पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२९

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११०५ मंत्रविद् क्षेमरात्रि क्षेत्रविद् -संशा पुं० [सं०] जीवात्मा। क्षेपरिण--संश स्त्री० [सं०] १. चप्पू । डौड़ । २. मछली पकड़ने का क्षेत्रविद् वि० [सं०] जिसे स्थानों मोर मागों का पूरा ज्ञान हो। जाल । ३. गोफन ! गुलेल । लवास [को०] । क्षेत्राहिसा-संशा मी० [सं०] खेत को नुकसान पहुंचाना। क्षे परिणक-संघा पुं० [सं०] नाव या जहाज चलानेवाला। मल्लाह । विशेष फौटिल्य के समय में इस संबंध में ये नियम --खेत केवट । ' घर जाने पर पशुनों के मालिकों से दुगुना नुकसान लिया जाता क्षेपणी--संज्ञा स्त्री० [सं०] १. एक प्रकार का प्रस्त्र जो शत्रु पर फेंका न चा। यदि किसी ने कहकर करवाया हो तो उसपर १२ पण जाता है । २. नाव का डाँडा वल्ली। उ०-अपनी इस नौका और जो रोज यही करे उसपर २४ पर जुर्माना किया जाता में मैं ही हूँ एकाकी, मेरे हाथों में है क्षेपरिणयां दुविधा की ।- था। रखवानों को आधा दंड मिलता था। अपलक, पृ०६८। ३. मछली फंसाने का जाल (को०)। क्षेत्राजीव-संशा पुं० [सं०] किसान । सेती. करनेवाला [को०] । क्षेपणीय वि० सं०] फेंकने योग्य ! : क्षेत्रादीपिक-- संज्ञा पुं॰ [सं०] खेत में आग लगानेवाला। क्षेप्ता--वि० [सं०क्षेप्तृ] १. फेंकनेवाला क्षेपण करनेवाला 1 २. विशेप-प्राचीन काल में इसका दंड प्राग लगानेवाले को प्राग तिरस्कार करनेवाला [को०)। .. में जला देना था। क्षेप्य-वि० [सं०] १. फेकने या कष्ट करने योग्य । २.रखने योग्य। क्षेत्राधिप-संशा पुं० [सं०] ज्योतिष के अनुसार किसी राशि फा भीतर रखने योग्य ३. जोड़ने योग्य [को०। स्वामी। __ क्षेमंकर-वि० [सं० क्षेमकर] शुभ या मगल करनेवाला । हितावह क्षेत्रानुगत-वि० [सं०] कौटिल्य के अनुसार घाट या बंदरगाह पर कल्याणकर [को०। लगा हुआ (जहाज)। क्षेमंकरी--संशा की० [सं०क्षेमकरी] १, एक प्रकार की चील क्षेत्रामलकी-संशा सी० [सं०] भूइमावला। भूम्यामलकी [को०] . . जिसका गला सफेद होता है। छमकरी। २. एक देवी का क्षेत्रिक-संज्ञा पुं० [सं०] किसान । खेतवाला कृपं नाम । क्षेत्रिय-संसा पुं० [सं०] १. चरागाह । २. परस्त्री से संबंध रखने- क्षेम--संज्ञा पुं० [सं०] १.प्राप्त वस्तु की रक्षा । सुरक्षा । वाला पुरुप । ६. मसाध्य रोग। कठिन रोग । ४. दवा यो०--योगक्षेम । . . मोपधि [को॰] । .२.कल्याण । कुशल । मंगल ३. अभ्युदय । ४. सुख। प्रानंद । क्षेत्रियर--वि० तेठ संबंधी या, खेत में उत्पन्न । ३. क्षेत्र का ५. मुक्ति । ६. फलित ज्योतिष के अनुसार जन्म के नक्षत्र से अधिकारी, ४.(रोग).असाध्य । कठिन [को०] । .. चौथा नक्षत्र । ७. चोवा । ८. धर्म का एक पुत्र जो शांति के क्षेत्री-संज्ञा पुं० [सं० क्षेनिन] १. खेत का मालिक । २. नियुक्ता : गर्भ से उत्पन्न हुआ था। ६. सुरक्षा वधाव (को०) १०. स्त्री का विवाहित पति । नाममात्र का पति 1 उ०-जब इस - आधार (को०)। ११. विश्राम का स्थान (को०)। गर्भवती के लेने से मुझे क्षेत्री फहलाने का डर है तो क्योंकर क्षेमर-वि०१सुखी। भानंदयुक्त । २. कल्याणकर । ३. सुरक्षा प्राप्त इसे स्वीकार कर सकता हूँ।-शकुंतला, पृ०६२ । ३. । सुरक्षित । की। स्वामी। ४.पारमा (को०) 1५.परमात्मा (को०)। ६.असाध्य क्षेमक-संज्ञा पुं० [सं०] १. प्लक्षद्वीप के एक वर्ष का नाम ।२. शिव . या कठिन रोग (को०)। के एक गण का नाम । ३. एक राक्षस का नाम ४. एक .. क्षेद-संदा पुं० [सं०] १. शोक । २.रोदन (ो०]] नाग का नाम । ५. एक प्रकार का गंधद्रव्य । चोवा। क्षेप-संसा०सं०] १.फेंकना । २.ठोकर । घात । ३. अक्षांश । क्षेमकर-वि० [सं०] दे० 'क्षेमंकर' [को०]. .. .. शर४ निवा बदनामी कलंक। ५.दूरी। ६विताना! मकरी-संक्षा की० [सं०] दुर्गा देवी [को०] 1. " गुजारना 1 सेकालक्षप। फूल का गुच्छा । पुष्पस्तवक क्षेमकर्ण-संशा पुं० [सं०] अर्जुन के पौत्र का नाम, जो अनमैज़ का . (को०) 15. विलंब । देरी (को०) ६. घमंड । अहंकार (को०)। सखा था । कहते हैं, अवध का तेरी या खीरी नामक नगर १०.अनादर । अपमान (को०) । ११.नाव का अंदा खेना इसी ने बसाया था। (को०)। क्षेमकल्यारण-संक्षा पुं० [सं० क्षेम+कल्याण] हम्मीर और कल्याण के संयोग से बना हुआ एक संकर राग ।-(संगीत)। . क्षेपक'- वि० [सं०] १. फेंकनेवाला २, मिलाया हुमा । मिथित। क्षेमधूर्त-संज्ञा पुं॰ [सं] एक प्राचीन 'देश का नाम।-क्षेमधूर्त, ३. निंदनीय । देश यादि देश २४-२५-२६ नक्षत्र में विराजमान हैं। क्षेपक-संपा पुं० [सं०] १ केवट । मल्लाह । कर्णधार । ३. (पुस्तक मादि में) ऊपर या पीछे से मिलाया हा अंश । मति-या पुं० [सं०] एक राजा का नाम, जिसने महाभारत क्षेपण --संश पुं० [सं०] १. ना । २. गिराना । ३. पिनाना। के युद्ध में दुर्योधन का पक्ष लिया था। काटना गुजारना। ४. अपयादा निदा। ५.फेंफने की क्षेमफना-संज्ञा स्त्री० [सं०] उद्धर । गुलर । . .. . वस्त । फेंकने का साधन(गोफन, ढेलास घादि) । ६. क्षेमरानि-संश बी० [सं०] कौटिल्य के अनुसार वह रात जिसमें दिमत करना। भूनना (को०)। । चोरीमादिनःहुई हो । ... .. ..