पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३२३

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धालना रस सुन्दै मुकतान ही के दाने सी। कहै पद्माकर प्रपंची. घामनिधि@पा पुं० [सं० धर्म, प्रा घम्म, हिं० शाम+सं० पचबानन न, कानन की भान + पी त्यों घोर घाने सी।- निधि] सूर्य। पद्माकर (शब्द) । २. हयोड़ा । घायाधु-संशा पुं० [सं० घात, प्रा० घाय] [ वि० घायल ] घाव । घाना :-क्रि० स० [ संघात, प्रा. घाय+ना (प्रत्य) जाम । ३०-जिनके घाय अघाय युवक जन भरत उसासँ।- मारना । संहार करना । नाश करना । उ९-बाग तोरि खाइ, प्रेमघन०, भा० १, पृ० १८० । .. बल प्रापनो जनाइताको एक पूतघाइतब सिधु पार जाइहीं। घायक-वि० [सं० घातक] १. विनाशक । मारनेवाला । उ०-दुर्जन हनुमान: (शब्द)। . दल धायक श्री रघुनायक सुखदायक त्रिभुवन जासन ।-केशन' .:. विशेष-इस शब्द का प्रयोग ब्रजभाषा में घायत्रो, घेवो आदि . (शब्द०)। २. घायल करनेवाला । जिससे घाव हो जाय । . रूपों में ही मिलता है। घाना क्रि० स० [हि गहना (= पकड़ना)] पकड़ाना। घायल'-वि० [हिं० घाय+ल (प्रत्य॰)] जिसको पाव लगा हो। घानाल:--पंझा पुं० [हिं० घना] संहार । युद्ध । संघर्ष। उ० - चोट खाया हुआ । चुटल । जस्मी । पाहत । घायला-- पुं० कनकौए के एक रंग का नाम । . "मिल फौज दोऊ उमें मेघ मानौं। तहाँ खान जादौ करें। - घोर घानौ।-सुजान०, पृ०२१। घार'-संज्ञा पुं० [सं०] छिड़कना । तर करने की क्रिया । प्राई, करना । सिंचन [को०] । घाना -वि[हिं०] १० धना' । उ०--जाय पाप सुखदीही घाना। घारी-संचारी [सं० गरी] पानी के बहाव से कटकर बना हुप्रा निस्चय वचन कबीर कं माना।--कबीर वी०, पृ० २१२। मार्ग या गड्ढा ! - नया मा [स० प्राण सुगध । उ० -तुम घर काल सा घारी-मंचा बी० [हिं० खरिक] घास फूस से छाया हुमा वह मकान ... उपना तिडुपुर पसरी घानि |--चित्रा०, पृ० १३८ ।, जहाँ चौपाए बांधे जाते हैं । खरका। - घानी-संखी [हिं० घान] १. उतनी वस्तु जितनी एक बार में घाल' संज्ञा पुं० [हिं० घालना] सौदे की उतनी वस्तु जितनी ...चक्की में डालकर, पीसी या कोल्हू में डालकर पेरी जा गाहक को तौल या गिनती के ऊपर दी जाय । घलुप्रा। सके। वि० दे० 'घान'। 30--(क) समर तैलिक यंत्र तिल महा०-घाल न गिनना---पसगे बराबर भी न समझना । तुच्छ तमीचर निकर, पेरि डारे सुभट घालि घानी । तुलसी समझना । हेय समझना। उ०---(क) रघुवीर बल गर्वित (शब्द॰) । (ब) सुकृत सुमन तिल मोद वास विधि जतन विभीपण घाल नहिं ता. कह गर्ने । -तुलसी (शब्द०)। यंत्र भरि पानी । तुलसी (शब्द॰) । (ख) चढ़हिं कुवर मन कर उछाहू । आगे घाल गंनै नहि (ख) चढ़ाह 3" क्रि०प्र०-उतरना ।- उतारना -डालना ।- पड़ना। .:. काहू |--जायसी (शब्द०)। ना करना=पेरना। ... घाला-संसा पुं० [सं० घाल, या. प्रा०/घल्ल(=फैजना)] प्राघाता .. प्रहार । घानो की सवारी-संशा श्री० [देश॰] मालखंभ की एक कसरत घालक-वि० संशा पुं० [हिं० घालना] [ी, धालिका] १. मारने- जिसमें एक हाथ में मोगरा पकड़कर मलखंभ के चारों ओर वाला । उ---जो प्रभु भेष धर नहिं वालक कैसे होहिं पूतना ..... पानी या कोल्हू के वैल के समान चक्कर देते हैं। घालक,।-सूर०:१०१११०४० २. नाश करनेवाला । उ०- घापटा-संथा पुं॰ [हि० घात] छल । धोखा । घपला । उ-चापट बोले बचन नीति प्रतिपालक । कारन मनुज दनुज कुल . . साहेब धापट कोहेन ।-प्रेमघन०, भा२, पृ०-३४३ । ....घालफ-1--मानस ६.५० । .. वामान संवा पुं० [सं० धर्म, प्रा० घम्म धूप । सूर्यातप । उ--घाम घालकता@-संवा बी: । हि० घालक+ता. (प्रत्य॰)] मारने का .. . घरीक निवारिये कलित ललित अलिपुज । जमुना तीर ... काम । विनाश करने की क्रिया । 30---प्रति कोमल के सत्र .... तमाल तरुनिखति मालती कुंज! -बिहारी (शब्द०)। वालकता । बहु दुष्कर राक्षस घालकता। केशव (शब्द०)। क्रि० प्रर-चढ़ना ।-निकलना। लगना।—होना । घालना-क्रि० स० [सं० घटन, प्रा० घडत या घलन 1१..किती ... महा--पाम खाना=(१) गरमी के लिये घप में रहना । वस्तु के भीतर या ऊपर रखना । डालना । रखना। उ०-

(२) ऐसे स्थान पर रहना जहाँ धूप या सूर्य की गरमी का

(क) को असं हाथ सिंह मुख घाल । को यह बात पिता सों प्रभाव पड़े । घाम लगना लू लगना । घर घाम में छाना= चाल । जायसी (शब्द॰) । (ब) सो भुजबल रायो उर आफत में डालना । विपत्ति में डालना घर में घाम पाना पानी । जीतेहु सहतवाहु बलि बाली।-तुलसी (शब्द०)। बड़ी कठिनता का सामना होना । बड़ी मुसीवत होना । ही सीवत होना । (ग) स्यंदन घालितुरत गृह माना !--तुलसी (शब्द०)। जैसे,--इस काम को करना सहज नहीं है, घर में घाम २. फेंकना । चलाना। छोड़ना। उ०--(क) जिन नैनन • आ जायगा। । बसत हैं. रसनिधि मोहनलाल । तिनमें क्यों घालत 'परी ते धामड़-वि० [हिं०घाम+(प्रत्य०) १. घाम या धूप से व्याकुलं भरि मूठ गुलाल !-रसनिधि (शब्द॰) । (ख) पहिल .: (चौपाया)। धूप लग जाने के कारण हर समय हांफनेवाला 'घाव घाली तुम आछ। हिये होस रहि जैहे पाछे।-जाल ... (चौपाया) 12. जिसके होश ठिकाने न हों। नासमझ । मूर्ख । (शब्द०)। ३. कर डालना। उ० केहि के बल पालेसि जड़गावदी । बोदा । ३. मालसी । महदी।': . बन खीसा -तुलसी (शब्द०)।... .:. दर । सम्ह ।। . बनसो . .