पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३०३

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१३८० घट्टजीवी . . . घेरी। मुखहि निसान बजावहि भेरी --मानस ६३० . . ४. प्राईबर। घटाना-क्रि० स० [हिं० घटना] १. कम करना । क्षीण करना। २. बाकी निकालना। काटना । जैसे,---सौ रुपये में से पचास घटा दो। ३. अप्रतिष्ठा करना । वेकदरी करना । जैसे,-तुमने - आप अपने को घटाया है। . घटाव-संशा पुं० [हिं० घटना] १. कम होने का भाव ! न्यूनता। - कमी। २. अवनति । तनज्जुली। यौ०-घटाव बढ़ाव-कमी वेशी । न्यूनता और वृद्धि । ३. नदी की बाड़ की कमी। 'चड़ाव' का उलटा । मुहा०-घटाव पर होना= बाढ़ का कम होना । . घटावनाई--क्रि० स० [हिं० घटाव+ना] दे० 'घटाना'। ..टिवम-संदा पुं०० घटियम कुमकार । कुम्हार चि०] । घटि-वि० [हिं०] दे० 'घट' ।' - घटि-क्रि० वि० घटकर। घटि!-संवा नौ० घटी। कमी! ...र्घाटक-संज्ञा पुं० [सं०] १. घंटा पूरा होने पर घड़ियाल बजानेवाला व्यक्ति । घंटा बजानेवाला सिपाही । घड़ियाली। २. घड़नई के सहारे जलाशय या नदी को पार करानेवाला । ३. नितंद। घटिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. घटी यंत्र । टाइमपास ! बड़ी । २. '. एक घड़ी का समय । २४ मिनट का समय । ३. छोटा पड़ा। नगरी । ४. एक प्रकार का जल का घड़ा जिनले दिन की .. .वड़ियों का ज्ञान होता था (को०)। ५. घुटना । जानु (को०)। - यौ0-घटिकायंत्र। घटिकावधान | घटिकाशतक । घटिकास्थान। घटिकायंत्र--संज्ञा पुं० [सं० घटिकायन्त्र] दे० 'घटीयंत्र'। घटिकावधान-संश पुं० [सं०] एक घड़ी में कई काम करनेवाला . व्यक्ति। घटिकाशतक-संचा पुं० [सं०] १. एक घड़ी में सौ श्लोक बनानेवाला कवि। २. एक घड़ी में एक साथ सौ काम करनेवाला व्यक्ति। विशेष—बहुत से लोग ऐसी साधना करते हैं कि वे एक साथ शतरंज खेलते जाते, पद्य बनाते जाते तया गरिणा करते जाते हैं और इस प्रकार एक घंटे के भीतर सब काम पूरा उतार देते हैं। घटिकास्थान-वंश पुं० [सं०] यात्रियों के ठहरने का स्थान । पथिकशाला। चट्टी। सराय। घटिघट-संश पुं० [सं०] शिव का एक नाम को "घटित-वि० [सं०] १. वना हया । रचा हुमा । रचित । निर्मित । .. २. जो हुमा हो । जो एक बार हो गया हो (को०)। . घटिताई-संशी हि घटना कमी। न्यूनता । त्रुटि । घटिया-वि० [हिं० घट+इया (प्रत्य॰)] १. जो अच्छे मोल का न - हो। कम मोल का । खराव । सस्ता । 'बड़िया' का उलटा। २. अधम । तुच्छ । नीच । जैसे,—वह बड़ा पटिया प्रादनी है। घटियारी - संडा सी० [देश॰] एक प्रकार की घास जिले खबी भी प्रकार की घास जिसे खवी भी - कहते हैं। यह पंजाब में होती है और इसमें अदरक की सी महक होती है। घटिहार-वि० [हिं० धात+हा (प्रत्य)] १. घात लगानेवाला। घात पाकर अपना स्वार्य साधनेवाला । २. चालाक । मक्कार । ३. घोखवाज । बेईमान 1४. व्यभिचारी । लंपट । ५. दुष्ट। दुःखदायी । बल । ८०-कह गिरधर कविराय सुनो हो निर्दय पपिहा । नेक रहन दे मोहिं चोंच मूदे रहु घटिहा। गिरधर (शब्द०)। घटी'-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. २४ मिनट का समय । पड़ी। मूहूर्त । २. समयसूचक यंत्र। टाइनपीस । क्लाक । ३. छोटा घड़ा। कलती। गगरी । ४. रहट की परिया। ५. प्राचीन काल में समय जानने के कान में आनेवाला एक विशेष जलपात्र । यौ०-घटोकार-कुम्हार : घटीग्रह, घटीग्राह = पानी भरनेवाला व्यक्ति । घटी- संज्ञा स्त्री [हिं० घटना] १. कनी । न्युनता। २. हानि । क्षति । नुकसान । घाटा । महा-घटी प्राना या पड़ना=व्यवसाय में हानि होना। घटी-संशा पं० [सं० घटिन्] १. कुभराशि । २. शिव। .. घटीघट-संशा पुं० [सं०] शिव [को०] । घटीयंत्र- पु० [40 घटीयन्त्र] १. समयसचक यंत्र । घड़ी। २. संग्रहणी रोग का एक दि जो असाध्य माना जाता है । ३. रहट जिससे कूए से पानी निकाला जाता है । ४. दिन का समय जानने का जलपात्र (को०)। घटूका-संवा पुं० [सं० घटत्कब] भीमसेन का घटोत्कच नामक पुत्र जो हिडिया राक्षसी से पैदा हुआ था। उ०-कहत नाइ सिर बचन घटका । सनिये नाथ ना करि चूका !-सबल (शब्द०)। घटेरुमा संवा पुं० [हिं० घाटी+सं० रुज] पशुओं का एक प्रकार का रोग जिसमें उनका गला फूल पाता है। घटोत्कच--- संज्ञा पुं० [सं०] हिडिंबा राक्षसी से उत्पन्न भीमसेन का पुत्र जिसे महाभारत युद्ध में कर्ण ने मारा था। घटोद्भव-संज्ञा पुं० [सं०] अगस्त्य मुनि । घटोरल-संचा पुं० [सं घटोदर मेढ़ा । मेय।-(डि०)। घट्ट'-संशा पुं० [सं०] १. घाट । चंगी या महसूल लेने का स्थान । ३. क्षब्ध करना।क्षोभण। . घट्ट -संचा पुं० [सं० घट शरीर । उ०-उत्तर प्राग स उत्तर सीय पडेसी घट्ट । सोहागिण घर आँगराइ दोहागिण रइ घट्ट। -ढोला०, दू० २२० । घ8- संज्ञा पुं० [हिं० घाट घाटी। तलहटी। उ०—अति पारद १२ उनाहियः वह ज पूगल वट्ट1 श्रीजइ पुहरि उलांधियउ ग्राइपलारउ पट्ट -----डोला०, दू० ४२४ । घट्ट @-संशा पुं० [सं० घट- या घड़ा । कुंभ । उ०-नहसं नौ ७ मगार सच्छिय, देइ द्रब्य लै अच्छी अम्थ्यि : सहत घट्ट शिव ऊपर कीनो, तीन उपास नेम तब सौनौ।-०रा०,४०२। घट्टकुटो- संपात्री० [सं०] चुनी की चौकी को। घट्टजीवी-या पुं० [सं० घट्टजीविन्] १. घाट के नहसुल से जीविको.