पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२८०

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गोली १३५७ गोवीथी की गोली, अफीम की गोली, खेलने की गोजी । २. औषध गोल्डन . वि० [अं० गोल्डेन] १. सोने का। २. सोने के रंग का।.. की वटिका । बटी। । सुनहरा । . . . . . . .. क्रि० प्र०-खाना ।---खिलाना।—देना । गोल्फ-संधा पुं० [अं० गोल्फ या गोफ ] एक प्रकार का अँगरेजी ... ३. मिट्टी, काँच पादि का बना हुआ वह छोटा गोल पिंड जिसे खेल जो डंडे और गेंदों से खेला जाता है । ..., वालक खेलते हैं। गोवदg--पंचा पुं० [सं० गोविन्द] दे० 'गोविंद' । उ०--नाम गोद क्रि० प्र०-खेलना।--मारना ।--लगाना। __थयौ नमाँ नॅदराय नंद।-बाँकी० ग्रं०, भा० ३, पृ०.११४ । । ४. गोली का खेल। ५. पशुओं का एक रोग। ६. पीले या वादामी गोवध--संज्ञा पुं० [सं०] गौ को मारना । गौ की हत्या । गोहिमा । रंग की गाय । ७ मदक की गोली जो अफीम से तैयार की यो०-गोवधनिषेध, गोवधबंदी-गो की हत्या बंद करना। जाती है और जिसे तंबाकू की तरह पीते हैं। ८. सीसे आदि गावना --क्रि० स० [सं० गोपन, प्रा. गोवरण ] दै० गोना' ।' का ढला हुया वह गोल पिड जो बंदूक में भरकर घायल करने उ०-~-गोवत गोवत गोइ धरयो धन, खोवत खोवतं ते सब . या मारने के लिये चलाया जाता है। खोयो। -संतवाणी, भा०२, पृ० १२४ । "... क्रि० प्र०-चलना ।--चलाना ।---छोड़ना }--नारना ।-- गोवर-संज्ञा पुं० [२०] गोबर का चूर्ण [को०]। .... लगना। गोवरधन-संज्ञा पुं० [सं० गोवर्धन] दे० 'गोवद्धन' । उ०-गोवरधनः । मुहा०—गोली खाना = बंदूक की गोली का आघात सहना। - आजानुभुज; साँम सुजाव सगाह । २०७० पृ० १२३। .. गोली वचाना=किसी संकट या आपत्ति से धूर्ततापूर्वक अपना गोवर्द्धन-संज्ञा पुं० [सं०] १. थी वदावन का एक पर्वत जिसके बचाव करना। वित्ति के स्थान से या अवसर पर टल जाना। विषय में यह प्रसिद्ध है कि उसे एक बार वर्षा होने पर गोली मारते हैं उपेक्षापूर्वक छोड़ देते हैं। तुच्छ समझकर थीकृष्ण ने अपनी उगली.पर उठाया था।" ध्यान छोड़ देते हैं । मिलने न मिलने या होने न होने की यौ०-गोबद्ध नधर, गोवर्द्धनधारण, गोवद्ध नधारी= श्रीकृष्ण । परवा नहीं करते हैं । जैसे-ऐसी नौकरी को हम गोली मारते २. मथुरा जिले के अंतर्गत एक प्राचीन नगर और तोर्य। . हैं। गोली मारो-उपेक्षापूर्वक छोड़ दो। तुच्छ समझकर गोवर्धन-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'गोयर्द्धन'।. .... ध्यान छोड़ दो। मिलने न मिलने या होने न होने की परवा गोवल संद्या पुं० [सं० गोपाल, प्रा. गोवाल ] ग्वाला । गोप । न करो। जाने दो। दूर हटायो । जैसे,—अजी गोली मारो, -सुर नर, मोहइ देवता जिमि गोवल माहि सोवइ . . ऐसे रोजगार में क्या रखा है। गोव्यंद ।--बी० रासो०, पृ०७. ..:1. .'. ६. मिट्टी की गोल ठिलिया। छोटा घड़ा। गोवलिया@-संज्ञा स्त्री० [हिं० ग्वाला] पदालिन । उ०- और नाम गोलोरा--संज्ञा स्त्री० [ हि० गोला ] दासी। सेविका। उ०- , रूप नहिं गोवलियो, 'तुका' प्रभु माखन खाया-दक्खिनी : छोट सी भैम सोहन सींगनि, टहलि करनि को गोली जू1- पृ० १०४। नंद० ग्रं॰, पृ० ३३७ । गोवाना@-क्रि० स० [हिं० गोवना का प्रे० रूप] छिपाने के .. गोलीय--वि० [सं०] १. गोल विषयक । २. खगोल भूगोल प्रादि। लिये प्रेरित करना । छिपवाना । ढकवाना । उ०-लै माटी : से संबंधित [को०)। कलवूत बनाया। पाव खार्क आतिश गोवाया ।-प्राण, . गोलैंदा-संज्ञा पुं० [देश॰] महुए का फल । कोइदा। गोलोंक-संथा पुं० [सं०] विष्णु या कृष्ण का निवासस्थान। गोविंद-संवा पुं० [सं० गोपेंद्र या गोविन्द, पा० गोंविद] १..श्रीकृष्ण । विशेष--यह पुराणानुसार ब्रह्मांड में सब लोकों से ऊपर माना २. वेदांतवेत्ता । तत्वज्ञ। ३. बृहस्पति । ४. शंकराचार्य के ".. जाता है । अनेक पुराणों में यह लोक बहुत ही मनोहर और गुरु का नाम । ५. सिक्खों के दस गुरुयों में से एक । ६. . | रम्य बतलाया गया है । तंत्र के अनुसार वैकुंठ के दक्षिण ओर परवा । ७. गोशाला या गौनों का अध्यक्ष .. .। गोलोक है। गोविदद्वादशी--संज्ञा स्त्री० [सं० गोविन्दद्वादशी] फागुन महीने के . २. स्वर्ग । ३. ब्रजभूमि । .. . उजाले पक्ष का वारहवां दिन । फाल्गुन शुक्ल द्वादशी। गोलोकवास-संज्ञा पुं० [सं०] स्वर्गवास । देहांत (को॰] । गोविदपद-संज्ञा पुं० [सं० गोविन्दपद मोक्ष । निर्वाण । गोलोकेम--संज्ञा पुं० [सं०] श्रीकृष्ण चंद्र । गोविदपाद, गोविंदपादाचार्य--संज्ञा पुं० [सं० गोविन्दपाद, गोविन्द- गोलोचन-संज्ञा पुं० [सं० गोरोचन ] दे० 'गोरोचन'। पादाचार्य] शंकराचार्य के गुरु [को०)। ' . . गोलोभिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. वेश्या । २. सफेद दूब । ३. एक गोवि--संवा पं० [40] संकीर्ण राग का एक भेद । ___ झाड़ी। कचूर । आमाहल्दी [को०)। गोविसर्ग--मंधा पुं० [सं०] तड़का । भोर [को०)। " गोलोभी-संज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'गोलोभिका' [को०] । गोवीथी-संशा सौ. [सं०] चंद्रमा के मार्ग का वह अंश जिसमें भाप्रपद, . . गोलोवा-संघा पुं० [हिं० गोल] वड़ा दौरा । टोकरा । खाँचा। ... रेवती और अधिनी तथा किसी किसी के मत से हुस्त, चित्रा : पोज-संवा पुं० [पं०] सोना । स्व। .. और स्वाती नक्षत्रों का समूह है।