पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३१०

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, घाय घम--संप पुं० [अनु॰] वह शब्द जो कोमल तल पर कड़ा ग्राघात घमसान-संधा पुं० [अनु० घम-1-सान (प्रत्य॰)] भयंकर युद्ध लगने से होता है। जैसे,—पीठ पर घम से मुनका लगा। घोर रण। गहरी सड़ाई। उ.-(क) हरि को आयुद्ध घमक-संक्षा स्त्री० अनु०] घम् घम् की अावाज । गर्जन । गभीर अपशि धरती ठानि पोर घमसान |---रघु राज (शब्द०)। ध्वनि। (ख) सान धरै फरसाल लिये घमसान करें।-सूदन घमकना-क्रि० स० [अनु० धम् ] घम् घम् या और किसी प्रकार (शब्द०)। का गंभीर शब्द होना । घहराना । गरजना । 30---सुकथि क्रि० प्र०—करना ।—होना । घुमडि धनघटा बाँधि धमकत पावस धन --व्यास (शब्द०)। यौं-घमसान फा-धोर। भयंकर। जैसे,—घमासान की लड़ाई। घमजना-मि०१. घम् से घूसा मारना । मुष्टिका प्रहार घमाका-या' [अनु० धम्] 'धम्' का शब्द । भारी माधात करना । २. घम् घम् की आवाज करना। का शब्द। घमका'- संज्ञा पुं० [अनु॰] प्रहार का शब्द । चोट की आवाज । घमाघम'-संप सी० [अनु० घम्] १. घम् धम की ध्वनि । गदा या घुसा पड़ने का शब्द । आपात की ध्वनि । उ०.-- २. धूमधाम । चहल पहल । ३. भारी ग्राघात का पाब्द। .. (क) घाइन के धमके उठ, दियो डमरु हर डार । नचे जटा धमाधम-शिवि०पा पम् पाद के साथ । भारी आपात के शब्द फटकारि कै. भुज पसारि वकार -लाल (शब्द०)। के साथ । जैसे,—उसने धमापन चार घुस जमा दिए । (ख) घाइन धमके मचे घनेरे । वखतरगोस गिरे बहुतेरे।- धमाधमी-संघा नीअनु०] १. दे० 'धमाधम' । २. मारपीट । सूदन (शब्द०)। घमाता-नि० अ० [हि. घाम] १.पाम लेना। सरदी हटाने घमका-संज्ञा पुं० [हिं० घाम] ऊमस । घमसा । के लिये धूप में बैठना। २. धूप माना। धूप पर पड़ ने धमकाना@-क्रि० स० [हिं० घमफना] १. घम् घम् की ध्वनि । देना। ३. फल शादि का बाम लगकर पीला होना । __उत्पन्न करना 1 २. बजाना। घमाना ---कि० स० धूप दिवाना। किसी चीज को सुखाने के घमखोरा--वि० [हिं० घाम+फा. सोर (रखानेवाला)] घाम लिये घाम में रखना। खानेवाला । जो धूप में रह सके । घमायला-वि० [हिं० घमाना] पाम की गरमी से पका हुआ । पान घमघमा-संवा पुं० [हिं० घाम] १.धूप । २. दिन का यह समय के प्रभाव से युक्त । (प्रायः फल के लिये प्रयुक्त) जिसमें धूप हो। घमासान--देश पुं० [हिं०] ३. 'मसान' । घमघमाना--क्रि० स० [हिं० घाम) घाम लेना । धूप से शरीर घमाहां-संज्ञा पुं० [हिं० घाम] वह बैल जो धूप में काम करने से गर्म करना । किसी व्यक्ति या वस्तु को धूप की गरमी से जल्दी हांपने लगे । वह बैल जो धूप न सह सके । प्रभावित करना। घमीलावि० [हिं० घाम] घाम वाया हुआ। घाम या धूल लगने घमघमाना'-fin० म० (अनु.] घम घम पाब्द फरना। गंभीर से मुरझाया हुमा। शब्द करना। घाह-संचयी० [देश॰] एक प्रकार की घास । घमघमाना-क्रि० स०१ प्रहार करना । भारी ग्राघात लगाना। विशेप--प्रापः करील प्रादि की झाड़ियों के नीचे यह बहुत २. घुसा मारना। होती है। इसका स्वाद कुछ कड़वापन लिये नमकीन होता घमछया--संचा बी० [हिं० घाम + छौह] कुछ कुछ पाम पोर है । इसके नरम कल्लों ही को चौपाए पाते हैं। यह घास छाया अथवा यह जगह जहां कुछ घाम छोह हो । उ०-- मथुरा, आगरा, फीराजपुर, झंग आदि स्थानों में होती है। कहा गई कान्ह ! तुम्हारी गैयाँ ? हाय ! कहाँ जमुना की कूल - घमोई -संघा नौ देश] कटंगी बांस का एक प्रकार का रोग कुजन की घ मछयाँ ।-पूर्ण, पृ० २८०। जिसके पैदा होने से उस बांस में नए कल्ले नहीं निकलने घमर--संभ ० [अनु॰] नगाड़े ढोल आदि का भारी शब्द । गंभीर पाते । इस योस की जड़ों में बहुत से पतले और घने कुर ध्वनि । उ०--माखन खात पराए घर को । नित प्रति सहस मथानी मथिए मेघ शब्द दधि माट घमर को।- सूर निकलते है जो बाँस की बाढ़ और नए कल्लों की उत्पत्ति रोक देते हैं । उ०-अब ही ते. मन संसय होई। बेनु मूल (शब्द०)। घमरा--ला पुं० [सं० भुङ्गराज] भृगराज नाम की बूटी। भगरा। सुत भएहु घमोई।--मानस, ६।१०। भंगरैया । घमोया--संज्ञा सौ [देश॰] एक छोटा पौधा जो गोभी की तरह का घमरोल- संज्ञा स्त्री० [अनु० शम् म्] १.हल्ला गुल्ला। ऊधम । होता है। . २. गड़ । घोटाला। विशेष--इसके पत्ते कटावदार तथा फाँटों से भरे होते हैं। घमस-संशा सो० [हिं०] दे० 'घ मसा'। पत्तों के पीछे तथा कटान की नोकों पर कांटे होते है। इसमें घमसा---पंथा पुं० [हिं० घाम] १. वह गरमी जो अधिक धूप. केवल एक डंठल ऊपर की मोर जाता है, इधर उधर टहनियाँ . और हवा रुकने के कारण होती है । धूप की गरमी । ऊमस नहीं फैलतीं । फूल पीछे और प्याले के प्राचार के होते हैं। २.घनापन । सघनता । माधिक्य ।। फूलों के झड़ जाने पर फैटीले बीजकोश रह जाते हैं। इसके