पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३११

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घमौरी १३८८ ... घर डंठलों और पत्तों से एक प्रकार का पीला रस निकलता है ....जो आँख के रोगों में उपकारी माना जाता है। यह पौधा -.". उजाड़ स्थानों में पापके ग्राप बहुत उगता है। - ... पर्या-स्वर्ण कौरी । सत्यनाशी। भड़भाड़ । घमौरी-संशनी [हिं. घाम] दे० 'अम्हौरी'। - घयलवा -संथा पुं० [हिं०] दे० बैला'। E०-भरल घयलवा .. ढरकि गए, बन ठाड़ी पछितात ।-कवीर श०, पृ० २। घर-संज्ञा पुं० [सं० गृह प्रा. हरघर] [वि. घराऊ घरू, घरेलू १. मनुष्यों के रहने का स्थान जी दीवार ग्रादि से घेरफर . ....बनाया जाता है। निवासस्थान । आवास । मकान । ....यौ०--घरकत्ती। घरचालन । घरघसना । घरजमाई । घरजोत । घरदासी । घरद्वार । घरफोरी घरवसा । घरवसी। घरवार । घरवैसी। ..' मुहा--प्रपना घर समझना=पाराम की जगह समझना। संकोच का स्थान न समझना ऐसा स्थान समझना जहाँ घर का सा व्यवहार हो । जैसे,—इसे या अपना घर समझिए, जो जरूरत हो, मांग लीजिए। घर प्रावाद होना = दे० 'धर वसना' । घर उठना घर बनना । घर उजड़ना=(१) परिवार की दशा बिगड़ना । कुल की समृद्धि नष्ट होना । घर पर तबाही पाना । घर की संपत्ति नष्ट होना । (२) परिवार पर विपत्ति याना । घर के प्राणियों का तितर बितर होना या .. 'मर जाना। घर करना=(१) बसना। रहना । निवास .. करना। घर बनाना । जैसे, उन्होंने अब जंगल में अपना

' ' घर किया है। (२) किसी वस्तु का जमने या ठहरने के

लिये जगह बनाना । समाने या अंटने के लिये स्थान निकालना। जैसे,-पैर ने जते में अभी घर नहीं किया है। - इसी से जता कता मालम होता है। (३) किसी वस्तु का ..जमने या ठहरने के लिये गड्ढा करना । घुसना । धंसना । - .: बिल बनाना । छेद करना । जैसे,—(क) फोड़े पर जो पट्टी रखी है, वह चार दिन में घर करके सब मवाद निकाल .... देगी। (ख) कीड़े काठ में घर करते हैं। (४) घर का प्रबंध . . करना। घर सँभालना। किफायत से चलना । जैसे,--ग्रव तुम बड़े हुए, घर करना सीखो। (स्त्री का) घर करना= पत्नी भाव से किसी के घर में रहना । खसम करना । ग्रांख में- वर करना=(१) इतना पसंद पाना कि उसका ध्यान सदा • 'वना रहे। जॅचना । (२) प्रिय होना । प्रेमपात्र होना। चित्त, मन या हृदय में घर करना इतना पसंद याना कि उसका ध्यान सदा बना रहे। जॅचना। अत्यंत प्रिय होना । प्रेमपार होना । दौमा घर करना = दीपक बुझाना । घर का== (१) निज का। अपना । जैसे--वर का मकान, घर का पैसा, घर का बगीचा । (२) पापस का। पराए का नहीं। संबंधियों या प्रात्मीय जनों के बीच का। जैसे,(क) घर . का मामला, घर की वात, घर का वास्ता । (ख) उनका .' हमारा ती घर मामला है । (३) अपने परिवार या -.. कटव का प्राणी। संबंधी! भाई वंधु । सुहृद् । उ०- तीन बलाए तेरह याए, नए गाँव की रीत । बाहरवाले खा गए घर के गावे गीत ।-लोकोक्ति । (४) पति । स्वामी । भत्तार । उ०--घर के हमारे परदेस को सिधारे यातें दया करि बझी हम रीति राहवारे की ।-- कविंद (अब्द०)। घर का अच्छा = समृट्ट कुल का। अच्छे खानदान का । खाने पीने से खनघर का यादमी --अपने कुटुंब का प्राणी । भाई बंधु । इष्ट मित्र । जैन ग्राप तो घर के ग्रादी हैं। आपसे छिपाना क्या ? घर का आँगन हो जाना%3D (१) घर खंडहर हो जाना । घर -उजड़ जाना । घर पर तबाही ग्राना। (२) स्त्री को बच्चा होना। घर में संतान उत्पन्न होना। घर का उजाला=(१) कुलदीपक । कुल की समृद्धि करनेवाला। कुल की कीर्ति बढ़ानेवाला । भाग्यवान् । (२) वह जिसे देखकर घर के सब प्राणी प्रफुल्लित हों। अत्यंत प्रिय । लाडला । बहुत प्यारा। (३) बहुत सुदर । रूपवान् । घर का चिरागते० 'घर का उजाला' । घर का चिराग गुल होना=(१) घर का सर्वनाश हो जाना । (२) इकलौते पुत्र का मर जाना। जैसे-उनके घर का चिराग ही गुल हो गया ।—फिसाना०, भा० ३, पृ० ५६०। घरवा या घरोना करना-घर उजाड़ना । घर मत्यानाश करना । घर का बोझ उठाना या संभालना-घर का प्रबंध करना । गृहस्थी का कामकाज देखना। घर का दिया या भेदी घर का सब भेद जाननेवाला। ऐमा निकटस्थ. मनुष्य जो सब रहस्य जानता हो। जैसे-घर का भेदी) भेदिया लंका दाह । घर का मोला=अपने परिवार में सबसे म्खं । दिलकुल सीधा सादा । जैसे-वह ऐसा ही तो घर का भोला है जो इतने में ही तुम्हें दे देगा। घर का काट खाना या काटने दौड़ना=घर में रहना अच्छा न लगना। घर में जी न लगना। घर उजाड पोर भयानक लगना । घर में उदासी छाना।। विशेष—जब घर का कोई प्राणी कहीं चला जाता है या मर जाता है, तब ऐना बोलते हैं। घर का न घाट का = (१) जिसके रहने का कोई निश्चित स्थान न हो। (२) निकम्मा । वेकाम । घर का हिसाव = (१) अपने लेन देन का लेखा। निज का लेखा। (२) अपने इच्छानुसार किया हुआ हिसाब । मनमाना लेखा। घर का रास्ता सीधा या सहज काम । जैसे-इस काम को घर का रास्ता न समझना । घर का मर्द, शेर, वीर या बहादुर अपने ही घर में बल दिखाने वा बढ़ बढ़कर बोलने- वाला । परोक्ष में शेखी गय ारनेवाला पौर मुकाबिले के लिये सामने न पानेवाला । धर (घरहिं या घर ही) के बाढ़ेघर । ही में बढ़ बढ़कर बात करनेवाला। बाहर कुछ पुल्पार्थ न" दिखानेवाला । पीठ पीछे शेखी बघारनेवाला। सामने न पाने. वाला । उ० ...(क) मिले न कबहु सुभट रन गाड़े। द्विज देवता घरहि के बाढ़े। तुलसी (शब्द०)। (ख) ग्वालिनि हैं घर ही की बाढ़ी। निसि अरु दिन प्रति देखति हौं, पापन' ही 'प्रांगन ढाढ़ो। सूर०, १०७७४ । घर का नाम उछालना या ' यौना=कुल को कलंकित करना। अपने भ्रष्ट ‘और निष्कृष्ट आचरण से अपने परिवार की प्रतिष्ठा खोना। घर की= घरवाली। गृहिणी। स्त्री। घर. की बात =(१) कल से ।