पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२७६

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गोरखनाथ १३५३ - गौरा गोरखपंथी साधु लिए रहते हैं जिसमें एक डंडे में बहुत सी । है। वैद्यक के अनुसार यह कदमा, गरम, भारी दरतावर और कड़ियाँ जड़ी होती हैं। प्रमेह, कोढ़, विदोप, रुधिरविकार तथा विषमज्वर को दूर २. कोई ऐसी चीज या काम जिसमें बहुत झगड़ा या उलझन करनेवाला है। इसे मूर्वा, मौर्वी या धनुगुण भी कहते हैं। हो । झगड़ा । उलझन । पंच। .. . गोरज-संशा पुं० [सं०] नी के सुरों से उड़ती हुई गर्दै या धुल । ' गोरखनाथ--संज्ञा पुं० [सं० गोरक्षनाथ ] एक प्रसिद्ध अवधूत जो गोरज्या -संशा जी [सं० गिरिजा ] दे० गोरी' । उ०-ज्यु पंद्रहवीं शताब्दी में हुए थे। . ईश्वर संग गोरज्या ।--त्री० रासो, पृ० २७ । । ::: विशेष-ये वहुत सिद्ध माने जाते हैं और इनका चलाया हुआ. गोरटा-वि. पु० [हिं० गोरा] [वि० सी० गोरटी] गोरे रंगवाला। .संप्रदाय अवतक जारी है । गोरखपुर इनका प्रधान निवास गोरा । उ०---गकु गति सी कि चित. चितई चली स्थान था और वहीं इन्होंने सिद्धि प्राप्त की थी। निहारि । लिये जात चित चोरटी बहे गोरटी.. नारि। गोरखपंथ-संज्ञा पुं० [सं०] गोरखनाथ का चलाया हुना संप्रदाय जिसे विहारी (शब्द०)। . ...... : नाथ संप्रदाय भी कहते हैं। गोरडीg--संज्ञा स्त्री॰ [ गोर+ड़ी (प्रत्य॰)] गोरी । सुदरी! गोरखपंथी-वि० [हिं० गोरख+पंथी गोरखनाथ का अनुगामी 1: उ०-वारह बरस की गोरी, कुसमरची उड़सिउजम- गोरखनाथ के चलाए हुए संप्रदायवाला। नाथ-बी. रासो, पृ० ३४ । .... .... मोरखमुडो-संशा श्री० [हिं० गोरख-+ मुएडी] प्रसर जाति की गोरण---संक्षा पुं० [सं०] अध्यवसाय । उद्योग [को०। एक प्रकार की घास जिसमें उगली के समान लये लंबे पत्ते गोरन--संवा पुं० [देश॰] एक प्रकार का छोटा पेंड़. जिसकी होते हैं और घटी के समान गोल और गुलाबी रंग के फूल लगाड़ी लाल रंग की और बहुत मजबूत होती है।... लगते हैं। विशेप- इसकी लकड़ी किश्तियां बनाने और इमारत के काम विशेष-ये पुष्प रक्त शोधन के लिये बहुत ही गुणकारी होते में आती है और छाल से चमड़ा सिझाया जाता है। यह . हैं। वैद्यक के अनुसार, यह चरपरी, कसैलो, हलकी, बल वृक्ष सिंध तथा बंगाल में नदियों और समुद्र के किनारे की : कारक है तथा रक्तविकार के लोगों के लिये बहुत ही लाभ नम जमीन में अधिकता से होता है। .. .. दायक है। इसे खाली मुंडो भी कहते हैं । गोरपरस्त--वि० [फा०] १. कंत्रपूजक। २- मुसलमानों का वह गोरखर-संज्ञा पुं० [फा० गोरखर ] गधे की जाति का एक जंगली — संप्रदाय जो महात्मानों की कत्रों का आदर करता है और पशु जो गधे से बड़ा और घोड़े से छोटा होता है। । उनपर चिराग जलाता तथा फूल बढ़ाता है। विशेप-यह पश्चिमी भारत तथा मध्य और पश्चिमी एशिया गोरया-संक्षा पुं० [देश॰] एक प्रकार का धान ।। ... में पाया जाता है। इसकी के चाई प्रायः तीन हाथ और । विशेप---यह अगहन के महीने में तैयार होता है और इसका लंबाई पाँच छह हाथ तक होती है। इसका.पेट सफेद और . . चावल बहुत दिनों तक रख पाते हैं। ... बाकी शरीर हिरन के रंग का होता है। इसके कान बड़े गोरल'@--संशा स्त्री० [सं० गौरी] गौरी। पार्वती। उ०--गोरल और दुम पर रोएँ होते हैं । यह सदा चौकन्ना रहता है और पूजन नवल किसोरी ।-व्रज पं०, ०१.६५ । ...... . . बहुत तेज दौड़ता है। ये मैदानों में २५-२० कावना गारव--संशा पं० [सं०] जाफरान । फेसर को 1. गौरवा-संशा पु० देश०] १. एक प्रकार का.बाँस। कर रहते हैं और इनके झुड का एक सरदार भी होता

है। ये प्रायः हरी घास और पत्तियां खाते हैं। विशेप-इसकी छोटी छोटी टहनियों से हक्के के नै बनाएं जाते हैं। गोरखा-संघा पुं० [हिं० गोरख] १. नेपाल के अंतर्गत एक प्रदेश । .. ..... ..:: .. १. नर गोरैया.। . . ". २. इस देश का निवासी। गोरस--संशा.प.मि०] १. दूध । दुग्ध । २. दधि । दही । ३. तक। गोरखालो'– संज्ञा पुं० [हिं० गोरखा ] नेपाल के अंतर्गत गोरखा . मठा। छाछ । ४. इद्रियों का सुय। उ०-गोरस चाहन . नामक प्रदेश । ...... फिरत हो गोरस चाहत नाहिं।-बिहारी (शब्द०)। ... . गोरखाली-संवा श्री [हिं०] नेपाली भापा का एक नाम। 'गोरसर-संधापु० दिशा यह पतली. कगाची जिसे बांस क. पत्र गोरखी-- संपा स्त्री० [हिं० गोरख+ई (प्रत्य॰)] दे० 'गोरख की उंटी के आसपास देकर बंधन से. जकड़ देते हैं। ककड़ी। . " गोरसा--संक्षा पुं० [सं० गोरस] वह वाचा, जो गाय के दूध से गोरचकरा-संशा पुं० [देश॰] सन की जाति का एक जंगली पौधा प ला हो। : . जिसके पत्ते घीकुमार की तरह चिकने और... लंबे होते हैं। .. गोरसो-संवा श्री० [सं० गोरस-+-ई (प्रत्य॰) दूध गरम करने का . विशेष मन्त्र यह पौधा बगीचों में शोभा के लिये भी लगाया .... अंगीठी.। बोरसी। ... .. · · · जाने लगा है । इसका रेशा बहुत अच्छा होता है और प्राचीन गोरा-वि० [सं० गौर ] सफेद और स्वच्छ वर्णवाला (मनुष्य)! ..: काल में उससे धनुप की डोरी बनाई जाती थी। इसमें छोटे ... जिसके शरीर का चमड़ा सफेद और साफ हो। ..... छोटे मीठे फल लगते हैं। इसका व्यवहार दवा में भी होता यौ०-गोरा भभूफा- ललाई लिए गोरा । गोरा चिट्टा।