पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३०९

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घनोदय-संज्ञा पुं० [सं०] वकिाल । वर्षा ऋतु का प्रारंभ [को०] 1 भय या पाशंक से आतुर होना । उद्विग्न होना । जैसे,—(क) E, घनोपल-संवा पुं० [सं०] अोला । करका । पत्थर । बिनौरी। उसकी बीमारी का हाल सुन सब घबरा गए। (ख) सेना -... घनौची - संडा श्री [हिं० ] दे० 'घडीची'। उ०-देहली नाध को पाते देख नगरवाल घबराकर भागने लगे। २. सकप

. , कर, दहलीज के उधर, घनौची पर सुपर घड़े रक्खे वरन । काना । भाँचवका होना । किंकर्तव्यविमूढ़ होना । ऐसी अवस्था
-पाराधना, पृ० ७% 1

में होना जिसमें यह न सूझ पड़े कि क्या कहे या क्या करें। . धन्नई-संज्ञा स्त्री० [हिं० घड़ा+नाव] मिट्टी के घड़ों और लकड़ी हक्काबक्का होना । सिटपिटाना । जैसे,-वकील की जिरह . के लट्ठों को जोड़कर बनाया हुआ बेड़ा जिससे छोटी छोटी से गवाह घबरा गया। ३. हड़बड़ाना। उतावली में होना। - नदियाँ पार करते हैं । घरनई । घरनैली। जल्दी मचाना । अातुर होना। जैसे,--घबराओ मत, थोड़ी घपचिंगाना --क्रि० अ० [हिं० घपची ] १. चक्कर में पाना । देर में चलते हैं। ३. जी न लगना । उचाट होना । ऊबना। . २. घबराना। जैसे,—यहाँ अकेले बैठे बैठे जी घबराता है।

घपचिमानार-क्र० स० १. किसी को चक्कर में डालना। २.

संयो० कि०-उठना । जाना। . :. घबराहट पैदा करना । घबराना-- क्रि० स० १. व्याकुल करना । अधीर करना । शांति भंग 'घपची-संशश सी० [हिं० घन+पंच 1 किसी वस्तु को पकड़कर करना । जैसे,--तुमने तो आकर मुझे घबरा दिया। २. - घेर रखने के लिये दोनों हाथों के पंजों की गठन । भौंचक्का करना । ऐसी अवस्था में डालना जिससे कर्तव्य न .. दोनों हाथों की मजबूत पकड़। उ०---कितना ही उसने सूझ पड़े। ३. जल्दी में डालना । हड़बड़ी में डालना । जैसे,- मुझको छुड़ाया झिड़क झिड़क । पर मैं तो धपची बांध के उसको घबरानो मत, धीरे धीरे काम करने दो। ४. हैरान ... उसको चिमट गया-जीर (शब्द०)। करना । नाकों दम करना । ५. उचाट करना। . क्रि० प्र०-बाँधना । घबराहट --संवा स्त्री० [हिं० घबराना ] १. व्याकुलता अधीरता । ' मुहा०-घपची बांधकर पानी में कूदना=दोनों घुटनों को छाती से उद्विग्नता । अशांति । २. किंकर्तव्यविमूढता । ऐसी अवस्था - सटाकर और उन्हें दोनों हाथों के घेरे में कसकर पानी में जिसमें क्या कहना या करना चाहिए, यह न सूझ पड़े। ३. दना । हड़बड़ी । उतावली। . घपला-संज्ञा पुं० [अनु०] १. दो परस्पर भिन्न वस्तुओं की ऐसी घमंकना@-क्रि० अ० [अनु०] घम् की ध्वनि करना । घमकना । का .. मिलावट जिसमें एक से दूसरे को अलग करना कठिन हो । -नो अलग करता कति हो। उ०-धूघर घमंकि पाइन बिसाल । नत्तंत जननि जनु अग्ग . २. गड़बड़ । गोलमाल । बाल ।-पृ०रा०,६। ४६ । क्रि०प्र०- करना ।-डालना ।-पड़ना। घमंकाg~-संचा पुं० [अनु॰] १. घूसा । मुष्टिकाप्रहार। . यो-घपलेबाजघपला या गड़बड़ी करनेवाला । घपले- क्रि० प्र०-जड़ना ।-देना ।--पड़ना । . २. वह प्रहार या चोट जिसके पड़ने से 'धम्' शब्द हो। ..वाजी घपला या गोलमाल करना । घमंड-पंक्षा पुं० [सं० गवं? ] १. अभिमान । गरूर । शेषी। अहं- घपुमा-वि० [हिं० भकुवा] मूर्ख । जड़ । नासमझ । उल्लू । कार । गर्व । '. 'भकुप्रा ।। . क्रि० प्र०—करना ।-रखना ।—होना । घपूचंद-संज्ञा पुं० [हिं० घम्पू+चंद] मूर्ख । जड़ । नासमझ । मुहा०- घमंड पर पाना या होना=अभिमान करना । इतराना। . घपोका) - वि० [हिं०] दे० घपुना' । घमंड निकल नाघमंड दूर होना । गर्व चूर्ण होना । घमंड . घपोकानंदन--संघा पुं० [हिं० घपुग्रा+नंदन] मूर्ख । जड़। नासमझ । टूटना=मान ध्वस्त होना । गर्व चूर्ण होना। घप्पू-वि० [हिं०] दे० 'घा '। २. बल । दीरता । जोर । भरोसा । सहारा । आसरा। जैसे,-- घवड़ाना-कि० अ० [हिं०] दे० 'घबराना' । तुम किसके घमंड पर इतना कूदते हो? उ०-जासु घबड़ाहट--संज्ञा सी० [हिं०] दे० 'वबराहट' । घमंड बदति नहिं काहुहि कहा दूरावति मोसों ।-सूर . घबर-संक्षा श्री० [हिं० गहबर] दे० 'घबराहट' । उ० - सवर (शब्द०)। . राव कुसमै समै, कासू घबर करीस । खिण खिण ले जगची धमना'--० अ० [हिं०] दे० 'घुमड़ना'। उ०-घन घमंड नभ गर्जत घोरा। प्रिया हीन उरपत मन मोरा ।—मानस, खबर जवर. सगत जगदीस । बाँकी ग्रं०. भा० ३. पृ० ६१ । - घमंडिन--वि० श्री० [हिं० घमंड+इन (प्रत्य॰)] दे० 'घमंडी'। घबराटा-संवा श्रीहिदे० 'घबराहट' । उ---एक अजीव धमंडो--वि० [हिं० घमंड] [वि० स्त्री० घमंडिन | अहंकारी। किस्म की वहशत और घबराट पैदा करती है। -प्रेमघन०, अभिमानी । मगरूर । शेखीबाज । भा०२, पृ० १५५ । घम'--संश्चा पुं० [सं० धर्म, हिं० घाम ] धूप । धाम। .. घवराना-क्रि० स० [सं० गहर) हिं० गहवर या हि० गड़बड़ाना] विशंप--समस्त शब्दों में ही. इसके प्रयोग मिलते हैं और १. व्याकुल होना । अधीर या प्रशांत होना । चंचल होना। घमघमा, घमछयाँ आदि।