पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/३२४

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वोना। " घालमेले १४०१ घिग्धी: विशेष-पूर्वी हिंदी (प्रांतिक) में 'घालनी' किया का प्रयोग.. घावेसg---संघा पुं० [हिं० घाव+सं० ईश] प्राघात करनेवाला।। 'डालना' के समान संयो० कि० के रूप में भी होता है। वध करनेवाला । मारनेवाला। उ०-गुणरां गहर गुरडरा जैसे, 'कइ घालेसि। . . - गामी घर नामा मुररा घावेस ।-रघु० रू०, पृ० १४६ । । ४. विगाड़ना। नाश करना । जैसे, घर घालना । उ०--चित्र घास--संवा पुं० [सं०] १ पाहार । खाद्यपदार्थ । २. चारा । तृण। केतु कर घर इन घाला:-तुलसी (शब्द॰) । ५. मारीयो०--धासकुद, घासस्था'चरागाह । घासफूट पुनाल की " डालना । वध करना । ६. दे० 'नाखना', 'नंखना'।... गांज | ठणस्तूप। . .. . घालमेल-संक्षा पुं० [हिं० घालना+मेल] कई भिन्न प्रकार की घास-संशा श्री० [सं० घासि] १. पृथ्वी पर उगनेवाले छोटे छोटे । वस्तु की एक साथ मिलावट । गड्डवड्ड । २. मेल जोल । उभिद् जिन्हें चौपाए चरते हैं । तृण । चारा। . . घनिष्ठता। क्रि० प्र०-काटना ।-चरना ।-छीलना। . क्रि० प्र०- करना । -रखना --बढ़ाना। यौ-घास पात-(१) तृण और वनस्पति । (२) खर पतवार । घालिका-वि०, संक्षा ली [हिं० घालक] नष्ट करनेवाली। विनाश ___ कूड़ा करकट । घास फूस =(१) कूड़ा करकट । खर पतबार। करनेवाली। (२) वेकाम चीज । : घालिनी-संज्ञा स्त्री० [हिं० घालना ] नाश करनेवाली। मार मुहा०- घास काटना या खोदना=(१) तुच्छ काम करना। डालनेवाली। छोटा और सहज काम करना । (२) व्यर्थ काम करना। घाव--संज्ञा पुं० [सं० घात, प्रा० घाम, घाय ] शरीर पर का वह निरर्थक प्रयत्न करना। उ०-तुम सों प्रेमकथा को कहियो.. स्थान जो कट या चिर गया हो । क्षत । जख्म । चोट । २. मनो काटिबो घास ।-सूर (शब्द०)। (३) किसी काम को - प्राघात । प्रहार। वेपरवाही से जल्दी जल्दी करना । घास खाना = पशु बनना। मुहा०--घाव खाना=जख्मी होना । घायल होना। घाव पर नमक पशु के समान हो जाना । घास छीलना=(१) खुरपे से घास : या नोन छिड़कना-दुख के समय और दुःख देना । शोफ पर को जड़ के पास से काटना । (२) दे० 'घास काटना। और शोक उत्पन्न करना । घाव देना=दुःख पहुँचाना । शोक । २. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। ३. कागज पन्नी प्रादि के । में डालना । घाव पूजना या भरना-घाव का अच्छा होना । घावपत्ता---संज्ञा पुं० [हिं० घाव+पत्ता] ओषधि कार्य में प्रयुक्त महीन कटे हुए टुकड़े जो ताजिए या और किसी वस्तु, पर .. सजावट के लिये चिपकाए जाते हैं। होनेवाली एक प्रकार की लता।.. विशेष—इसके पत्ते पान के प्रकार के.. प्रायः एक बालिका र घासलट-संशा पु० [अं॰ गैस लाइट ] १. मिट्टी का तेल । २. अग्राह्य वस्तु । और ५-१० अंगुल चौड़े होते हैं: और नीचे की और कुछ घासलेटो- विहिं० घासलेट +ई (प्रत्यः)] निकृष्ट । सफेदी लिए होते हैं । यह घावों पर उनको सुखाने और फोड़ों अश्लील । गंदा । पर उनको वहाने के लिये बांधा जाता है । ऐसा प्रसिद्ध है कि यो०-घासलेटी साहित्य । यदि यह सीधा बांधा जाय तो कच्चा फोड़ा पककर फूट जाता घासि-- श्री. [सं०] १. अग्नि । २. पास [को०|| है; और यदि उलटा बांधा जाय तो बहता हुया फोड़ा सुख घासी1--संघा श्री० [म घासि] घास। चारा। तृण । जाता है। मालवा में इसे 'तांवेसर' कहते हैं। " चारितु चरति करम कुकरम कर मरत जीवगन घासी-- घावरी-संशा पुं० [देश॰] दे० 'घाव' । उ--(क) कोली साल न तुलसी (शब्द०)। छाई रे सब घावर काढ़े रे ।-दादू० बानो, पृ०६०६ घार मंत्रा' पुं० [संगमस्ति(=उगली)] उगलियों के बीच फी (ख) देह कौं कृपान लगे देह ही कौं घावरी । सुदर पं०, संधि । गावा । घाई। उ०--धारै बान, कूल धनु. भूषण भा० २, पृ०५८५। . जलकर, भंवर सुभंग सब घाहैं। -तुलसी (शब्द०)।" घावरा--संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक बड़ा पेड़ जो बहुत ऊँचा और सुदर घाह -संवा पुं० [हिंघा (=ोर)] दिशा। ओर । " . होता है। .. - घिघेव--संज्ञा पुं० [हिं० घींचना] खींचतान । उ०--गा. घिधेच विशेष—इसकी छाल चिकनी और सफेद होती है और हीर की यह जी हमारा बंद तोहार बंद मो डारा ।इद्रा, .: लकड़ी बहुत चमकीली तथा दृढ़ होती है। यह पेड़ हिमालय पृ०६६ ... . पर ३००० फुट की उचाई पर होता है। इसकी लकड़ी नाव, धिप्रा--संशा पु० [सं० घृत, प्रा. घिन] दे॰ 'घी' :... .. जहाज तया खेती के सामान बनाने के काम में आती है। घिनौंडा-संक्षा पुं० [म० घृतमाएड या हं० धो+हंडा घी रखने 5. सकी पत्तियों से चमड़ा सिझाया और कमाया जाता है। ... का मिट्टी का बरतन । घृतपात्र । अमृतवान। .-. घावरिया@-संदा पुं० [हिं०घाव+वरिया) (वाला) हिंघावर+ घिसा-संशा पुं० [हिं०] ३० 'घि या'। . . इया (प्रा.)] घावों की चिकित्सा करनेवाला । 'सतिया। घिउ----संघा पुं० [40 घत]. दे० 'पी' . . ... . जाहि । उ०--तब चाल्यो ले लाठी कर में । पहुँच्यौ घावरिया घिग्गी-मंथा श्री० [अनु॰] २० घिग्घी'। २०-जिस समय मुझसे । के घर में । ताहि कह्यो फोहा अस दीज । घाव पाँव को तुरत . कोई धमका कर पूछता है:उस समय डर के मारे मेरी घिग्गा मरीजै ।-निश्चल (शब्द०)। ... ... बंध जाती है। -श्रीनिवास प्र०पृ०६५। ...