०४६ । गैला--वि० [देश०] मूर्ख । गँवार । उ०-नातर गैला जगत से, . २. दुर्जन। ३. नाशरीफ। बकि बकि मरै बलाय । संतवाणी०, भा० १, पृ० १३३ ! गैरहाजिर-वि० [अ० ग रहाजिर+फा० ई (प्रत्य०)] अनुपस्थित। गलागीर -संज्ञा पुं० [हिं० गल---फा० गीर (प्रत्य॰)] राहगीर। जो मौजूद न हो। उ०-गलागीर आता सो ढकोला नापि जाता।-शिखर, गैरहाजिरी-संज्ञा स्त्री० [अ० गैरहाजिरी] अनुपस्थिति । नामौजूदगी। पृ०-८। - गैलारा--संक्षा पुं० [हिं०] दे० 'गैला'1 ला गरिक'- संथा पुं० [सं०] १. गेरू । गैवर -संचा पुं० [सं० गजवर] हाथी । गज । उ०-विविध भांति . यौ०-गरिकाक्ष। के बाजन बाजे। हैवर गवरः गण बहु गाजे।-रघुराज . २. सोना। (शब्द०)। गैरिक-वि० [वि० श्री गैरिकी] १. जो पहाड़ से उत्पन्न हो। २. गैशबत्ती संज्ञा श्री० [सं० गैस+हिं०वत्ती] गैस से जलनेवाली. एक- गेरू के रंग का [को०] । प्रकार की बड़ी लालटेन । उ०-भकभक गैशबत्ती की सी गैरिकाक्ष- संज्ञा पुं० [सं०] जल महुआ। रोशनी होने लगी।-मैला०, पृ०८। गैरियत-संघा स्त्री० [अ० गरीयत] परायापन । गैरपन । गैस-संवा स्त्री० [मं०] १.प्रकृति में वायु के समान एक अत्यंत गैरी-संचा बी० [देश॰] खरही। डाँठ का ढेर । खेत से कटे हुए अगोचर और सूक्ष्म द्रव्य जिसके भिन्न भिन्न रूपों के संयोग से डंठलों का ढेर। गैरी-संक्षा सी० [सं०] लांगलिकी वृक्ष । विषलाँगला । जल, वायु आदि पदार्थ बनते हैं। वह द्रव्य जिसके अणु प्रत्यंत । तरल या चंचल हों और जो अत्यंत प्रसरणशील हो। " गरी-संज्ञा स्त्री० [सं० गत या अ० गार ] गड्ढा । वह गड्ढा जिसमें विशेष-गैसों के अण निरंतर गति में रहते हैं और वे एक किसान खाद इकट्ठा करते हैं । कूड़ा, करकट, गोबर प्रादि सीध में चलकर एक दूसरे से टकराते हैं तथा जिस वरतन में . फेंकने का गड्ढा । गैस रहती है उसकी दीवारों पर दबाव डालते हैं। अधिक . गैरीयत--संशा स्त्री० [अ० गैरीयत] दे० 'गरियत'। दबाव और सरदी से गैस द्रवीभूत हो सकती है। पर भिन्न गैरेय --संज्ञा पुं० [सं०] १. शिलाजतु । शिलाजीत । २. गेरू (को०)। ' भिन्न गैसों के लिये भिन्न भिन्न मात्रा के दबाव और सरदी । गैरय-वि०१. गिरि से उत्पन्न । गिरि पर उत्पन्न । २. गिरि की आवश्यकता होती है। गैस की बड़ी भारी विशेषता यह ____संबंधी । पहाड़ी [को०] । है कि यह जितना खाली स्थान पाती है उतने भर में फैलकरः गैल-संबा सी० [हिं० गली] मार्ग । राह । रास्ता । गली । कूचा। . भरना चाहती है, अर्थात् उसका कोई परिमित तल. या . उ०--(क)- हो तुम प्रान हितू सिगरी कवि सेखर देह 'विस्तार नहीं होता। बोतल में यदि हम बोतल भर पानी न । सिखावन यामैं । गैल में गोपद नीर भरयो सखि चौथ को डालेंगे तो पानी बोतल में कुछ दूर तक ही रहेगा । यदि उसी चंद परयो लखि तामें -सेखर (शब्द) । (ख) मूसा कहै बोतल में गैस भरेंगे तो वह सारी बोतल में भर जायगी। . बिलार सों सुन रे ढीठ ढिठल । हम निकसत हैं सैर को, २. एक प्रकार की तीन और गंधयुक्त वायु जो कोयले की खानों . तुम बैठत हो गैल । —गिरिधर (शब्द०)।... . .: आदि से निकलती है। ३.बहुत सी भिन्न भिन्न गैसों का ऐसा महा-किसी को गल जाना=(१) किसी के साथ जाना। मिश्रण जिससे गरमी पहचाने या रोशनी करने का काम '. (२) किसी का अनुसरण करना । किसी को गल करना= लिया जाता है। ४. दे० गैसबत्ती'1 ' किसी को साथ कर देना । गैल बताना=दे० 'रास्ता बताना'। गहगड -वि० [हिं० गहगड दे० 'गहगड्ड' । २०-राग रंग गैहगढ़. . गल लेना- साथ में लेना। . . .. . ___ मच्यौ री, नंदराइ दरबार ।-पोद्दार अभि० ग्रं०, पृ. ६०८ गेलड़-संज्ञा पुं० [अ० गैर+हिं० लड़का ] किसी स्त्री के पहले पति गहना@-क्रि० स० [हिं० गाहना] दे॰ 'गहना' 1 उ०--प्रचिली - का लड़का जिसे लेकर वह दूसरे के यहाँ जाय । .. गैहती वइसाड़ी छइ प्राण । हँसि गललाइ नई भजिय कॉण। ' .. --बी० रासो, पृ०५५ । गैलन-संज्ञा पुं० [अं] पानी, दूध आदि द्रव पदार्थ मापने का एक संवर गहवर-वि० [हिं० गहवर] दे० 'गह्वर' । उ०- स्यामा प्यारी अंगरेजी मान जो तीन सेर का होता है। आगे चलि आगे चलि, गैहबर वन भीतर जहाँ बोलत कोइल गैलरी-संश्च पुं० [अं०] १. नीचे ऊपर बैठने का सीढ़ीनुमा स्थान री।-पोद्दार अभि० ग्रं॰, पृ० ३६०।. . । जैसे थिएटरों और व्याख्यानालयों. संसद, विधानसभाओं आदि गोंठा-संवा पुं० [सं० गो+विष्ठा गोबर का सूखा हुमा चिप्पड़ा में दर्शकों के लिये रहता है। २. सौदागरों की सीढ़ीनुमा कंडा । उपला। गोहरा।