पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

घातक १३६६ A . आना .धात पर चढ़ना' । घात में पाना=किसी को ऐसी घातन--संज्ञा पुं०१. घात । प्रहार । २. वध । करलं । ३. बलिदान स्थिति में पाना जिससे कोई अर्थ सिद्ध हो । वश में पाना। पशुबलि करना (को०] । . घात लगना-सुयोग मिलनी। किसी कार्य के लिये अनुकत' घातनक्षत्र संशा पुं० [सं०] अशुभ फल देनेवाले नक्षत्र को० स्थिति होना । उ०-हमरिज लागी धांत तब हमह देव घातवत्त॑ना--संथा स्त्री० [सं०] कोहल मुनि के मत से नत्य में . क.लक ।-विधाम (शब्द०)। घात लगाना-वसर हाथ प्रकार की वर्तना। .. घातवार--पंचा पुं० [सं०] घातक दिन । अशुभ दिन [को०)। में लेना । युक्ति भिड़ाना । तदबीर करना । काम निकालने का' ढर्रा निकालना । उ०—केलि के राति ग्रंवाने नहीं दिन ही में । घातस्थान--संक्षा पं० [सं०] वधस्थान । बूचड़खाना किो०। लला पुनि घात लगाई। - मतिराम (शब्द०)। घाता-संज्ञा पुं० [हिं० घात या घाल ] वह थोड़ी सी चीज जो सौदा २. किसी परं प्राक्रमण करने या किसी के विरुद्ध और कोई कार्य खरीदने के बाद ऊपर से ली या दी जाती है। धाल । घलुमा। घाति-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. प्राघात । बध । २. पक्षियों को जाल में.. करने के लिये अनुकूल अवसर की खोज । किसी कार्य सिद्धि फेसाना या मारना । ३. चिड़िया फंसाने का जाल को के लिये उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा । ता । जैसे,--शेर या बिल्ली का शिकार की घांत में रहनों। घाति--संज्ञा पुं० [सं० घातक] दे० 'घातक' । मुहा०-धात में फिरना-ताक में घुमना । अनिष्टं साधने के लिये घातिनी--वि० स्त्री० [सं०] १, मारनेवाली। वध करनेवाली। २. .. नाश करनेवाली। अनुकूल अवसर ढ़ते फिरना। उ.-उससे बचे रहना; वह यौं-बालघातिनी-छोटे शिशुओं को मारनेवाली । उ० बड़ी.. बहुत दिनों से तुम्हारी घाँत में फिर रहा है। घात में बैठना' विकराल बालातिनी न जात कहि, बाहू बल: बालक ..... आक्रमण करने या मारने के लिये छिपकर बैठना । किसी के विरुद्ध कोई कार्य करने के लिये गुप्त रूप से तैयार रहना। ... छबीले छोटे छरंगी.1-तुलसी (शब्द०)। .. ...... उ.--चित्रकूट अचल अहेरी बैठो घात मानो पातक के बात । घातिया-संज्ञा पुं० [सं० घात+इया (प्रत्य०)] दे॰ 'घाती'। घोर सावज संघारिहैं।- तुलसी (शब्द०)।घांत में रहना घाती'-वि० [सं० धातिन्। [वि० स्त्री० घातिनी] १. वध करनेवाला। .. किसी के विरुद्ध कोई कार्य करने के लिये अनुकूल अवसर टूढ़ते मारनेवाला । धात्तक । संहारक । उ०- हम ज़ड़ जीव जीव. . . रहना । ताक में रहना । घात में होना किसी के विरुद्ध कार्य गण घाती। कुटिल कुचाली कुमति. जाती।--तुलसी (शब्द०)। करने की ताक में होना । घात लगाना किसी कार्य के लिये २. नाश करनेवाला। अश्कल अवसर ढढना । मौका ताकना । जसे, वह बहुत दर घाती२toff घात-घोखा. छल)1१. छली । विश्वास " से घात लगाए बैठा है। ३.दावपेच । चाल । छल । चालबाजी। कपंट युक्ति । उ०- घाती । ३. घात में रहने वाला। हिसंक । नांशकारी । ३. क्रर । निष्ठर!.. मोसों कहति श्याम हैं कैसे ऐसी मिलई पाते ।-सूर अनिष्टकारी। (गब्द०)। घात्य–वि० [सं०] मारे जाने के योग्य । वध्य (कोला। मुहा---( किसी के बले पर) घात करना किसी के उकसाने सान धान-संज्ञा पुं० [सं० घन(समूह)] १. उतनी वस्तु जितनी एक पनि या भरोसे पर चाल करना । बहलोनी । ६०-ताक बल करि बोर डालकर कोल्ह मैं पेरी जाय । जैसे--पहले धान का मो सो पाती। रहिह गोय कहाँ किहिं भौती नंद. ग्रं०, तेल अच्छा नहीं होती। २. उतनी वस्तु जितनी एक बार .. पृ० ३०७ । घातें बनाना=(१) चाल सिखानी। (२) : चक ल कर पीसी जाय।३. उतनी वस्तु जितनी एक चालबाजी करना । रास्ता बताना । बहलानी .. . बार में पकाई या भूनी जाय । जैसे-दो शन पूरियाँ . ४. रंग ढंग । तौर तरीको । ढव । धज।. निकालकर लग रख दो। घातक'- वि० [सं०] १. घात करनेवाला। २. मार डालनेवाला। . महा-घानं उतरना=(१) कोल्ह में एक बारे डाली हुई वस्तु हत्यारा । हिसक । ३. हानिकर। - से तेल या रस आदि निकलना । (२) कड़ाही में से पकवान । घातक - संशा पुं० [सं०] १. पात करनेवाला व्यक्ति । २. जल्लाद का निकलना । धान उतारना कोल्हू में से तेल, रस आदि । यधिक । ३. फलित ज्योतिष में वह योग जिसका फल किसी या कड़ाही में से पकवान निकालना । धान डालना=(१). । - की मृत्यु हो। ४ शत्रु । दुश्मने। . : कोल्ह में पैरने या कढ़ाई में एक बार में तलने के लिये कोई । घातकी-संगा पुं० [सं० घातक] दे० 'घातक' 'वस्तु डालना । (२) किसी काम में हाथ लंगाना । धान । घातकृच्छ-संग्रा पुं० [सं०] शाङ्गघर संहिता में वर्णित एक प्रकार पड़ना=कोल्हू में पेरने या कड़ाही में पकाने के लिये नस्तु । का मूत्ररोग (को०)। का डाला जाना। धान पड़ जाना=किसी काम में हाथ । घोतचंद्र-संज्ञा पुं० [सं० पातचन्द्र अशुभं राभि का चंद्रमा। प्रशूभ । लग जोनों । किसी कार्य का प्रारंभ हो जाना । घानं लगना । राशि पर स्थित चंद्रमा (को०)। घान का कार्य प्रारंभ होना। घाततिथि- श्री० [सं०] अशुभ तिमि [को०] । घान-संज्ञा पुं॰ [हि० घना बड़ा हथौड़ा ] १. प्रहार । चोट । । ... घावन - वि० [४०] वध करनेवाला । कत्ल करनेवाला (को॰] । मापात । उ-मंद मंद उर पं अनंद ही के पासुन की । . 4