पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२९६

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...ग्रीव ग्राम्यकंद १३७३ जाता है। ३. अश्लील शब्द या वाक्य । ४. मैथुन । स्त्री प्यारे मन कमल लै नेही देत छुड़ाय |--रसनिधि (शब्द॰) । प्रसंग । ५. मिथुन राशि । ६. गधा, घोड़ा, खच्चर, बैल २. कष्ट देना । सताना । आदि पशु जो पाले जाते और गांवों में रहते हैं। ग्रासप्रमाण-संज्ञा पुं० [सं०] ग्रास या कोर का आकार (को०] । ग्राम्यकंद-संज्ञा पुं० [सं० ग्राम्यकंद] स्थलकंद [को०] । ग्रासशल्प-संक्षा पुं० [सं०] गले में किसी गह्य वस्तु का अटक जाना (को०) ग्राम्यकर्कटी-संज्ञा स्त्री॰ [मं०] कृष्मांड (को० । ग्रासाच्छादन - संघ पुं० [सं०] खाना कपड़ा। भोजनवस्त्र [को०] 1. ग्राम्यकर्म-संज्ञा पुं० [सं० ग्राम्यकर्मन] २. ग्रामवालों का पेशा । २.. ग्राह'. संशा पुं० [सं०] १. मगर । घड़ियाल । २. ग्रहण । उपराग । स्त्रीसंभोग । मैथुन (को०] । ३. पकड़ना । लेना। ग्रहण करना। ४. ज्ञान । ५. ग्रहण ग्राम्यकुकुम---संज्ञा पुं० [सं० ग्राम्यकुङ्कम कुसुव । करनेवाला । ग्राहक । ६. ग्राग्रह (को०)1७. कैदी (को०)। ८. ग्राम्यदेवता-संचा पुं० [मं०] दे० 'ग्रामदेवता' । समझ । बोध (को०) । ६. प्राप्ति (को०)।१०. चयन (को०) । ग्राम्यदोष-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'ग्राम्य' [को०] । ११. निश्चय (को०)। १२ रोग (को०) । १३. बड़ा मत्स्य ग्राम्यधर्म-संवा पुं० [सं०] १. मैथुन । स्त्रीप्रसंग । २. ग्रामीण का (को०)। १५. कायारंभ (को०) । १६. लकवा । पक्षाघात (को०)। ___ कर्तव्य (को०)। १७ हत्था । मुठिया (तलवार आदि का)। ग्राम्यधान्य-संज्ञा पुं० [सं०] गांव की फसल । खेती। उपज (को०] । ग्राह --वि० १. ग्रहण करनेवाला । लेनेवाला । २. पकड़नेवाला (को०।। ग्राम्यपशु--संज्ञा पुं० [सं०] पालतू जानवर [को०] । ग्राहक'-- संज्ञा पुं॰ [सं०] [स्रोग्राहिका] १. ग्रहण करनेवाला। २. नाम्यवृद्धि - वि० [सं०] मूढ़ । मूर्ख [को०] । मोल लेनेवाला । खरीदनेवाला । खरीददार । ३. लेने या पाने ग्राम्यमृग-संघा पुं० [सं०] कुता [को०] । की इच्छा रखनेवाला । चाहनेवाला । ४. वह प्रोपधि जिसके ग्राम्यवल्लभ-संज्ञा श्री० [सं०] वेश्या । रंडी [को०] । सेवन से पतला दस्त आना बंद हो जाय और बँधा पाखाना ग्राम्यवादी--संज्ञा पुं० [सं० प्राम्यवादिन] ग्राम के वाद या झगड़ों होने लगे। ५. बाज पक्षी। ६. एक प्रकार का साग जिले आदि का निर्णय करनेवाला व्यक्ति (को० । चौपतिया कहते हैं। ७. शरीर में यविष्ट विप को चिकित्सा ग्राम्पसुख--संज्ञा पुं० [सं०] मैथुन । स्त्रीप्रसंग [को०] । द्वारा दूर करनेवाला वैद्य। विप.वैद्य.। २. लोगों को कैद ग्राम्पा-संघा बी० [मं०] १. नील का पेड़। २. तुलसी । करनेवाला व्यक्ति । पुलिस अधिकारी (को०)। ग्राम्याश्व-संज्ञा पुं० [सं०] गधा (को०)। ग्राहक-वि० [वि. स्त्री० ग्राहिका] १. ग्रहण करनेवाला । २. मल ग्राव-संज्ञा पुं० [सं० श्रावन्] १. पत्थर। पोला । विनोरी। ३. पर्वत। रोकनेवाला । वंदी करनेवाला । ४. समझानेवाला [को०] पहाड़। ४. बादल [को०)। ग्राहिका संचाम्सी [सं०] त्रिवली का तीसरा बल । .... ग्रावर-वि० १. कठोर । २. ठोस [को०] । ग्राहिणी - संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्भाग्य [को०11 .. ग्रावस्तुत् -संज्ञा पुं० [सं०] सोलह नहत्विजों में से तेरहवां ऋविज ग्राही'-संशा पुं० सं० ग्राहिन] १. वह जो ग्रहण करे । स्वीकार जिसे अच्छावाक् भी कहते हैं। करनेवाला । जैसे,-दानमाही। २. मल को रोकनेवाला . पदार्थ । करज करनेवाली चीज । ३. कैथ । कपित्य । ग्रावह- संज्ञा पुं० [सं० ग्रावन] पत्थर की कील । ग्रावहस्त- संज्ञा पुं० [सं०] यज्ञ में एक ऋत्विक् जिसके हाथ में ग्राही --संज्ञा स्त्री० [सं.] ग्राह या घड़ियाल की मादा [को०) अभिषव का पत्थर रहता है। ग्राहुक-वि० [सं०] ग्राहक । ग्रहण करनेवाला को। ..... ग्रावायण-संघा पुं० [सं०] एक प्रबर का नाम । ग्राह्य-वि० सं० १. लेने योग्य । २. स्वीकार करने योग्य । मानने- लायक। ३. जानने योग्य । समझने योग्य । ३. कैद करने ग्रास-मंधा पुं० [सं०] १. उतना भोजन जितना एक वार मुह में योग्य (को०) । ५. मान्य । स्वीकृत (को०)। डाला जाय । गस्सा । कौर । निवाला । २. पकड़ने की क्रिया। निव@--संज्ञा स्त्री० [हिं० ग्रीवा ]. उ०-भेख बनाव सामा पकड़। गिरफ्त । ३. सूर्य या चंद्रमा में ग्रहण लगना । जैसे,-- संदरि सेली गुथि ग्रिय नाय ।-सं० दरिया, पृ० १०४ खग्रास, सर्वग्रास । ४. संगीत का एक भेद । उ०-ग्राछी ग्रीक-वि० [अं॰] युनान देश का । यूनान देश संबंधी । . भौति तान गावत बाँकी रीतिन सुरग्राम ग्रास गहि चोख ग्रीक-संघा सी ग्रीस यां यूनान देश की भापा । ....." चटक सों।-घनानंद, पृ०४२५। ५. आहार निगलने का ग्रीकर--संज्ञा पुं० ग्रीस या यूनान देश का निवासी। कार्य (को०)। ६.पाहार (को०) । ७. अस्पष्ट उच्चारण (को०)। ग्रीखम - संज्ञा पुं० [सं० ग्रीष्म] ३० "ग्रीष्म'। ग्रासक---वि० [सं०] १. पकड़नेवाला । ३. निगलनेवाला । ३. छिपाने 'ग्रीज-संज्ञा पुं० [अं० ग्रीज या ग्रोस] १. पशुओं की चर्वी । २. गाई या दबानेवाला। किया हुमा तेल मिश्रित कोई पदार्थ जो कागज चिपकाने, ग्रासकट-संघा पुं० [अं॰] घास काटनेवाला । घसियारा । जिल्द वंदो करने, रवर आदि जोड़ने, कल पुों आदि को ग्रासकारी-वि० [अ० गोसकारिन्] ग्रसनेवाला । निगलनेवाला[को०] चलता रखने के काम में इस्तेमाल किया जाता है। . • ग्रासना--कि० स० [सं० ग्रास] १. पकड़ना। धरना । निगलना। ग्रीव@-.-संज्ञा पुं० [हिं० दे० 'ग्रीव' । 'उ०--कर चरन न्यास ज०, ग्रासत चित्त गयंद को बिरह माह जव पाय । हरि ग्रीव ढोरि मुरि चलत. लटक सों।--घनानंद, पृ०.४२५.५