पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२६२

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गोकुशी गौन, गोकुशी--संवा स्त्री॰ [फा०] गोवध । गोहत्या [को०] । गोखा । झरोखा । उ०-चावल वीणती गोखी वयठा-बी.. गोकृत--संज्ञा पुं० [सं०] गोबर [को०] । रासो, पृ०५४। गोकोस-संज्ञा पुं० [सं० गो+क्रोश] १. उतनी दूरी जहांतक गाय गोखुर-संज्ञा पुं० [सं०] १. गौ का पैर । २. गौ के खुर का वह चिह्न . के बोलने का शब्द सुन पड़े। २. छोटा कोस । हलका कोस। जो उसके चलने से जमीन पर पड़ता है। गोक्ष-संज्ञा पुं० [सं०] जोंक नामक कीड़ा । उ०-कच्छप मकर कूरम गोखुरा-संक्षा पुं० [हिं० गो+खुरा ] करत सांप। . ईरग ग्राह गोक्ष शिशुमार । विछलत पछिलत उच्छलत धावत विशेष-इसका फन गौ के खुर के समान होता है, इसी से इसका सुरधुनि धार ।-विश्राम (शब्द०)। यह नाम पड़ा। गोक्षीर-संचा० [सं०] गाय का दूध(को०] । गोखुरू-संवा पुं० [हिं० गोखरू] दे० 'गोखरू'। गोक्षुर-~-संचा पुं० [मं०] १. गोखरू नामक क्षुप या उसका फल । २. गोगन -संक्षा पुं० [सं० गोगण] । गोयूथ । गायों का झुंड । उ०- ___ गाय का खुर (को०)। सो फल सखिन सहित वन घन में । वल समेत डोलत गोगन गोक्षुरक--संज्ञा पुं॰ [सं०] दे॰ 'गोक्षुर' (को०] । ____ में।-नंद ग्रं०,०२६३।। गोख--संज्ञा पुं० [सं० गोखा] दे० 'गोखा' । उ०-अटा अटारी बाहर गोगा--संघा पुं० [देश॰] छोटा कांटा । मेख। ... मोखन, छज्जे छातन गोख झरोखन ।-भारतेंदु ग्रं०, भा०२. गोगा--संधा पुं० [अ० गोंगह] दे० 'गोगा। पृ०७०५। गोगापीर--संज्ञा पुं० [हिं० गोगा+फा० पीर ] एक पीर या देवता गोखग--संथा पुं० [सं० गो+खग] थलचर । पशु । जानवर । उ०--- जिसकी पूजा अधिकतर साधारण श्रेणी के हिंदू और . गोखग, खेखग, वारि खग तीनों माह विसेक । तुलसी पीय मुसलमान राजपूताना, पंजाव आदि में करते हैं। फिरि चलें, रहैं फिरै संग एक ।-तुल सी (शब्द०)। विशेष--गोगा के विषय में भिन्न भिन्न प्रकार की कथाएं प्रसिद्ध गोखरू--संज्ञा पुं० [सं० गोखुर]१.एक प्रकार का क्षुप । हैं । कोई कहते हैं कि वह जाति का चौहान राजपूत था और विशेष-इसमें चने के आकार के कड़े और कैंटीले फल लगते बीकानेर की राजगढ़ तहसील के अंतर्गत प्रोडेरा में उत्पन्न हुमा था। मां बाप से रूठकर वह जोगी हुमा और फिर मुसलमान हैं। ये फल प्रोषधि के काम में आते हैं और वैद्यक में इन्हें हो गया। कहते हैं कि मुसलमान होते ही वह घोड़े और शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, दीपन और काश, वायु, अर्श हथियारों समेत तौहर नामक स्थान में पृथ्वी में समा गया । और वणनाशक कहा है। यह फल वड़ा और छोटा दो जहाँ उसकी समाधि अवतक बनी हुई है और भादों सुदी - प्रकार का होता है। कहीं कहीं गरीब लोग इसके बीजों का १ को बड़ा मेला लगता है। दूर दूर से लोग आकर मनौती . प्राटा वनाकर खाते हैं। चढ़ाते हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि गोगा जव मुसलमान . पर्या--विक टक । गोफंटफ । त्रिपुट । कंटक फल । स्वादुफंटक । होकर अपनी स्त्री को भी मुसलमान करना चाहता था तब क्षुरक । वनशृगाटक । श्वदंष्ट्रका । भक्ष्यकंटक । क्षरंग। प्रतापसिंह नामक किसी राजा ने उसे पृथ्वी में चुनवा दिया। .. २. गोखरू के फल के आकार के धातु के बने हुए गोल केटीले सांपों को दूर रखने के लिये गोगा की पूजा दूर दूर तक टुकड़े। होती है। विशेष—ये प्रायः मस्त हाथियों को पकड़ने के लिये उनके रास्ते गोगष्टि-संज्ञा ली०सं०] वह जवान गाय जिसे केवल एक ही बछड़ा । में फैला दिए जाते हैं और जिनके पैरों में गड़ने के कारण हत्या हो (कोना हाथी चल नहीं सकते । शत्रुसेना की गति रोकने के लिये भी योग गोगह-संज्ञा पुं० [सं०] गोशाला (को०)। पहले ऐसे ही कांटे बिछाए जाते थे। गोग्रंथि- संचा त्री० [सं० गोग्रन्थि] १. सूखा हुआ गाय का गोबर। .. ३. गोटे और बादले के तारों से गूथ कर बनाया हुआ एक प्रकार .२. गोशाला। ३. गोजिविका [कोन। . . का साज जो स्त्रियों और वालकों के कपड़ों में टाँका जाता गोग्रास--संघा पु० [सं०] पके हए अन्न का वह थोड़ा सा भाग का . है । ४. कड़े के आकार का एक प्रकार का आभूषण जो हाथों भोजन, श्राद्धादिक के आरंभ में गौ के लिये अलग रख दिया . और पैरों में पहना जाता है। ५. तलवे, हथेली आदि में पड़ा जाता है। हुआ वह घट्ठा जो काँटा गड़ने के कारण होता है। गोधरी-संशा श्री० [देश०] एक प्रकार की कपास जो भड़ौच और ... गोखा'-संद्धा पुं० [सं० गवाक्ष ] दीवार में बना हुमा वह छोटा छेद बरौदा में होती है। जिसमें से बाहर की चीजें देखी जाये । मोखा । झरोखा । गोघात--संबा पुं० [सं०] गोहत्या । गौखा, । उ०- झांकि फिरी झंझरीन झरोखन गोखन खिनहू गोघातक-संज्ञा पुं० [सं०] गोहिंसक । बूचर । कसाई। सुख सैनन । -देव (शब्द०)। गोघाती-संशा पुं० [सं० गोधातिन् ] गोघातक । गोखा-संज्ञा पुं० [हिं० गोखाल ] गाय या बैल का कच्चा चमड़ा। गोघत संक्षा पुं० [सं०] १. वर्षा । २. गाय का घी [को०] । गोखा-संकबी० [सं०] नाखून । नख [को०] । गोध्न-संज्ञा पुं० [सं०] १. गौ को मारनेवाला । गौ का वध करने गोखी@-संज्ञा चौ० [हि गोख+ ई (प्रत्य॰)] गोवा । छोटा वाला । २. अतिथि । मेहमान । पाहुना। -