पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२७०

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गोनिया गोपाल गोनिया- संज्ञा पुं० [हिं० गोन-रस्सी+इया (प्रत्य॰)] रस्सी मैं बंदी सिर नाय । जे गावत गोपद सरिस जन भवनिधि .. बांधकर नाव खींचनेवाला। लॅघि जाय ।-रघुराज (शब्द॰) । गोनिष्ठ-वि० [सं०] इंद्रियासक्त । उ०- सहज समाधि अडिग मन यौ०-गोपदजल-गाय की खुर के गड्ढे में लानेवाला जल।. : ___ आसन गोनिष्ठन के दहत उपाद । - राम०, धर्म०, पृ० ३४२ । उल-गोपद जल बूड़ हि घटजोनी ।—मानस, २२२३१ । गोनिष्यंद-संज्ञा पुं० [सं० गोनिष्यन्द] गोमूत्र को गोपदल---संज्ञा पुं० [सं०] सुपारी का पेड़। गोनी-संज्ञा स्त्री० [सं० गोणी ] १.टाट का थैला। बोरा । २. गोपदी-वि० [सं० गो+पद+ई (प्रत्य॰) अथवा सं० गोष्पदी] गाय : पटुमा । सन । पाट । के खुर के समान, अत्यंत छोटा । उ०—बचत दुशासन बसन गोनी-संवा स्त्री० [देश॰] पकाए हुए कत्थे का वह गोला जो राख वाढयो वेप्रमाण कीन्हो निज दासी को समुद्र गोपदी । की सहायता से उसका जल सुखा लेने के बाद बनाया जाता -रघुराज (शब्द०)। है।-(तंबोली)। गोपन-संशा पुं० [सं०] १. छिपाय । दुराव। २. छिपाना । लुकाना। गोनी+-संज्ञा स्त्री० [हिं०] एक प्रकार का साग जो चैती की फसल ३. रक्षा । ४. व्याकुलता। ५.दीप्ति । ६.तेजपत्ता नाम का - के साथ होता है। मसाला । ७.निदा। भर्त्सना कोला ८. खतरा। मातंक . विशेष- इसमें चार से बारह तक गोफे पूती से निकलते हैं जो (को०)। ६. हड़बड़ाहट । जल्दी [को०] । १०. ईर्ष्या (को०)। भीतर से पोले होते हैं। ११. घबड़ाहट । परेशानी (को०)। गोप' संज्ञा पुं० [सं०] १. गौ की रक्षा करनेवाला । २. ग्वाला। गापनाgf-क्रि० स० [सं० गोपन] छिपाना । लुकाना। ... अभीर । अहीर । ३. गोशाला या गोष्ठ का अध्यक्ष या प्रबंध संयोकिo-देना ।-रखना। गोपनीय--वि० [सं०] १.छिपाने योग्य 1 छिपाने लायक । गोप्य । करनेवाला। ४. भूपति । राजा। ५. रक्षा या उपकार करनेवाला । ६. एक गंधर्व का नाम । ७.मुर या बोल नाम २.रक्षणीय । रक्षा के योग्य । की पोषधि । ५. गाँव का मुखिया या पटवारी जो गांव के गोपभद्र--संज्ञा पुं० [सं०] कुई की जड़ या भसींड [को०)। हिस्सों और लोगों के स्वत्व आदि का लेखा रखता था। गोपयिता--वि० [१० गोपयितु] १. गोपनकर्ता । २.रक्षक (को०) । गोपराइबु-वि० [सं० गोपराज] गोपेश । गोपों का स्वामी। उ०-- गोप–संद्या पुं० [सं० गुम्फ] सिकरी या जंजीर के आकार का गले राजत गोपराइ तह नंद।-नंद पं०, पृ० २२४ । . में पहनने का एक प्रकार का आभूषण, जो पतले तारों को गोपराष्ट्र-संशा पुं० [सं०] ग्वालियर प्रांत का प्राचीन नाम । गथकर फुलावदार बनाया जाता है। गोपर्वत-संशा पुं० [सं०] एक स्थानविशेष । गोपा -वि० [सं० गुप्त छिपा हुआ । गुप्त । उ०-(क) हा विशेप--कहते हैं, यहाँ पाणिनि ने तपस्या की थी और शिव छाया जस बुद अलोपू । अोठई सी आनि रपा कार गापू को प्रसन्न कर उनसे वर प्राप्त किया था। जायसी (शब्द०)। गोपशु-संधा पुं० [सं०] गोमेध को गाय [को०)। गोपक-संगापुं० [सं०पासी० गोपिका] १. गोप। २. अनेक गाँवों अनेक गावा गोपसुत-संज्ञा पुं० [सं०] गोपयुत्र । श्रीकृष्ण । उ०---गोपीनाथ गोविंद गोपसत-संना पं० मि.1 गोपपत्र का स्वामी या अध्यक्ष । ३. रक्षा करनेवाला। रक्षक ४. गोपसुत गुनी गीतप्रिय गिरिवरधर रसाल के।--घनानंद, :: छिपानेवाला [को०)। गोपकन्या-संज्ञा स्त्री० [सं०] गोपवाला । गोपी। ग्वालिन [को०] । गोपांगना--संज्ञा स्त्री [ सं० गोपाङ्गना ] 1. गौप जाति की स्त्री। . गोपचाप-संशश पुं० [सं०] इंद्रधनुष कोग। २ अनंतमूल नाम की ओपधि। गोपज-संक्षा पुं० [सं०] गोप से उत्पन्न । गोप जाति का पुरुप। गोपा'--वि० [सं०] १.लुप्त करनेवाला। छिपानेवाला । २. नाशक । .. उ०-देते लेते सकल ब्रज की गोपिका गोपजों के, जी में होता गोपा--संधा बी० १.गाय पालनेवाली, अहोरिन । ग्वालिन । २. । उदय, यह था क्यों नही श्याम पाए ।----प्रिय०, पृ० ५०। श्यामा नाम की लता । ३. महात्मा बुद्ध की स्त्री का नाम । । गोपजा-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. गोपी। २. राधिका (को०)। इसका दूसरा नाम यशोधरा भी है। .. . गोपति--संज्ञा पुं० [सं०] १. शिव । २.विष्णु । ३. श्रीकृष्ण । ४. गोपाचल--संचा पुं० [सं०] १. ग्वालियर का प्राचीन नाम । उ--- सूर्य। ५. राजा। पृथ्वीपति । ६.वृष । साँड़। बैल । ७. गोपाचल ऐसे गढ़, राजा रामसिंघ जू से । केशव ग्रंक,

ऋषभ नाम की पोषधि । ८. नी उपनंदों में से एक। 8. पृ० १३२ । २. ग्वालियर के निकट का एक पहाड़। '

ग्वाल । गोपाल । भाभीर । १०. वाचाल । मुखर। गोपानसी--संज्ञा स्त्री० [सं०] टेढ़ी पाहतीर जो छप्पर को टेकने के गोपथ-संज्ञा पुं० सं०] अथर्ववेद का एक ब्राहाण। काम पाती है। वलभी (को०)। गोपद- संचा पुं० [सं० गोष्पद ] १. गौओं के रहने का स्थान २. गोपायक-वि० [सं०] रक्षक । रखवाला [को०|| ... पृथ्वी पर पड़ा हुआ गाय के खुर का चिह्न। उ०—(क) गोपायन--संक्षा पुं० [सं०] १. गोपन । रक्षण [को०]। . सादर सुमिरन जे नर करहीं । भव वारिधि गोपद इव गोपाल-संघ पुं० [सं०] १ गौ का पालन पोषण करनेवाला २.' तरहीं। -तुलसी (शब्द०)। (ख) रघुबर को लीला ललित, अहीर । वाला।