पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२५९

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१३३६ गोंद जावान गोंडा-संज्ञा पुं० [हिं० गाँव+मेंड] गांव का किनारा । गांव का गोंड़-संशा पुं० [सं० (नानि) कुरड] वह मनुप्य जिसकी नाभि ... सिवान । गांव के पास पास की भूमि । निकली हो। गोईंडा-मंज्ञा पुं० [हिं० गोंइ.] दे० 'गाइड'। गोंडकिरी-संशो० [सं० गोंड = राग+किरी ] एक रागिनी -गोईया-संवा पुं०, सी० [हिं० गोइयाँ] दे० 'गोइयाँ । ____ जो गोंड राग का एक भेद मानी जाती है। गोंई-संशा श्री० [हिं० गोहन] वैलों की जोड़ी। गोंडरा-संचा पुं० [सं० कुण्डल] [स्त्री गोंडरी] १. वह कुंडला- गोंगवाल-संज्ञा पुं० [देश॰] वैश्यों की एक जाति । कार गोल लकड़ी या लोहे की छड़ जो मोट के मुह पर बंधी गोची-संज्ञा पुं० [सं० गोगोचन्दना] जोंक । रहती है । लोहे का मंडरा जिस पर मोट का चरसा लटकता -: गोंचना-कि० अ० [देश॰] १. कोंचना । |साना। २. मिट्टी या है। २. कोई गोल वस्तु जो कुडल के प्राकार की हो। मंडरा। कागज पर अस्त व्यस्त रेखाएं खींचना । ३. लकीर का गोल घेरा। .

गोंछ-संज्ञा स्त्री० [हिं० गलमोछ] गलमोछ । गल मोगा।

क्रि० प्र०-खींचना!-डालना। गोंजना'-क्रि० स० [हिं०] दे० 'गींजना'। गोंडरी-संज्ञा स्त्री० [सं० कुण्डली ] १. कुडल के आकार की कोई - 'गोंजनारक्रि० स० [हिं० कोंचना गड़ाते हुए दवाना । उ०—शेख वस्तमंडरा। २. इंटरी। . ने एक चोमन्नी अपने मोहरिर की मुट्ठी में गोंज दी।- गोंडला-संश्चा ० [सं० कुण्डल] लकीर का गोल घेरा। .. नई०, पृ० १७ । क्रि० प्र०-खींचना ।-डालना। गोजना-क्रि० अ० [हिं० गोंचना] दे० 'गोंचना'। विशेष-प्रायः भोजन आदि के समय इस प्रकार का घेरा, छूत- • गोटा-संवा पुं० [?] एक प्रकार का छोटा पेड़। छात से बचने के लिये बनाया जाता है। '. विशेप-यह उत्तर भारत में पेशाबर से भूटान तक, दक्षिण गोंडवाना-संवा [हिं० गोंड़ ] मध्यप्रदेश का उत्तरी भाग जो - भारत तथा जावा में होता है । वरसात में इनमें बहुत छोटे गोंड जाति का आदि निवासस्थान माना जाता है। - छोटे फूल और जाड़े में काले रंग के छोटे मीठे फल लगते हैं गोंडवानी-संदा लौहि० गोंडवाना ] गोंडवाना प्रदेश की बोली। जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं। इसकी लकड़ी कड़ी गोंडा-संभाली [?] एक प्रकार की बड़ी लता जो देहरादून, अवध, . . होती है। गोरखपुर, बुदेलखंड, बंगाल और मध्यभारत के जंगलों में, - गोंठ-संवा स्त्री० [सं० गोष्ठ] धोती की लपेट जो कमर पर रहती विशेषतः जहाँ साल के वृक्ष हों, अधिकता से होती है।

... है। मुरी।

.: मोंठना-कि० स० [सं० गोष्ठ, प्रा० गोट्ट+ना (प्रत्य॰) ] १. विशेप-यह बहुत फैलती है और समय पर काटी न जाय तो जंगलों को बहुत हानि पहुँचाती है । इसकी पत्तियां वड़ी और चारों ओर लकीर से घेरना । जैसे,—चौका गोंठना, घर -..गोंठना (असाढ़ी पूर्णिमा को) 1 २.परिक्रमा करना । फेरा चौड़ी होती हैं और चारे के काम आती हैं। इसकी डालियों से एक प्रकार का रेशा भी निकाला जाता है। इसकी टहनी ..गाना-क्रि० स० [सं० कुण्ठन] किसी वस्तु की नोक या कौर को के सिर पर गुच्छों के फूल भी लगते हैं जो गरमी के दिनों में गुला कर देना। २. पकवान बनाने में गोझै या पुर्व की कोर फूलते हैं। . को मोड़ मोड़ कर उभड़ी हुई लड़ी के रूप में करना । गोंडा-संशा पुं० [सं० गोष्ठ] १. वाड़ा। घेरा हुआ स्थान । (विशेष- गाठनी---संज्ञा स्त्री० [हिं० गोंठना लोहे या पीतल का एक औजार कर चौपायों के लिये) रखने या बांधने का स्थान । उ०- जिससे गोनिया गोठते हैं। पिता गए गौवों के गोड़े। माता पर लड़के धाए हैं।- गाटिल - वि० [हिं० गोठिल]. गोठिल' उ०—कैसे नये नये तीर पाराधना, पृ०७४ । २. मोहल्ला। पुरा। गाय । खेड़ा। . . छूटे हैं मौत की गॉठिल घात गई अव!-वेला पृ० १०१ । बस्ती। ३. खेतों का उतना घेरा जितना एक किसान का हो गाड़ -संशा पुं० [सं० गोएड] १. एक जंगली जाति जो मध्यप्रदेश में और एक ही जगह पर हो । ४. बड़ी चौड़ी सड़क । ५. सहन। .. पाई जाती है। गोंडवाना प्रदेश का नाम इसी जाति का चौक यांचन । ६. वह न्योछावर जो लड़कीवाले के घर पर बारात के पहुंचने पर की जाती है। परछन । निवासस्थान होने के कारण पड़ा। २.बंग और भुवनेश्वर . के बीच का देश । ३. एक राग जो वकाल में गाया मुहा०-गोंडा सीजना-वारात के पहुंचने पर कन्या के घरवालों . ., जाता है। का न्योछावर के रूप में कुछ द्रव्य बांटना या लुटाना । - विशेप-कोई इसे मेघ राग का पुत्र और कोई धनायी मल्लार गोंड़ी-संज्ञा स्त्री॰ [हिं० गोड़ ] दे० 'गोंडवानी'। - . . और बिलावल के मेल से बना एक संकर राग मानते हैं। गोंद'-संगापुं० [सं० कुंदर या हिं. गूदा गूदेदार पेड़ों के तने से गाद-संज्ञा पुं॰ [सं० गोष्ठ] गायों के रहने का स्थान ! निकला हुमा चिपचिपा या लसदार पोय जो सूबने पर फड़ा । गोंड़ संश ० [सं० गोरएड नाभि का लटकता हुप्रा मांस । मौर चमकीला हो जाता है। वृक्षों का निर्यात । द०-एक माह-संवा पुं०. [. कुएठ] लंगर के ऊपर का भाग जो गोल मंच वृक्षन को दोनों। गोंद होइत्रकार तिन कीनी-मुर होता है। . ( द)