पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

घउरी घटना' घरी-संवा स्त्री० [हिं०] फलों का गुच्छा । धौर । घरि । उ० घटकना--क्रि० स० [चनु० घटक] १. उदरस्थ करना। २. दे० . योनइ रही केरन्ह की घउरी ।—जायसी ग्रं० (गुप्त), गटकना'। घटकरन ---संज्ञा पुं० [सं० घटकरणं] दे० 'घटकरणं' । उ०---जयति घघरवेल-संज्ञा श्री० [हिं० घुघराला+बैल ] एक प्रकार की लता। दसकंठ घटकरन बारिदनाद कदन कारन कालनेमि वंदाल । हंता ।---तुलसी (शब्द०)। घघरा-संधा पुं० [हिं० घन+घरा] [बी० घघरी] स्त्रियों का एक घटकर्कट-संक्षा पुं० [सं०] संगीत में एक प्रकार का ताल । चुननदार पहनावा जो कटि से लेकर पैर तक का शरीर घटकर्ण---संज्ञा पुं० [सं०] कुभकर्ण ।। .: ढाकने के लिये होता है। लहँगा। घटकपर संशा पुं० [सं०] विक्रम की सभा के नवरत्नों में एक कवि का नाम । घघरो संज्ञा स्त्री० [हि० घघरा] छोटा लहँगा। विशेप-इनका नाम कालिदास के साथ विक्रमादित्य की सभा घचाधच-सहा सी० [अनु॰] नरम चीज में किसी धारदार या के नवरत्नों में पाता है। इनका बनाया नीतिसार नामक . नुकीली वस्तु के चुभने या धंसने का शब्द । घट --संवा पुं० [सं०] १. घड़ा। जलपात्र। कलसा । २. पिंड । एक ग्रंथ मिलता है जिसे 'घटकपर काव्य' भी कहते है। शरीर । उ०--वा घट के सौ टुक के दौज नदी वहाय । नेह इनका छोटा सा काब्य यमक अलंकार से परिपूर्ण है। भरेहू पे जिन्हें दौरि रुखाई जाय । -रसनिधि ( शब्द०)। 'यदि कोई इससे सुदर बमकालंकारयुक्त फविता करे तो मैं ३. मन । हृदय । जैसे,-अंतरयामी घट घट वासी। ४. फूटे पड़े के टुकड़े से जल भरूंगा' इस प्रतिज्ञा के कारण ... कुंभक प्राणायाम (को०)। ५. कुंभ राशि । ६. एक तौल । इनका नाम घटकपर या घटखपर पड़ा है। २० द्रोण की तौल । ७. हाथी का कुभ । ८. किनारा। घटका-संक्षा पुं० [सं० घटक( =शरीर ।) अथवा अनु० घर घर ९. नौ प्रकार के द्रव्यों में से एक जिसे तुला भी कहते हैं। शब्द ] मरने के पहले की वह अवस्था जिसमें सांस रुक वि० दे० 'तुलापरीक्षा' रुककर घरघराहट के साथ निकलती है। कफ छेकने की मुहा०-घट में बसना या बैठना-(१) हृदय में स्थापित होना। अवस्था । घरी। . मन में बसना। ध्यान पर चढ़ा रहना । जैसे—जिसके घट क्रि०प्र०-घटका लगना=मरते समय कफ कना। में राम बसते हैं, वहीं कुछ देता है। (२) किसी बात का घटकार-संज्ञा पुं० [सं०] कुम्हार । मन में बैठना । हृदयंगम होना । घटग्रह-संज्ञा पुं० [सं०] जल भरनेवाला व्यक्ति । पनहारा (को॰) । , घट संचा पुं० [हिं० घटा] मेव । वादल । वटा । उ०-सहनाइ । घटज--संज्ञा पुं० [सं०] अगस्त्य मुनि । उ०-फुसमउ देखि सनेह नफेरिय नेक बजं । तु मनों घट भद्दव मास गज।-पृ० संभारा । बढ़त विधि जिमि घटज निवारा!--मानस, रा०, २४११८२। २।१६। घट-दि० [हिं० घटना] घटा हुमा । कम। थोड़ा। छोटा। घटजोनी --संशा पुं० [सं० घटयोनि ] दे० 'घटयोनि' । उ०-- मध्यम । उ०-घट बढ़ रकम वनाइ के सिसुता करी बालमीकि नारद घटजोनी । निज निज मनि कही निज तगीर-रसनिधि (शब्द०)। होनी । -मानस, १ : ३।। विशेष-इस शब्द का प्रयोग 'बढ़' के साथ ही अधिकतर र घटती-संक्षा बी० [हिं० घटना ] १. कमी। कसर। न्यूनता। होता है। अकेले इसका क्रियावत् प्रयोग 'घटकर' ही होता अवनति वदती' का उलटा । है । जैसे,—वह कपड़ा इससे कुछ घटकर है। महा०-घटती का पहरा अवनति के दिन । बरा जमाना। . घटकंचुकी--संघाली. [सं० घटकञ्चुको] तांत्रिकों की एक रीति । विशेष--इसमें भैरवी चक्र में संमिलित स्त्रियों की कंचुकियाँ २. हीनता । अप्रतिष्ठा । उ०-घटती होइ जाहि ते अपनी लेकर एक घड़े में भर दी जाती हैं। फिर एक एक पुरुप ताको कीजै त्याग -सूर (शब्द०)। वारी बारी से एक एक कंचुकी निकालता है। जिस पुल्प घटदासी-संघा स्त्री० [सं०] १. नायक और नायिकाका सम्मिलन के हाथ में जिस स्त्री की कंचुकी (चोली) ग्राती है, उसी करा देनेवाली दासी । कुटनी। ... के ताय वह संभोग कर सकता है। घटन-संवा पुं० [सं०] [ वि० घटनीय, घटित] १. गढ़ा जाना। घटक'- वि० [सं०] १. दो पक्षों में बातचीत करानेवाला । बीच रूपया आकार देना। २. होना। उपस्थित होना। ३. - में पड़नेवाला । मध्यस्य । २. मिलानेवाला । योजक । मिलाना । जोड़ना। ४. प्रयात । गति। प्रयल । ५. फलह घटक-संशा पुं० [सं०] १. विवाह संबंध तय करानेवाला व्यक्ति । विरोध। बरेविया । २. दलाल । ३. काम पूरा करनेवाला । चतुर घटना'--कि०म० [सं० घटन]१. उपस्थित होनावाला । व्यक्ति । ४. वंशपरंपरा दतलानेवाला। चारण । ५. वह होना । जैसे,—वहाँ ऐसी पटना घटी कि तब लोग ग्राश्चर्य में सामग्री जिसके मेल से कोई पदार्थ बना हो। अवयवभूत मा गए । २. लगना । सटीक बैठना । अारोप होना । मल में . वस्तु । उपादान वस्तु । ६. विना फूल लगे फल देनेवाला होना । मेन मिल जाना। जैसे,-यह कहावत उनपर ठीक वृक्ष । जैसे, गूलर । ७. घड़ा। घटती है। उ०-अब तो तात दुराव तोहीं। दारण दोप करी