पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३१२

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२३८६ सबंध रखनेवाली बात। (२) आपस की बात । पाल्मीय जनों के बीच की बात । घर की पूजी अपने पास की संपत्ति । निज का धन । घर की तरह बैठना पाराम से बैठना । खूब फैलकर बैठना । बैठने में किसी प्रकार का संकोच न करना । घर की तरह वंठो सिमट कर बैठो। ऐसा बैठो कि औरों के लिये भी बैठने की जगह रहे । घर की तरह रहनामाराम से रहना । प्रपना घर समकार रहना। घर की खेतीमापनी ही वस्तु । अपने यहां होने या मिलने वाली चीज । जैसे- इसके लिये क्या बात है। यह तो घर की सेती है, जितनी फहिए उतनी भेज दें। घर फी मुर्गी साग बराबर-घर की अच्छी वस्तु की भी इज्जत नहीं होती है। घर के घर=(१) भी र ही भीतर 1 गुप्त रीति से । विना और लोगों को सपना दिए। जैसे-तुमने तो घर के घर सौदा कर लिया, हमें बतलाया तक नहीं । (२) बहुत से घर । जैसे,-हैजे में घर के घर साफ हो गए । घर के घर रहना=किसी यवसाय में न हानि उठाना न लाभ । बराबर रहना । जैसे, इस सौदे में हम घर के घर रहे । घर से घर बंद होना= बतुत गे घरों का उजड़ जाना। बहुत मे घरों के रहनेवालों का मर जाना या कहीं चला जाना । घर खोज मिटा जिसके घर का चिह्न तक न रह जाय । जिसका कुछ क्षय हो जाय । नप्ट । निगोड़ा--(स्त्रियों का अभिगाप या गाली) । घर खोना पर सत्यानाश करना । पर उजाटना। धर की संपत्ति नष्ट करना । उ० चूकते ही चुकते तो सर गया। चूककर खोना न अब घर चाहिए।-चुभते, पृ० ३८ । घर गई=घर उजड़ी। निगोड़ी ।-(स्पियों का अभिशाप या गाली । घर घर-हर एक घर में । सबके यहाँ । जैसे,-घर घर यही हाल है। घर घर के हो जाना= तितर चितर हो जाना। इधर उधर हो जाना। मारे मारे फिरना । वेठिकाने हो जाना। उ०--तेरे मारे यातुधान भए घर घर के ।-तुलसी (शब्द०)। घर घलना=(१) घर बिगड़ना। घर उजड़ना । परिवार की बुरी दशा होना । (२) कुल में कलंक लगना । उ०-कहे ही बिना पर केते घले जू ।-देव (शब्द०)। घर घाट -(१) रंग ढंग । चाल ढाल । गति और अवस्था । जैसे,—पहले उनका घर घाट देख लो, तब कुछ करो। (२) ढंग । ढव । प्रकृति । जैसे,—वह और ही घर घाट का आदमी है । (३) ठोर ठिकाना । घर द्वार । 'स्थिति । जैसे,-घर घाट देखकर संबंध किया जाता है। घर घाट मालूम होना-रंग ढंग मालूम होना। सारी अवस्था विदित होना । कोई बात छिपी न रहना । घर घालना=(१) घर बिगाड़ना। परिवार में अशांति या दु.ख फैलाना। परिवार को हानि पहुंचाना । जैसे,--इस जुए ने जाने कितने घर घाले हैं। (२) कुल को दूपित करना । कुल की मर्यादा भ्रष्ट करना । कुल में कलंक लगना । जैसे,-इन कुटनी ने न जाने कितने घर घाले हैं। (२) लोगों को मोहित करके वश में करना । प्रेम से व्यथित करना । जैसे--सभी इसे सपानी तो होने दो, न जाने कितने पर घालेगी ।-(वाजारू)। घरघुसना = घर में घुसा रहनेवाला । हर घड़ी अंतःपुर में पड़ा रहनेवाला । सदा स्त्रियों के बीच में बैठा रहनेवाला । बाहर निकलकर काम काग न मारनेवाला । घर चढ़कर . लइने पाना=लड़ाई करने के लिये किसी के घर पर जाना। घर चलना गृहस्थी का निर्वाह होना । घर का खर्च वर्च चलना । घर चलाना=गृहस्थी का निर्वाह करना। घर डुयोना (१) घर की संपत्ति नष्ट करना। घर तबाह करना । (२) फुल में फलंक लगाना। घर . ड्रयना=(१) घर तबाह होना । (२) कुल में कलंक लगना। घर जमना=गहस्थी ठीक होना। घर का समान इकट्ठा होना । घर जाना-घर का बिगड़ ना । कुल का नाश होना । घरत जगु-गहस्थी का प्रबंध । घर झंकनी-एकवर : से दूसरे घर घुमनेवाली । अपने घर न बैठनेवाली । घर तक पहुँचना=मो वहन की गाली देना । बाप दादों तक चढ़ : जाना । बाप दाद मानना। घर घान में ध्वाना=(१) .. कष्ट देना । (२) धमकी देना । घर तक पहुंचना=(१) .. समाप्ति तक पहुंचाना। ठिकाने तक ले जाना । संपुर्ण करना। पूरा उतारना । जैसे,---जिस काम को उठानो, उसे घर तक , पहुँचानो। (-) बुद्धि ठिकाने से पाना । बात को ठीक ठीक समझा देना । मायल करना । जैसे,--ठे को पर तक . पहुंचा दिया । घर दामाद लेना-दामाद को अपने पर . रखना । घर देखना- किसी के पर मांगने जाना । जैसे, यहाँ फुधन मिलेगा दूसरा घर देवी । घर देखना, देख लेना, या पाना-रास्ता देवलेना। परनजाना । दर्श निकात सेना जैसे,—(क) तुम और किसी से तो कुछ मांगते नहीं; सीधा हमारा घरदेश पाया है। (थ) बुडिया के मरने का सोच, नहीं, यम के घर देख लेने का सोच है । फिसी के घर पड़ना %3D - किसी के घर में पत्नी भाव से जाना। (किसी वस्तु का) : घर पड़ना=पर में ग्राना। प्राप्त होना। मिलना । मोज . मिलना । जैसे,--यह चीज क्या भाव पर पड़ी ? घर पर गंगा पाना-बिना परिश्रम के कार्य पूरा हो जाना। उ०-प्राससी घर गगा माई मिटि गई गर्मी भई सियराई।-कबीर सा० पृ०.५४५। घर पौछे--एक एक घर में । एक एक घर से। जैसे,-घर पीछे एक रुपया वसूल करो। घर फटना=(१) । मकान की दीवार पादि में दरार पड़ना । (२) घर में बच्चा उत्पन्न होना। (३) छाती फटना। बुरा लगना । असह्य होना । न भाना । जैसे, - लेने को तो रुपया ले लिया, अब देते हुए क्यों पर फटता है? (४) घर में बिगाड़ होना। घरफूक-तमाशा या मामला-घर का सत्यानाश करने वाली वात । ऐसी बत जिससे घर की संपत्ति नष्ट हो । घर पर तबाही लानेवाली चाल ढाल । घर फुक तमाशा देखना घर की संपत्ति नष्ट करके अपना मनोरंजन करना । अपनी हानि करके मोन उड़ना । जैसे,-रोजोशव यही चरचे यही कहकहे, यही नहरहे पर फूफ तमाशा देखा।--फिसाना० भा० २, पृ०६। घर फोड़नी घर में विग्रह उत्पन्न करना। .. परिवार में झगड़ा लगाना । परिवार में उपद्रव खड़ा करना। घर बंद होना=(१) घर में ताला लगना । (२) घर में ...।