पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२८७

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१३६४ गौरीपुष्प ३. सैमान । पादर । इज्जत । ४. उत्कर्ष । ५. अभ्युत्वान । गौरि२- संज्ञा स्त्री॰ [सं० गौरी] 20 'गौरी'। ६. छंदःशास्त्र में गुरु होने का भाव या स्थिति (को॰) । गौरि ३ संज्ञा पुं० [अ० गौर ] दे० 'गौर' । उ०-फते अली सों गौरव-वि. गुरु संबंधी [को०] । रारि है जो कछु करनी गौरि ।-सुजान०, पृ० १७ १ . -गौरवर्ण-वि० [सं०] गोरे रंग का । गोरा । गौरिक'- वि० [सं०] गोरा [फो०] । गौरवशाली-वि० [सं० गौरवशालिन्] संमानपूर्ण । गौरवमय । गारिक-संज्ञा पुं० सफेद सरसों को। - गौरवा-संज्ञा पुं० [हिं० गौरिया] चटक पक्षी । चिड़ा। गौरिका-संश खी० [सं०] क्वारी लड़की । गौरी को। - गौरवा' -वि० [सं० गौरव ] गौरवयुक्त । गौरवमय । बड़ा। गौरिवर - संवा पुं० [हिं० गौरि+वर महादेव । शंकर । उ०- उ.-कर मेराव सोइ गौरवा ।...-जायसी ग्रं०, पृ० १५८। शिव शिव हर शंकर गौरिवर गंगाधर हर हर कहत ।- गौरवान्वित-वि० [सं०] संमानप्राप्त । गौरवदुक्त । ब्रज० ग्रं॰, पृ० ११६ । गोरिया-संघानी [ सं० गौर-+इया (प्रत्य॰)] १. काले रंग - गौरवासन- संज्ञा पुं० [सं०] गौरवपूर्ण पद । संमानित पद [को०] 1 का एक प्रकार का जलपक्षी। गौरवास्पद-वि० [सं०] गौरवपूर्ण । मामित । उ० वीरपुरुप विशेष इसका सिर भूरा और गर्दन सफेद होती है । ऋतुभेदा- • युद्धक्षेत्र से भागकर अपमानित एवं विताड़ित होने की अपेक्षा नुसार इसकी चोंच का रंग बदला करता है। - वहीं मर जाना अधिक गौरवास्पद समझते हैं।-शैली, २. मिट्टी का बना हुअा एक प्रकार का छोटा हुक्का । ३. एक पृ० १४३ ॥ प्रकार का मोटा कपड़ा। ___ गौरवित-वि० [सं०] गौरवान्वित । समानपूर्ण [को०] । गोरिल--धा पुं० सं०] १. सफेद सरसों। २. लोहचूर्ण । लोहे का

गौरशाक-संश्वा पुं० [सं०] एक प्रकार का शालिधान्य ।

चूरा [को]। गौरशालि-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का शालिधान्य । गौरवशाली-वि० [सं० गौरवशालिन] [वि०सी० गौरवशालिनी1 गोरिण्य -संक्षा पुं० [सं० गौरीश ] शिव । महादेव । उ०—कह। - गौरवमय [को॰] । ध्यान गौरिष्य को इप्ट घारै ।-५० रासो, पृ० १७६।। . गौरसुवर्ण-संभा पुं० [सं०] एक प्रकार का साग जो चित्रकूट के तर गारा क तर गौरी-संवा स्त्री० [सं०] १. गोरे रंग की स्त्री। २. पाती। गिरिजा । ... स्थानों में अधिकता से होता है। विशेप-इस अर्थ में गौरी शब्द के बाद पतिवाची शब्द लगाने से . विशेष-इसके पत्ते छोटे और सुनहले होते हैं और हाथ में लेकर 'शिव' और पुत्रवाची शब्द लगाने से 'गणेश' या 'कार्तिकेय' मलने से उनके बहुत से छोटे छोटे टुकड़े हो जाते हैं जिनमें से अर्थ होता है। '.... बहुत अच्छी गंध निकलती है। वैद्यक में यह शीतल और ३. पाठ वर्ष की कन्या । ४. हल्दी। ५. दारुहल्दी । ६. तुलसी। 'त्रिदोप ज्वर तथा थकावट को दूर करनेवाला माना गया है। ७. गोरोचन । ८. सफेद दूब । 8. सफेद रंग की गाय । १०. - गौरांग-संज्ञा पुं॰ [संक गौराङ्ग] १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण । ३. चैतन्य मजीठ । ११. गंगा नदी । १२. चमेली । १३. सौन कदली। - महाप्रभुः । १४. प्रियंगु नाम का वृक्ष १५. पृथिवी । १६. बुद्ध की एक गौरांग-वि० गोरे रंग वाला (योरप का, विशेषतया अंग्रेज)। पावित का नाम । १७. शरीर की एक नाड़ी। १६. एक बहुत गौरांगमहाप्रभु-संज्ञा पुं० [सं० गौराङ्ग महाप्रभु] चैतन्य महाप्रभु । प्राचीन नदी जो पूर्व काल में भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर २. (व्यंग्य में) अंग्रेज । थी और जिसका वर्णन वेदों और महाभारत में पाया है। गौरांगी'-वि० [सं० गौराली] १. गोरी। २. सुंदरी [को०)। १६. गुड़ से बनी हुई शराब । गौड़ी। २०. वरुण की पत्नी गौरांगी संशा खी० [सं०] अंगरेज स्त्री । मेम । (को०) । २१. वाणी (को०) । २२. एक प्रकार का राग जिसे गौरा-संशा लो० [सं० गौर का पी०] १. गोरे रंग की स्त्री। २. गौरी राग कहते हैं। उ०-मुरली मैं गौरी धुनि ढौरी पार्वती । गिरजा । ३. हल्दी। ४. एक रागिनी जिसे कुछ लोग परमानंद तें, तेरे द्वार ठठकनि उदम धने ठन ।-घनानंद, श्री राग की स्त्री मानते हैं। पृ० १२५ । २३. अनाहत चक्र की पाठवीं मात्रा। ' गौरा-संज्ञा पुं० [सं० गोरोचन ] गोरोचन नामक सुगंधित द्रव्य। गौरीकांत--संश पुं० [सं० गौरीकान्त] शिव (फो०] । उ०-रचि रचि रासे चंदन चौरा । पोते अगर मैध श्री गौरीगुरु-संश.पुं० [सं०] हिमालय कोग। - गौरा-जायसी (शब्द०)। गौरीचंदन-मंगा पुं० [सं० गौरीचन्दन] लाल चंदन । गौराटिका-संचा ली[सं०] एक प्रकार का कौवा [को० गौरीज-संश पुं० [सं०] १. अत्रक । २. कार्तिकेय । ६. गणेश। . गौराद्रक-संवा पुं० [सं०] अफीम, संखिया, कनेर आदि स्थावर पिप। गौरीनाथ---संज्ञा पुं० [सं०] शिव [को०)। गौरास्य- संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का बंदर (को०] ! गौरीपट्ट---संशा पुं० [सं०] शिवा जी की जलहरी जिसे जलघरी या गोराहिक-संभा पुं० [सं०] एक प्रकार का सांप [को०] । . परधा भी कहते हैं। गोरि-संशा ई० ०] आंगिरन अपि । गौरीपुष्प-संवा ई० [सं०] प्रियंगु का वृक्ष। .